अमित शाह की बिना बुलेटप्रूफ जैकेट कश्मीर यात्रा प्रशंसनीय है परंतु अब वास्तविक कार्रवाई भी आवश्यक है

अलगाववादियों को जमकर लगाई लताड़!

अमित शाह कश्मीर

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जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं और हिंदुओं की टारगेट किलिंग के बीच मोदी सरकार पर सर्वाधिक सवाल खड़े किए गए। कभी कश्मीरी पंडितों की घर वापसी पर सवाल खड़े किए जाते हैं, तो कभी अलगाववादियों और पाकिस्तान से बात करने के प्रस्ताव भी सामने आए। ऐसे में देश के गृहमंत्री अमित शाह का जम्मू-कश्मीर का त्रिदिवसीय दौरा अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। जनसभा में उनकी सुरक्षा में लगी बुलेट प्रूफ ग्लासशील्ड को लेकर शाह का गुस्सा भी देखने को मिला। उन्होंने इस मौके पर पाकिस्तान से बात करने का प्रस्ताव देने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला को लपेटे में ले लिया है। स्पष्ट है कि अमित शाह अपने पुराने तेवर में दिख रहे हैं, लेकिन केन्द्र शासित प्रदेश की वर्तमान स्थिति को लेकर ये आक्रामकता और अधिक होनी चाहिए, क्योंकि अराजकता का सीधा फ़ायदा पाकिस्तान ही उठा सकता है।

जम्मूकश्मीर में अमित शाह

जम्मू-कश्मीर में गृहमंत्री अमित शाह के त्रिदिवसीय दौरे को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिस पर TFI पहले भी एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पेश कर चुका है। जम्मू-कश्मीर में गृहमंत्री शाह पीड़ित लोग एवं सुरक्षा व्यवस्था में तैनात सीआरपीएफ और सेना के जवानों से मिल रहे हैं, अपितु वो राजनेताओं की जमकर क्लास भी ले रहे हैं। अनुच्छेद-370 हटने के बाद पहली बार श्रीनगर पहुंचे शाह ने फारुख अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के पाकिस्तान समर्थक बयानों को लेकर मंच से उन्हें लताड़ा है। अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पाकिस्तान से किसी भी कीमत पर कोई बातचीत नहीं होने वाली है।

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सफल होते दिखेंगे प्रयास

अमित शाह ने फारुख अब्दुल्ला के पाकिस्तान से बात करने वाले बयान को लेकर कहा, मैंने अखबारों में पढ़ा है कि फारूक अब्दुल्ला ने सुझाव दिया है कि सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। उन्हें अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन हम कश्मीरी युवाओं से बात करना पसंद करेंगे। हम उनसे बात करेंगे जो पीड़ित हैं।

उन्होंने कहा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का केवल एक ही इरादा थाकश्मीर, जम्मू और नवनिर्मित लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश) को विकास के रास्ते पर लाना। आप 2024 तक हमारे प्रयासों का फल देखेंगे।

हटवा दिया बुलेट प्रूफ बॉक्स

आपको बता दें कि 90 के दशक में जब आतंकी लगातार जम्मू-कश्मीर में हिंसा का तांडव कर रहे थे, तो उस दौरान भी तत्कालीन भाजपा नेता नरेंद्र मोदी (जो अब देश के पीएम बन चुके हैं) ने आतंकियों को ललकारा था कि वो लाल चौक पर तिरंगा लहरा कर दिखाएंगे और उन्होंने इस ललकार को अंज़ाम भी दिया था। अमित शाह ने अपनी राजनीति नरेंद्र मोदी से ही सीखी है, तो उनका रवैया भी कुछ वैसा ही है। श्रीनगर में जनसभा को संबोधित करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा एक विशेष बुलेट प्रूफ ग्सालशील्ड बनाई गई थी, लेकिन उसे देखते ही अमित शाह भड़क गए। उन्होंने बुलेट प्रूफ ग्लासशील्ड को हटवा दिए या। उन्होंने कहा, मैं जनता से सीधे बात करना चाहता हूं। अमित शाह अपने इस दौरे में उन मृतकों के परिजनों से भी मिलें, जिन्होनें टारगेट किलिंग में अपनों को खोया है। वहीं, शाह सीआरपीएफ के जवानों के कैंप में भी गए थे।

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आवश्यक है ये आक्रामकता

गृहमंत्री का ये त्रिदिवसीय दौरा बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये ऐसा वक्त है, जब आतंकी गतिविधियों में विस्तार हुआ है और हिंदुओं की पहचान करके उन्हें मारा जा रहा है।‌ इसके कारण राज्य में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की संभावना काफी ज्यादा है। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह की ये आक्रामकता बेहद सकारात्मक दिखती है, जिसे अधिक धार देने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करनी है, तो आतंकियों का सफाया तो आवश्यक है ही, साथ ही राजनेताओं के अलगाववादी बयानों की भी काट करनी ही होगी।

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