एक कहावत है कि जिसके खुद के घर शीशे के हों उसे दूसरों पर पत्थर नहीं मारने चाहिए। कांग्रेस की सहयोगी पार्टी एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने अब एक ऐसा ही आईना कांग्रेस को दिखाया है। कांग्रेस जो विपक्षी एकता के नाम पर एक बार फिर धीरे-धीरे पीएम मोदी के विरुद्ध राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने की तैयारी कर रही है, तो दूसरी ओर पार्टी की आतंरिक कलह के कारण नेतृत्व को लेकर ही पशोपेश की स्थिति है। ऐसे में शरद पवार ने कांग्रेस को सांकेतिक रूप से लताड़ते हुए उसे एक जामींदारी वाली सोच की पार्टी बताया है। शरद पवार ने अपनी सोच जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस को पहले अपनी आतंरिक कलह एवं नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दों को हल करने पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस की हालत देश की राजनीति में इतनी निचले स्तर पर चली गई है, कि क्षेत्रीय दल या पूर्व कांग्रेसी नेता भी उसका मजाक उड़ाने लगे हैं। वो नेता जिन्होंने कांग्रेस से निकल कर अपनी पार्टी बनाई थी, वो भी इस मामले में पीछे नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा नाम और एनसीपी नेता शरद पवार ने कांग्रेस को अब राज्य में सहयोगी होने के बावजूद उसे सबक सिखाया है। उन्होंने कहा है कि “कांग्रेस की मानसिकता किसी जमींदार की सोच से मिलती है, क्योंकि वो अपने इतिहास को लेकर आज भी गौरवान्वित समझ के खुश होती रहती है।” इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस की आंतरिक कलह, एवं राहुल के पीएम उम्मीदवार बनने को लेकर उनकी आलोचना की है।
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शरद पवार ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैंने यूपी के जमींदारों के बारे में एक कहानी बताई थी, जिनके पास बहुत बड़ी-बड़ी जमीनें थीं, बड़ी हवेली थी; लेकिन भूमि सीमा एक्ट आने के बाद इन लोगों की जमीन 15-20 एकड़ में सिमट गई। उनके पास अपनी हवेली के रख-रखाव की भी ताकत नहीं रही। हर सुबह जब वो जागते हैं अपनी जमीन को देखते हैं कहते हैं ये पूरी जमीन हमारी थी। कांग्रेस के लोगों की भी यही मानसिकता है। उन्हें सच्चाई को स्वीकारना होगा।”
शरद पवार ने राहुल के पीएम उम्मीदवार बनने एवं पार्टी की आंतरिक कलह के संबंध में कहा, “जब नेतृत्व की बात आती है तो कांग्रेस के मेरे सहयोगी दूसरे किसी विचार को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं होते। जब 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की लीडर ममता बनर्जी के होने की बात शुरू हुई तो कांग्रेस ने कहा कि उनके पास राहुल गांधी हैं। सभी पार्टियां और खासतौर पर कांग्रेस के मेरे मित्र लीडरशिप को लेकर किसी दूसरे मत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।”
ये सर्वविदित है कि कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सबसे बड़ी समस्या है। बगावती जी-23 के नेता आए दिन कांग्रेस आलाकमान से अध्यक्ष पद को लेकर मांग करते रहते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे पर अभी कोई भी निर्णय नहीं लिया है। इसके अलावा कांग्रेस पुनः राहुल गांधी को ही पीएम उम्मीदवार घोषित करना चाहती है, किन्तु पार्टी के सामने नेतृत्व से लेकर बगावती नेताओं तक की अनेकों मुसीबतें हैं। ममता को विपक्ष के चेहरे के रूप में आगे करने का कांग्रेस का रुख भी उसकी अपनी मजबूरियों को दिखाता है।
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इन सबके बीच अब कांग्रेस पार्टी को उसके अपने ही सहयोगी साथी शरद पवार ने झटका दिया है। पवार जानते हैं कि उनके पीएम न बन पाने का कारण कांग्रेस ही थी। यही कारण है कि राहुल को विपक्ष का नेता बनाने की कोशिश कर रही कांग्रेस की आतंरिक कलह को उजागर कर शरद पवार ने कांग्रेस को सीख दी है, कि कांग्रेस अपने इतिहास से बाहर निकले, और विपक्षी एकता के तौर पर राहुल को आगे करने से पहले अपनी पार्टी की अंतर्कलह खत्म कर अपने नेताओं से राहुल का समर्थन प्राप्त करे।