हाल ही में हमें देखने को मिल रहा है कि कैसे अफगानिस्तान में आतंकियों ने शासन पर आधिपत्य स्थापित किया है। तालिबान जिस प्रकार से अफगानिस्तान की जनता पर अत्याचार ढा रहा है, वो किसी से नहीं छुपा है। परंतु जहां संसार के अनेक देश तालिबान और उसकी विषैली सोच पर हमलावर होने से बच रहे हैं, तो वहीं पूर्व अमेरिकी सांसद और सत्ताधारी डेमोक्रेट पार्टी की सदस्य तुलसी गबार्ड ने ट्वीट में कट्टरपंथी इस्लाम की ओर स्पष्ट उँगलियाँ उठाते हुए उसकी निंदा भी की और विश्व को कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध अधिक आक्रामक होने का सुझाव भी दिया।
अपने ट्वीट में तुलसी गबार्ड ने सुझाव देते हुए लिखा कि, “स्मरण रहे कि यह कट्टरपंथी इस्लाम की विचारधारा ही है जिसके कारण आतंकी हमलों को बढ़ावा मिला है, और अमेरिका के विरुद्ध 9/11 के जरिए ‘जिहाद’ की घोषणा की गई थी।”
Let us #NeverForget that it was the Islamist ideology which inspired the terrorist attacks and declaration of war against America on 9/11. And it is this Islamist ideology that continues to fuel terrorist attacks around the world and …
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) September 11, 2021
लेकिन तुलसी वहीं पे नहीं रुकी। अपने ट्वीट में उन्होंने आगे लिखा, “इसी कट्टरपंथी इस्लाम के कारण पाकिस्तान, तुर्की, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों का सृजन हुआ, जो आज भी गैर मुस्लिमों, विशेषकर ईसाइयों, हिंदुओं, बौद्धों और नास्तिकों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण नीतियों का पालन करते हैं।”
Let us #NeverForget that it was the Islamist ideology which inspired the terrorist attacks and declaration of war against America on 9/11. And it is this Islamist ideology that continues to fuel terrorist attacks around the world and …
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) September 11, 2021
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जहां एक तरफ तालिबान और अफगानिस्तान में उसकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाने के लिए बीबीसी जैसे चैनल अपने ही निमंत्रित पैनलिस्ट को भगा रहे हैं, तो वहीं पर अमेरिका में सत्तासीन डेमोक्रेट पार्टी की एक पूर्व सांसद अपनी पार्टी के आधिकारिक रुख के ठीक विपरीत जाकर आतंक के मूल स्त्रोत पर उंगली उठा दे, ये सबको थोड़ी न पचेगा। हुआ भी वही, और अमेरिका के वामपंथियों और कट्टरपंथी मुसलमानों ने तुलसी गबार्ड को सत्य बताने के लिए ‘आड़े हाथों’ लेना शुरू कर दिया।
एक यूजर ने ट्वीट किया, “कुछ चरमपंथियों के कृत्यों के कारण हम पूरे धर्म पर दोष नहीं डाल सकते। अमेरिका में बहुत से ईसाई चरमपंथी हैं, तो क्या पूरा ईसाई धर्म आतंकवादी समर्थक है?”
https://twitter.com/Multi_Nebula27/status/1436772839919661058
एक कथित कॉमेडियन फ़्रांसएस्का फिओरेनटिनी ने तुलसी पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, “एक समय था जब लोग आपको प्रगतिशील मानते थे।”
Lol remember when people thought you were progressive?
— Francesca Fiorentini (@franifio) September 11, 2021
डेविड वीसमैन ने तुलसी गबार्ड पर हमलावर होते हुए ट्वीट किया, “आप को हो क्या गया है? यह कट्टरपंथी इस्लाम नहीं, ये चरमपंथ है, और आपको पूरे इस्लामिक समुदाय से माफी माँगनी चाहिए।”
https://twitter.com/davidmweissman/status/1436780808749125633
वहीं दूसरी ओर अल जज़ीरा के लिए काम करने वाली पत्रकार सना सईद ने तुलसी के बयान को हिन्दुत्व से जोड़ते हुए ट्वीट किया था कि, “उन लोगों को मेरा नमन, जिन्होंने इस गब्बार्ड के हिन्दुत्व फासीवाद को ‘नष्ट’ करने में सहायता की’। हालांकि, उन्होंने ट्वीट को डिलीट कर दिया।
दुनिया भर में Islamist विचारधारा आतंकवादी हमलों को बढ़ावा दे रही है: तुलसी गबार्ड
— Mahima Pandey (@Mahimapandey90) September 12, 2021
जब इतने लोग आपके बयानों के विरुद्ध एक भी ठोस तर्क न निकाल पाए और केवल आपको नीच दिखाने पर तुले हुए हों, तो आप समझ जाइए कि आपने निश्चित ही कुछ न कुछ सही बोला है। यही बात तुलसी गबार्ड पर भी लागू होती है, जो सत्ताधारी डेमोक्रेट पार्टी की होकर भी निरंतर तुष्टीकरण की राजनीति के विरुद्ध अपनी आवाज उठाती रही है। उदाहरण के लिए इस वीडियो को देखिए।
Hindus & religious minorities in Bangladesh continue to be targeted & persecuted, as they have been since 1971 when the Pakistani army systematically murdered, raped & drove from their homes millions of Bengali Hindus because of their religion & ethnicity. pic.twitter.com/4DVWibzrkT
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) April 2, 2021
इस वीडियो में तुलसी ने स्पष्ट तौर 1971 में हुए ऑपरेशन सर्चलाइट और उसके अंतर्गत बंगाली हिंदुओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिसकी ओर बड़े-बड़े बुद्धिजीवी जानते हुए भी ध्यान नहीं देते। ऐसे में तुलसी गबार्ड ने अपने वर्तमान ट्वीट से एक बार फिर बताया है कि किस प्रकार से कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध आक्रामकता से जवाब देना चाहिए।