TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार का सच: इस्लाम न अपनाने पर 10,000 हिंदुओं की हत्या कर दी गई

भाग-5

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
18 September 2021
in इतिहास
मोपला विद्रोह
Share on FacebookShare on X

कहते हैं, मोपला विद्रोह का आरंभ  20 अगस्त 1921 को हुआ और 6 सितंबर 1921 को अंत। यह कथन अपने आप में काफी हास्यास्पद है, और इसके पीछे ऐसे तथ्य है, जिनसे अवगत होकर आपका हृदय विदीर्ण हो जाएगा, और आपकी अंतरात्मा खंड-खंड हो सकती है। जिसे अब तक कांग्रेस एक विद्रोह और वामपंथी एक कृषि विद्रोह के रूप में चित्रित कर रहे हैं, वह वास्तव में इतिहास की एक ऐसी त्रासदी है, जिसके बारे में उतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए। आज के अंक में हम मानव इतिहास के सबसे हृदय विदारक विभीषिका और धर्मांधताओं का वृहद और वास्तविक चित्र वर्णन करनेवाले है।

पिछले अंक में हमने जाना की कैसे भारतीय संस्कृति ने मोपलाओं को अस्तित्व दिया? कैसे योजनाबद्ध तरीके से जनसँख्या वृद्धि और धर्मान्तरण कर जनसांख्यिकी परिवर्तन किया? फिर कैसे टीपू और हैदर के नेतृत्व में नरसंहार किया? उनकी मृत्यु पश्चात कैसे मोपला खिलाफत की स्थापना के लिए हिंदुओं से सतत संघर्षरत रहे? इस अंक में हम बस आधिकारिक रूप से घोषित समयावधि ( 20 अगस्त 1921- 6 सितंबर 1921) के दौरान हुए मोपला दंगों की विभीषिका का वर्णन करेंगे।

संबंधितपोस्ट

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार: जिहादी जल्लादों ने उसकी बहन को उठाना चाहा तब हाथ में हंसिया ले अकेले कूद पड़ी नारायणी

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार: क्यों आवश्यक है “मोपला नरसंहार दिवस”

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार: कांग्रेस ने इसे स्वतंत्रता संग्राम और कम्युनिस्टों ने ‘कृषक क्रांति’ कहा

और लोड करें

“मोपला विद्रोह 20 अगस्त 1921 को आरंभ हुए और 6 सितंबर 1921 को अंत।” यह एक हास्यास्पद कथन है। आरंभ करने से पहले आपको बता दें की यह कथन हास्यास्पद क्यों है? इसके दो कारण है। प्रथम, मोपला एक हिंसक विद्रोह था। द्वितया, अगस्त से सितंबर के समयावधि में मोपला ध्वंस की समाप्ति हो गयी।

वास्तव मोपला की घटना कोई विद्रोह नहीं था क्योंकि विद्रोह तो किसी प्रकार के शोषण के प्रतिकार में किया जाता है। यह किसी शोषण के प्रतिकार में नहीं वरन ‘देवभूमि’ केरल में इस्लामिक वर्चस्व की स्थापना हेतु एक अमानवीय, घृणित प्रयास था। हमारी संस्कृति ने युद्ध के भी नियम बनाये थे, बात जब स्त्री अस्मिता पर पहुंची महाभारत के रण भी सजाएँ परंतु धर्म स्त्री के शील और गर्भ पर प्रहार कर देगा भारतवर्ष में ऐसा उदाहरण तो किंचित नहीं है।

अतः विद्रोह नहीं, विप्लव नहीं, क्रान्ति नहीं; यह नग्न मोपला जिहाद था। यह सुनियोजित था, नृशंस था, एवं नारकीय था। हमारी और आपकी चेतना मानवीय क्रूरता और मानव-जनित विभीषिका की जो परिकल्पना अपने मष्तिस्क में कर सकती है, यह कुकृत्य उससे भी परे था। भारतीय संस्कृति और सहिष्णुता के आवर्तों में पल्लवित इस जाति का सबसे बड़ा विश्वासघात था, कुठाराघात था।

मोपला दंगों पर सबसे प्रामाणिक पुस्तक “The Moplah Rebellion 1921” के लेखक और उस समय के दीवान बहादुर सी गोपालन नायर ने मालाबार में 1921 से पूर्व के 50 से अधिक भीषण दंगों का विस्तृत उल्लेख किया है। अंतिम घटना फवरी 1919 की है जिसमें एक मोपला कांस्टेबल को नरसंहार और भेदभाव के आरोप में निष्काषित कर दिया गया, क्योंकि उसने उस क्षेत्र में मोपला विरोधियों और खिलाफत समिति के उपद्रवियों के साथ मिलकर अराजकता और उन्माद फैलाया।

उसके पश्चात वह एकदिन कुछ चरमपंथियों के समूह के साथ मिलकर उस क्षेत्र के सभी मंदिरों को तोड़ने लगा। अंततः उग्र इस्लामिक भीड़ नें 5 नंबूदरी ब्राह्मण सहित 2 नायरों की नृशंस हत्या कर दी।

कल्पना कीजिये कि एक व्यक्ति के मन मष्तिस्क पर एक मजहब के प्रभाव की कैसे वह जान लेने के साथ जान देने को भी आतुर हो जाता है। प्रामाणिक ऐतिहासिक उल्लेखों के अनुसार अधिकांशतः मोपला मरणासन्न अवस्था में “स्वर्ग” और ‘’अल्लाह हु अकबर’’ के नारे लगाए। उनके मृत्यु को वीरगति जैसा सम्मान मिला। जन्नत के लोभ के कारण इस्लामिक कट्टरपंथ ने मालाबार में मोपला मुसलमानों के बीच वैचारिक तौर पर इस्लामिक राष्ट्र का सृजन कर दिया था। उसी इस्लामिक खिलाफत की अवधारणा को गाँधी ने स्वतंत्रता संग्राम में और वामपंथियों ने कृषक-विद्रोह में परिवर्तित कर राजनैतिक रूप से  टीपू समान नेतृत्व प्रदान किया। हम इसी ऐतिहासिक सूक्षमता से अपने दर्शकों को अवगत कराना चाहते हैं कि 20 अगस्त 1921 से 6 सितंबर 1921 तक गाँधी और वामपंथियों के राजनितिक नेतृत्व तथा मुसलियार के धार्मिक नेतृत्व में मोपला मुसलमानों ने सुनियोजित तरीके से हिन्दू नरसंहार कर जनसांख्यकीय परिवर्तन के माध्यम से मुस्लिम खिलाफत को स्थापित करनें का प्रयत्न किया।

इस दौरान निरीह हिंदुओं को मजहबी भेड़ियों की दया पर छोड़ दिया गया। ये लोग इनसे सब कुछ नोच लेना चाह रहे थे –  जान, माल, व्यापार, जमीन, स्त्री, शील, धर्म सबकुछ,  क्योंकि खिलाफत राष्ट्र में संप्रदाय के अलावा जो कुछ भी है वो उपभोग, शोषण और मनोरंजन की वस्तु है।

इन्हीं आदेश, उद्देश्य और कांग्रेस के राजनैतिक नेतृत्व ने इतना भयंकर जंसनहार किया जो मानव इतिहास के सबसे भीषण धार्मिक कलंकों में से एक है। इन विभीषिकाओं का वर्णन ढेरों पुस्तकों, लेखों और समकालीन नेताओं के उद्धरणों और ऐतिहासिक प्रमाणों के माध्यम सी मिलती है, जिनका सरलीकरण कर हम आपके सामने प्रस्तुत करेंगे।

वेरियनकुनाथ कुंजाहमद हाजी, सेठी कोया थंगल और अली मुसलियार के नेतृत्व में तथाकथित विद्रोह और वास्तविक नरसंहार जल्द ही मलप्पुरम, मंजेरी, पेरिंथलमन्ना, पांडिक्कड और तिरूर के पड़ोसी क्षेत्रों में फैल गया। 20 अगस्त 1921 को इसका आधिकारिक आरंभ और 6 सितंबर को अंत माना गया। लेकिन, इन दंगों के पीछे की मानसिकता का आरंभ 1400 साल पहले हुआ और अंत की प्रतीक्षा में मानवता अब तक है।

सबसे पहले हम आंकड़ों पर नजर डालते हैं।

  • 20 अगस्त, 1921 को जिहाद शुरू हुआ।
  • 26 अगस्त, 1921 को मार्शल लॉ लगा दिया गया।
  • 25 फरवरी, 1922 को इसे वापस ले लिया गया।
  • 30 जून, 1922 को जिहाद की समाप्ति, अंतिम बचे हुए मोपला नेता अबू बकर मुसालियार पकड़ा गया
  • 1921 सितंबर से दिसंबर  तक जिहाद अपने चरम पर था।

बी.आर. आंबेडकर अपनी पुस्तक पाकिस्तान एंड पार्टीशन आफ इंडिया में लिखतें है, “केंद्रीय विधानमंडल में एक प्रश्न के उत्तर में, गृह सचिव सर विलियम विंसेंट ने जवाब दिया- ‘मद्रास सरकार की रिपोर्ट है कि बलात धर्मान्तरण की संख्या संभवत: हजारों तक पहुंच गई है। लेकिन स्पष्ट कारणों से सटीक अनुमान प्राप्त करना संभव नहीं होगा, परंतु इसके अधिक होने की संभावना निश्चित है’  जो जनसंहार पर एक आधिकारिक वक्तव्य था।”

  • 20,800 हिंदू तलवार के जोर पर मारे गए और
  • 4,000 से अधिक हिंदू मुस्लिम बना दिए गए।
  • 39,338 जिहादियों पर मामले दर्ज किए गए और
  • 24,167 जिहादियों पर मुकदमा चलाया गया
  • 2,5000 हिंदुओं को बलात धर्मान्तरित किया गया
  • लाखों को बेघर कर दिया गया था
  • 1,000 से अधिक मंदिरों को नष्ट किया गया

इस जिहाद की शुरुआत में कालीकट और मलप्पुरम के सशस्त्र रिजर्व में 210 जवान थे। जिहाद के दौरान जिले में मालाबार विशेष पुलिस बल का गठन किया गया, जिसमें अंतत: 600 जवान तक हो गए। हिंसा में फौज व मालाबार विशेष पुलिस के करीब 43 जवान मारे गए और 126 घायल हुए।

सर सी. शंकरन नायर की पुस्तक गाँधी एंड अनार्की में बताया है कि जमोरिन महाराजा की अध्यक्षता में कालीकट में हुए सम्मेलन की कार्यवाही से उद्धृत तथ्यानुसार मोपला जिहाद की कुछ विशेषता थी जैसे महिलाओं को बेरहमी से पीटना, जीवित व्यक्तियों की खाल उतारना, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का सामूहिक नरसंहार, पूरे परिवारों को जिंदा जलाना, जबरन हजारों हिंदुओं का कन्वर्जन और जिन्होंने इस्लाम अपनाने से इनकार किया, उनकी हत्या करना, अधमरे लोगों को कुओं में फेंकना और पीड़ितों को मरने और कष्टों से मुक्त होने के लिए संघर्ष करने हेतु छोड़ देना, बड़ी मात्रा में आगजनी और अशांत क्षेत्र के सभी हिंदू घरों को लूटना, जिसमें मोपला महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया। इस लूटमार में महिलाओं के शरीरों पर से वस्त्र भी लूट लिए गए और पूरी गैर-मुस्लिम आबादी को अत्यंत भयंकर पीड़ा देने के  प्रयास किये गए।

हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए अशांत क्षेत्रों में स्थित कई मंदिरों को अपवित्र और निर्ममता पूर्वक नष्ट कर दिया गया। मंदिर के भीतर गोकशी की गई और उनके अवशेष प्रवेश द्वार, मूर्तियों, दीवारों व छतों पर लटका दी गई। कई मुस्लिम नेताओं ने खुद को खिलाफत के राजाओं और राज्यपालों के रूप में स्थापित किया और हिंदुओं के नरसंहार की अगुआई की। अली मुसलियार , वरियनकुन्नथ कुन्हम्मद हाजी राजा और सी.आई. कोया थंगल ऐसे ही उदाहरण हैं।

थंगल ने एक सपाट पहाड़ी की ढलान पर अपना दरबार बना रखा था, जिसके आसपास के गांवों में उसके लगभग 4,000 अनुयायी थे। एक बार 40 से अधिक हिंदुओं को पीछे की तरफ हाथ बांध कर थंगल के पास ले जाया गया। सैन्य मदद के आरोप में इनमें से 38 हिंदुओं को मौत की सजा दी गई। थंगल ने व्यक्तिगत रूप से इस हत्याकांड की निगरानी की और एक चट्टान पर बैठकर अपने अनुयायियों को हिंदुओं का गला काटकर शवों को कुएं में फेंकते हुए देखता रहा। दिलचस्प यह कि उसने 627 ई. में मुहम्मद के अधीन इस्लामिक बलों द्वारा खाई की लड़ाई में बानू कुरैजा नाम की यहूदी जनजाति के विरुद्ध किए गए हत्याकांड की नकल की थी।

जिला पुलिस अधीक्षक आर.एच. हिचकॉक, ने लिखा है, “खिलाफत आंदोलन के नेटवर्क से कहीं अधिक महत्वपूर्ण, मपिल्लाओं के बीच संचार की पारंपरिक प्रणाली थी। यह ऐसा बिंदु था जो हिंदू और मपिल्ला के बीच एक बड़ा अंतर निर्मित करता था। कुछ बाजारों में पूर्ण रूप से मपिल्ला ही मौजूद हैं, और अधिकांश मपिल्ला सप्ताह में कम से कम एक बार शुक्रवार की नमाज के लिए और अक्सर मस्जिदों में अन्य समय पर भी एकत्र होते हैं। इसलिए वे अपनी किसी तरह की सार्वजनिक राय बना सकते हैं और जोड़ सकते हैं, लेकिन यह सारा काम मजहब की आड़ में किया जाता है। इस कारण हिंदू या यूरोपीय लोगों को भी इसके बारे में कुछ भी जानकारी होना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी पड़ने वाले त्योहारों को छोड़कर हिंदुओं के पास ऐसा कोई सामाजिक अवसर नहीं है। मोपलाओं ने अपने आप को विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस कर लिया था”

द इंग्लिशमैन द्वारा 6 अक्टूबर 1921 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है: “कई हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि वेरियनकुनाथ कुन्हम्मद हाजी और चेम्बकास्सेरी थंगल ने फैसला किया है कि विद्रोही मोपलाओं  की दया पर गांवों में रहने वाले सभी हिंदुओं को तब तक मौत के घाट उतार दिया जाना चाहिए जब तक कि वे इस्लाम स्वीकार नहीं करते। ऐसे उदाहरणों का उल्लेख किया गया है जिनमें हिंदुओं को मारे जाने से पहले वास्तव में उन्हें अपनी कब्र खोदने के लिए मजबूर किया गया था।” उसकी क्रूरता की कोई सीमा नहीं थी। सी. गोपालन नायर लिखते हैं: “विद्रोह के फैलने पर वह राजा बन गया, खान बहादुर चेक्कुट्टी, एक मोपला सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक की हत्या के द्वारा अपने राज्याभिषेक का जश्न मनाया, जो अपनी पत्नी की बाहों में कटे सिर के साथ मरे।”

कुंजाहम्मद हाजी के नेतृत्व में मोपलाओं ने निर्दोष हिंदुओं पर अकथनीय अत्याचार किए। दंगों से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था: “लगता है कि विद्रोहियों का मतलब हर पुरुष को उस जगह पर मारना था, जहाँ वे उन्हें पकड़ सकते थे और केवल वे ही बचे थे जो या तो भाग गए थे या छोड़ दिए गए थे।”

तत्कालीन अंतर्राष्ट्रीय  मीडिया आज के पोर्टल्स और अखबारों की तरह उतना पक्षपाती नहीं था, और उन्होंने यथासंभव स्थिति को स्पष्ट रूप से रेखांकित भी किया। द टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, “मालाबार का विद्रोह एक प्रकार से एक ‘पवित्र जिहाद है’। हर जगह हरी पताका लहराई जा रही है और हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण की खबरें आ रही हैं। एक तरफ असहयोग के दीवाने पूर्ण स्वराज की बातें कर रहे हैं और दूसरी ओर पूर्णतया लूटपाट और आगजनी को बढ़ावा दिया जा रहा है।”

होबार्ट से प्रकाशित होने वाला अखबार द वर्ल्ड अपने अक्टूबर के रिपोर्ट में बताता है, “कालीकट में शरणार्थियों की भरमार है, जो मोपला द्वारा किये गए अत्याचारों की हृदयविदारक घटनाओं का वर्णन करते हैं। उनके अनुसार वे अब धर्मांतरण का विकल्प भी नहीं देते, सीधे हिंदुओं का नरसंहार कर रहे हैं।”

इतनी वीभत्स हिंसा के बाद भी मोहनदास गांधी तनिक भी विचलित नहीं हुए, उलटे उन्होंने अपनी अदूरदर्शिता और अपने पाषाण हृदय का परिचय देते हुए कहा, “मोपला की क्रांति हिंदुओं और मुसलमानों के लिए एक परीक्षा के समान है। क्या हिंदुओं की मित्रता इस चुनौती को पार कर सकती है? क्या मुसलमान मोपला के अति विद्रोह को हृदय से स्वीकार सकते हैं? हिंदुओं के अंदर इतनी क्षमता और इतनी दया होनी चाहिए कि वे ऐसे विद्रोह के बाद भी अपने मार्ग पर अडिग रहे।”

मोपला में जो हिंसा, जो नरसंहार हुआ, वो इस स्तर पर हुआ, जिसकी कल्पना मात्र से ही व्यक्ति कांप उठे। इसके वास्तविक आंकड़ों को जुटाना अपने आप में किसी भीष्म प्रतिज्ञा से कम दुष्कर नहीं होता, और उस समय तो कांग्रेस और अंग्रेज़ एक ही सिक्के के दो प्रतिबिंब थे। अगले अंक में हम आपको कांग्रेस, कम्युनिस्टों और राष्ट्रवादी विचारकों के इस नरसंहार पर विचार और उनके विश्लेषण से अवगत कराएंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि कैसे इस वीभत्स, जघन्य नरसंहार को एक कृषि विद्रोह में परिवर्तित करने की दिशा में जमकर लीपापोती की गई।

भाग 1 – मोपला नरसंहार: कैसे टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने मोपला नरसंहार के बीज बोए थे

भाग 2- मोपला नरसंहार: टीपू सुल्तान के बाद मोपला मुसलमानों और हिंदुओं के बीच विभाजन का कारण 

भाग 3- मोपला नरसंहार: 1921 कोई अकेली घटना नहीं थी, 1836 से 1921 के बीच 50 से अधिक दंगे हुए थे

भाग 4- कैसे ओट्टोमन साम्राज्य के विध्वंस ने खिलाफत आंदोलन की नींव रखी जिसके कारण मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार हुआ

Tags: मोपला नरसंहार
शेयर156ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

उरी के 5 साल: वह आतंकी हमला जिसने भारत को हमेशा के लिए बदल दिया

अगली पोस्ट

लिबरलों का दुःस्वप्न हुआ सच, दिल्ली पुलिस प्रमुख राकेश अस्थाना ने संदेहपूर्ण NGO पर कसी नकेल

संबंधित पोस्ट

नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन
इतिहास

जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

14 November 2025

ऐसे समय में जबकि अपने राष्ट्र नायकों को लेकर भारत में राजनीतिक बहसें तेज़ हो रही हैं,  विचारधाराओं की लड़ाई भी पहले से ज़्यादा गहरी...

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण
इतिहास

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

10 November 2025

भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक चेतना और राष्ट्र की आत्मा का उद्घोष रहा है। यह...

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47

This is How China Spread Disinformation After Operation Sindoor

00:06:27

How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

00:04:31
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited