“दुनिया की फैक्ट्री” के रूप में मशहूर चीन से यह उपाधि जल्द ही छीनने वाली है। चीनी प्रशासन के तानाशाही रवैया, ऊर्जा संकट और अब निवेशकों का मतभेद जल्द ही चीन को “दुनिया की फैक्ट्री” के तमगे से वंचित कर देगा। खबर यह है कि चीन से दुनिया की बड़ी कम्पनियां बाहर जा रही है, जिससे चीन की मुश्किलें बढ़ी गयी हैं। इस सूची में दुनिया की सबसे ज्यादा मार्किट कैपिटल वाले एप्पल के साथ-साथ तकनीकी दिग्गज टेस्ला भी शामिल है। इससे भी जरूरी चीज यह है कि चीन से बाहर निकलने पर यह सारी कम्पनियां अब भारत को वैकल्पिक मार्ग के रूप में देख रही है। एप्पल और टेस्ला अब भारत में उत्पादन करने का फैसला कर रहे हैं।
भारत में आ रही है प्रभावित कम्पनियां
चीन में ऊर्जा संकट और चीन की नीतियों से परेशान एप्पल और टेस्ला जैसी कम्पनियां भारत आ रही है। इस साल भारत में दो बड़े निवेश टेस्ला और ऐप्पल की ओर से आने की उम्मीद है। यह कदम दुनिया के नक्शे पर देश को एक ब्रांड के रूप में उठाने का काम करेगा और चीन की कमर तोड़ देगा। यह कदम तकनीक और ऑटो क्षेत्रों में चीन पर निर्भरता को समाप्त कर देगा। यह बदलाव अभी तक जमीन पर असर दिखाना शुरू कर देता लेकिन कोरोना महामारी और वैश्विक चिप की कमी के कारण देरी हुई है। बहरहाल, दोनों दिग्गज कंपनियां अब अगले साल अपनी भारत निर्माण कहानी को फिर से लिखने का लक्ष्य बना रही हैं।
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एलन मस्क और टिम कुक दोनों ने ही देश में धमाकेदार एंट्री की घोषणा की है। मस्क चाहते हैं कि उनकी इलेक्ट्रिक कारें घरेलू सड़कों पर चले, जबकि कुक ने देश में अधिक ऐप्पल उत्पादों को असेंबल करने/बनाने पर जोर देने के साथ-साथ पहला ब्रांडेड रिटेल स्टोर (मुंबई में) खोलने की घोषणा की है।
काउंटरपॉइंट के रिसर्च एनालिस्ट सौमेन मंडल के मुताबिक भारत जल्द ही सबसे बड़े EV बाजारों में से एक बन जाएगा और टेस्ला भी इस बात को जानता है। मंडल ने कहा, “कोई भी बड़ा वाहन निर्माता भारत के बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने का अवसर नहीं छोड़ना चाहता है। टेस्ला इस मामले में अपवाद नहीं है। संसाधनों की सस्ती उपलब्धता और कम श्रम लागत टेस्ला के साथ-साथ अन्य वाहन निर्माताओं को भी कमाई करने का माहौल देगा। यदि वे स्थानीय विनिर्माण या असेंबली प्लांट स्थापित करते हैं तो अधिक लाभ होगा।”
गौरतलब है कि भारत के उभरते बाजार और मजबूत हो रहे मध्यम आय वर्ग से इन कम्पनियों को बहुत लाभ होगा। भारी निवेश से भारत में रोजगार के अवसर बनेंगे और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। अब विश्व पटल पर चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर भारत की स्थिति मजबूत होती दिख रही है। वहीं, चीन की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है।
चीन, ऊर्जा संकट और दिग्गज कम्पनियां
किसी भी राष्ट्र के लिए अपने नागरिकों की आपूर्ति करने लायक बिजली न बना पाना बड़ी समस्या है। उससे भी बड़ी समस्या यह है कि चीन, जो उत्पादन का केंद्र रहा है उसको भी बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। चीन बिजली खपत को कम करने के लिए तमाम नई नीतियों को लागू कर रहा है, इन नीतियों के केंद्र में एमिशन इंटेंसिटी यानी उत्सर्जन तीव्रता कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
चीन की इन नीतियों से बड़ी कम्पनियां परेशान है। Apple के आपूर्तिकर्ता Unimicron Technology Corp ने कहा है कि चीन में उसकी तीन सहायक कंपनियों को “स्थानीय सरकारों की बिजली सीमित करने की नीति का पालन करने” के लिए 26 सितंबर की दोपहर से 30 सितंबर की मध्यरात्रि तक उत्पादन बंद करना पड़ा था। कंपनियों द्वारा उत्पादन को अस्थायी रूप से रोक देने से नवीनतम आईफोन-13 सीरीज सहित इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को पीक सीजन के दौरान आपूर्ति-श्रृंखला उपलब्ध कराने में समस्या हो सकती है।
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रिपोर्ट तो यह भी है कि फॉक्सकॉन के सहयोगी ईसन प्रिसिजन इंजीनियरिंग ने रविवार से शुक्रवार तक चीनी शहर कुशान में अपने उत्पादन को निलंबित कर दिया है। थर्मल पॉवर से बिजली उत्पादन करने वाले चीन को कोयले की कमी से जूझना पड़ रहा है। दूसरी ओर चीन ने ऑस्ट्रेलिया के कोयले पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।
मॉर्गन स्टेनली ने अपने ग्राहकों को एक नोट लिखकर बताया है कि चीन में स्टील, एल्युमीनियम और सीमेंट उद्योग बिजली की कमी से प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने उत्पादन पर अंकुश लगाना पड़ा है। चीन की एल्युमीनियम उत्पादन क्षमता में 7 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि उसकी सीमेंट उत्पादन क्षमता का 29 प्रतिशत चीन में चल रहे बिजली संकट से प्रभावित हुआ है।
भारत के लिए राहत भरी खबर
बताते चले कि चीन में गहराए ऊर्जा संकट और चीनी सरकार की नीतियों के कारण कई बड़ी कंपनियों का व्यापार काफी प्रभावित हुआ है। ऐसे में चीन में व्यापार कर रही बड़ी कंपनियां अब दूसरे देशों का रुख करने लगी हैं। एप्पल और टेस्ला समेत कई कंपनियां भारत में अपने व्यापार को शिफ्ट करेंगी। बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के कारण वैश्विक कंपनियां भारत को अपने विकल्प के रुप में देख रही है। भारत के लिए भी यह काफी राहत भरी खबर है कि वैश्विक कंपनियां भारत में अपना व्यापार जमा रही है। इससे देश में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी और देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।