कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के सीएम पद से हटाकर हाशिए पर लाने के राहुल गांधी के प्रयास सफल होते दिख रहे हैं। पंजाब में अब राहुल ने अपने चहेते नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थक चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का पद दिया है। चन्नी के नाम का ऐलान जैसे ही हुआ था, तैसे ही ये कहा जाने लगा था कि वो एक कठपुतली की भांति कार्य करते दिखेंगे। TFI की ये भविष्यवाणी अब सही साबित होती दिख रही है। पंजाब पुलिस के डीजीपी की नियुक्ति को लेकर खबरें हैं कि अधिकारी का नाम तय हो गया है, लेकिन बस कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी की मुहर लगना बाकी है। ये दिखाता है कि चन्नी को अपने विवेक के आधार पर पंजाब पुलिस का एक डीजीपी तक चुनने की छूट नहीं है।
किसी राज्य में डीजीपी कौन चुनता है, यकीनन ये मुख्यमंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में आता है, यहां तक कि छत्तीसगढ़ से लेकर राजस्थान तक में डीजीपी चुनने का हक उनके ही पास होता है। इसके विपरीत पंजाब को लेकर राहुल गांधी कितने ज्यादा असहज हो गए हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पंजाब में पुलिस डीजीपी का पद किसे देना है, इसका फैसला भी अब वही करेंगे। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट बताती है कि पंजाब में जैसे ही कैप्टन के हटने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ली, उसके बाद से ही वहां अधिकारियों के तबादले हो रहे हैं। ऐसे में सबसे दिलचस्प बात पंजाब पुलिस के डीजीपी को लेकर है।
पंजाब पुलिस के डिजीपी के पद के लिए मुख्यमंत्री चन्नी में अपने चहते इकबाल प्रीत सिंह सहोता को चुना हैं, लेकिन अभी उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी है। वो पिछड़ी जाति से आते हैं। ऐसे में सहोता के जरिए चन्नी राज्य में जातिवाद का गणित सेट करने की कोशिश कर रहे हैं, किन्तु सबसे बड़ा मुद्दा वही है कि जब राहुल इकबाल के नाम को हरी झंडी दे देंगे, तभी उनकी नियुक्ति की जा सकती है।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार को अधिकारी के रिटायरमेंट के ठीक तीन महीने पहले पांच अधिकारियों की सूची यूपीएससी को सौंपनी होगी। इसके विपरीत पंजाब सरकार के रवैए को देखकर कहा जा सकता है कि वो पश्चिम बंगाल सरकार की तरह ही नियमों को ताक पर रखकर डीजीपी की नियुक्ति की तैयारी कर चुके हैं।
और पढ़ें- सिद्धू और चन्नी का गुप्त ईसाई कनेक्शन, अब पंजाब में धर्मांतरण का खतरा और बढ़ गया है
खास बात ये है कि अधिकारियों की नियुक्ति के मुद्दे पर मुख्य रूप से जातियों का ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री चन्नी के मुख्य सचिव हसन लाल भी एक दलित ही हैं। कुछ इसी तरह अब पंजाब पुलिस डीजीपी की नियुक्ति में भी दलित कार्ड का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। वहीं डीजीपी की नियुक्ति को लेकर राहुल गांधी की स्वीकृति का इंतजार हो रहा है। वो राहुल गांधी जो पार्टी के स्तर पर भी किसी पद पर नहीं हैं, उन्होंने पंजाब के सीएम की कुर्सी एक ऐसे शख्स को दे दी है, जिसे सारे फैसले राहुल के इशारे पर कठपुतली की भांति लेने होंगे।
हम सभी ने देश की राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को देखा है, जिनके लिए ये कहा जाता था कि वो सारे फैसले कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के निर्देशों के आधार पर ही लेते थे। ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि अपनी मां की तरह ही राहुल गांधी ने पहले एक कठपुतली के तौर पर चन्नी को सीएम बनाया, और प्रत्येक फैसला चन्नी के नाम पर वो ही ले रहे हैं।