बचपन में हमने एक मुहावरा अपने पुस्तकों में कहीं न कहीं अवश्य पढ़ा होगा, हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और। ये मुहावरा आजकल उन बिग टेक कंपनियों पर चरितार्थ होता है, जो बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करेंगे, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर लंबा चौड़ा भाषण देंगे, परंतु जब इसे लागू करने की बात आएगी, तो बगलें झाँकते फिरेंगे। चीनी अफसरों के एक फरमान पर बिना किसी विरोध के एप्पल ने अपने एप स्टोर से कुरान और बाइबल से संबंधित एप हटवा दिए, क्योंकि कम्युनिस्ट चीन के लिए इनका उल्लेख भी असहनीय है।
चीन ने हटवाये एप्पल के एप स्टोर से कुरान और बाइबल के एप
वो कैसे? असल में चीन ने अपने देश में स्थित एप्पल (Apple) कम्पनी के एप स्टोर से कुरान मजीद के एप को हटवा दिया है। एप्पल ने यह एक्शन चीन सरकार द्वारा किए गए निवेदन के बाद लिया। इस समय इस एप पर लगभग डेढ़ लाख रिव्यू हैं एवं एप स्टोर से इसके हटाए जाने के समय इस ऐप के केवल चीन में ही 1 मिलियन से अधिक यूज़र्स हो चुके थे। परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है, चीन ने बाइबल के एप पर भी कार्रवाई की है, जिससे स्पष्ट होता है कि कम्युनिस्ट चीन किस हद तक ‘ईश्वरहीन’ होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है l
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुरान एप पर यह एक्शन कथित तौर पर ‘अवैध धार्मिक सामग्री’ के चलते लिया गया है। एक आँकड़े के अनुसार, चीन से हटाए गए कुरान मजीद एप के वर्तमान समय में दुनिया भर में लगभग साढ़े 3 करोड़ यूजर हैं, जिसमें से 1 मिलियन चीन से ही आए थे। इस कार्रवाई की जानकारी सर्वप्रथम एप्पल सेंसरशिप नामक वेबसाइट ने दी थी।
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बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया
इस कदम से दो बातें स्पष्ट होती है। एक तो यह कि चीन अपनी बात मनवाने के लिए किस स्तर तक जा सकता है और दूसरी ये कि अपने लाभ के लिए कुछ कंपनियां अपने कथित आदर्शों की किस हद तक बलि चढ़ाने को तैयार है। जब इन्ही बिग टेक कंपनियों को चीन में हो रहे उईगर मुसलमानों के विरुद्ध अत्याचार के खिलाफ़ कुछ बोलना हो, तो अपने आप ये मौन व्रत धारण कर लेते हैं, क्योंकि धन के सामने आदर्श और रिश्ते किस काम के?
ऐसे में एप्पल के इस कदम को कई लोगों ने ‘Islamophobia’ तो करार दिया ही, परंतु साथ ही एप्पल को उसके दोहरे मापदंडों के लिए निशाने पर भी लिया है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन के मुस्लिम एसोसिएशन ने ट्वीट किया, “कुरान कोई ‘गैर कानूनी धार्मिक पुस्तक’ नहीं है। ये चीन द्वारा मुस्लिमों को दबाने की चाल है। एप्पल को इस घृणित प्रयास में ऐसे निर्णय लेकर चीन का साथ नहीं देना चाहिए और न ही इस्लाम के विरुद्ध नफरत को बढ़ावा देना चाहिए” –
The Qur'an is not an "illegal religious text" and this is just another Islamophobic attack on Muslims in China by the Chinese gov.@apple should not be pandering to oppressive regimes and enabling Islamophobia and cultural genocide.https://t.co/2AEDelvtbV
— Muslim Association of Britain (MAB) (@MABOnline1) October 15, 2021
इसी क्रम में मुस्लिम प्रवक्ता और फ़िल्मकार फिदेल सोलीमेन (Fadel Soliman) ने एप्पल के इस कदम को शर्मनाक बताया है। उसने ट्वीट कर कहा, “एप्पल, तुम तो चीन के सामने नतमस्तक हो रहे हो, जबकि तुम्हें ज्ञात है कि यह पुस्तक दुनिया के 25 प्रतिशत अनुयाइयों की धार्मिक पुस्तक है” –
@Apple shame on you prostituting yourselves by taking the Quran app down in China when you know so well that it is the Holy Book of about 25% of the population of this world. Man up and return it back. https://t.co/QfyFlRxA8X
— Fadel Soliman (@FadelSoliman) October 15, 2021
अब विरोध में कुंठा चाहे जितनी भरी हो, पर इन दोनों ट्वीट्स में दोनों पक्षों ने एप्पल को उसके दोहरे मापदंडों के लिए निशाने पर लिया है। एप्पल मानवाधिकार की काफी दुहाई देता है और पिछले वर्ष से ही वह नस्लभेद के विरुद्ध एक मुखर अभियान चलाने का दावा करता आया है।
परंतु जब बात चीन में उईगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाने की आती है, तो हर बिग टेक कंपनी की भांति एप्पल को भी सांप सूंघ जाता है। जिस प्रकार से चीन के एक फरमान पर एप्पल ने बिना किसी विरोध के कुरान और बाइबल संबंधी एप्स को हटवाया, उससे स्पष्ट संदेश जाता है कि वह अपने निजी लाभ के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, चाहे इसके लिए अपने ‘आदर्शों’, अपने छवि की बलि ही क्यों न चढ़ानी पड़े। लेकिन जैसे कार्यकुशलता पर एप्पल की हाल ही में एक प्रदर्शन के चलते पोल खुल रही है, वैसे ही अभी अन्य मामलों पर भी एप्पल की पोल खुलनी बाकी है और चीन द्वारा एप्पल पर एप स्टोर से कुरान और बाइबल के एप हटवाने का दबाव बनाना तो बस प्रारंभ है।