7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद से लोकप्रतिनिधी के रूप में कार्य करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 20 वर्ष हो गए हैं। प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के आधे से अधिक सफर को नरेंद्र मोदी ने पूर्ण कर लिया है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के पूर्व वह गुजरात में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
20 years of Narendra Modi “The Leader” – 7 Badass skills you can learn from him (a thread)
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) October 7, 2021
नरेंद्र मोदी का मुख्यमंत्री के रूप में कार्य देखने के बाद ही बहुत लोगों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया था कि वह भारत के भावी प्रधानमंत्री हैं। गुजरात मॉडल को जिस प्रकार से प्रदेश में लोकप्रियता मिली उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर ही मोदी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर शासन चलाने की बातें शुरू होने लगी। 2012 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यह बात बड़े स्तर पर शुरू हो गई कि क्या गुजरात के मुख्यमंत्री को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश स्वीकार करेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने तक के सफर में वह एक भी चुनाव में हारे नहीं हैं। एक बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी दूसरे कार्यकाल में वापसी करने वाले वह पहले गैर कांग्रेसी नेता हैं। पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद 5 साल सफलतापूर्वक कार्य करने के उपरांत अगले चुनाव में अपनी सीट बढ़ा कर वापस संसद में आने वाले वो पहले नेता हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो गाथा उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है, वह है उनकी दूरदृष्टि और अपने विरुद्ध हो रही आलोचना को अपने पक्ष में मोड़ने की कला। अपनी दूरदृष्टि के कारण ही वह पिछले 20 वर्षों से लगातार अपनी लोकप्रियता में वृद्धि करते जा रहे हैं।
जब प्रधानमंत्री के विरुद्ध चुनावी अभियान के दौरान राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया, तो प्रधानमंत्री मोदी ने मैं भी चौकीदार अभियान शुरू करके चुनाव का रुख बदल दिया। मणिशंकर अय्यर द्वारा उन्हें नीच व्यक्ति कहे जाने का भी प्रधानमंत्री ने अय्यर की अभद्रता का जवाब न देकर उनकी कही बातों को सफलतापूर्वक अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बना लिया।
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किंतु केवल राजनीतिक सूझबूझ ही एकमात्र विशेषता नहीं है जो मोदी को बाकि नेताओं से अलग करती है। सबसे बड़ी बात जो प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व को प्रभावी बनाती है वह है उनकी राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति। उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला हो या पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक का फैसला हो या उत्तर प्रदेश चुनाव के ठीक पहले नोटबंदी जैसा कठिन निर्णय हो। प्रधानमंत्री अपने फैसलों को लेकर संशय में नहीं रहे हैं।
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इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिसी मेकिंग की क्षमता संभवत वर्तमान भारत के किसी भी राजनेता से अच्छी है। उनकी प्रबंधन कुशलता के कारण ही उन्हें लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी दोनों वरिष्ठ नेताओं द्वारा राम रथ यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण दायित्व दिए गए। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात को अपनी पॉलिसीमेकिंग के जरिए नरेंद्र मोदी ने एक आदर्श उद्योगप्रिय‛बिजनेसफ्रेंडली’ राज्य बनाया।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की छवि एक पूँजीपतियों के समर्थक नेता की थी, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने लोक कल्याण के लिए कई सारी योजनाएं शुरू की। प्रधानमंत्री बनने के बाद जहां दूसरे राजनेताओं का उद्देश्य बड़े और दिखावे पूर्ण कार्यों को पहले करने का होता है नरेंद्र मोदी ने हर घर शौचालय गैस कनेक्शन जैसी छोटी-छोटी जरूरतों पर ध्यान दिया। लोगों को जीरो बैलेंस पर खाता खोलने की सुविधा देकर पूरे भारत को बैंकिंग सेक्टर से जोड़ा गया। उनकी लोक कल्याणकारी योजनाओं का परिणाम यह हुआ है कि विपक्ष द्वारा लगातार प्रधानमंत्री पर अदानी अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया जाता है किंतु इसका आम जनमानस के ऊपर प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने किस प्रकार के आर्थिक सुधार लागू किए हैं, PLI योजना से लेकर आत्मनिर्भर अभियान तक जिस प्रकार से एक के बाद एक नई युगांतरकारी योजनाएं ला रहे हैं उनसे निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था का कायाकल्प हो सकता है।
विदेश नीति के मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी की सफलता सर्वविदित है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारत का कद वैश्विक स्तर पर बहुत ऊंचा उठा है। भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन का विकल्प बनने को तैयार है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भारत अमेरिका के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभा रहा है, वहीं दूसरी ओर फ्रांस जैसे देशों के साथ मिलकर भारत बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के लिए भी कार्य कर रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन के दौरान देश में वैचारिक विमर्श के पूरे ढांचे में बदलाव आ चुका है। एक समय भारतीय समाज स्वयं को पंथनिरपेक्ष सिद्ध करने की सनक में इस हद तक पागल था की अनावश्यक ही मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति में पिस रहा था। एक ऐसे विकृत समाज में हिंदुत्व को फैशन बनाने में प्रधानमंत्री मोदी का बहुत बड़ा योगदान है।
इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लंबे समय तक एक ऐसे नेता के रूप में याद रखा जाएगा जिसने अपने शासन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को व्यापक रूप से प्रभावित किया।