पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की प्लानिंग सदैव ही चीन के जरिए भारत को परेशान करने की रही है, संभवतः इसीलिए पाकिस्तान ने चीन के प्रत्येक प्रस्ताव को अपनी स्थितियों को बिना जाने-समझे स्वीकार कर लिया। पाकिस्तान चीन को एक मित्र की नजर से देखने के साथ ही उससे आर्थिक लाभ लेने के प्रयास करता रहा, लेकिन उसकी ही आर्मी के आतंक से परेशान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने अब पाकिस्तान और चीन के बीच दरार पैदा कर दी है। पाकिस्तान में लगातार चीनी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे चीनी मजदूरों एवं इंजीनियरों पर हो रहे आतंकी हमले के बाद चीन भड़क गया है। इससे न केवल दोनों देशों के रिश्तों में फर्क पड़ा है, अपितु अब चीन, पाकिस्तान से अपने नुकसान की भरपाई के लिए 38 मिलियन डॉलर का मुआवजा तक मांग रहा है, जो कि पाकिस्तान के लिए ‘गरीबी में आटा गीला’ होने वाली कहावत को दर्शाता है।
चीन ने मांगा मुआवजा
चीन ने पाकिस्तान में अपनी विस्तारवादी नीति के तहत अनेकों बहुउद्देश्यीय प्रोजेक्ट्स शुरु किए, पाकिस्तान को उम्मीद थी कि उससे आर्थिक लाभ होगा और भारत के खिलाफ स्थितियां मजबूत होंगी। इसके विपरीत आंतरिक कलहों के कारण आए दिन पाकिस्तान में आंतकी हमले होते रहते हैं। इन हमलों में अनेकों चीनी नागरिकों व कामगारों की भी मौत हुई है, जिसको लेकर अब चीन ने पाकिस्तान से करीब 38 मिलियन डॉलर के मुआवजे की मांग की है। पाकिस्तान में दासू डैम हादसे में मारे गये चीनी इंजीनियरों के बदले चीन ने पाकिस्तान से मुआवजे के तौर पर एक मोटी रकम मांगी है, जो पाकिस्तान के लिए एक आर्थिक स्ट्राईक की तरह ही है।
और पढ़ें- चीन ने भारत को पहले धमकाया, फिर उसकी सैन्य और आर्थिक शक्ति की सराहना भी की
खबरों के मुताबिक इसी वर्ष चीनी इंजीनियरों को ले जा रही एक बस पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें चीन के 9 इंजीनियरों के साथ दो स्थानीय लोग और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के दो जवानों की मौत हो गई थी और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिसको लेकर अब चीन भड़का हुआ है। चीन द्वारा पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी गई है कि जब तक मुआवजे की रकम नहीं दी जाएगी, तब तक पाकिस्तान के दासू डैम का काम शुरु नहीं होगा।
वहीं, इस पूरे प्रकरण पर झटका खाने के बाद पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव डॉ शाहजेब खान बंगश ने कहा, “चीन ने जुलाई महीने में चीनी इंजीनियर्स पर हुए हमले के बाद परियोजना का काम बंद कर दिया है।” पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने इस मुद्दे पर एक समिति का गठन किया है, जो कि चीन को पैसे देने पर भविष्य की संभावित स्थिति पर विचार कर रही है। वहीं, इस समिति ने चीन की मुआवजे की मांग को तर्कहीन बताया है, जो कि पाकिस्तान की मानसिकता को दर्शाता है।
बलूचों ने नाक में कर रखा है दम
चीन और पाकिस्तान के बीच आई इस दरार की मुख्य वजह बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ही है, जो कि पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए आत्याचारों एवं एक स्वतंत्र राष्ट्र की मांग के मुद्दे पर अब सशस्त्र आंदोलन चला रही हैं। ये सभी चीन द्वारा हो रहे इनके इलाकों पर कब्जे से इस कदर भड़के हुए हैं कि अब ये लोग आतंकी हमलों को भी अंजाम देने लगे हैं। ऐसे मे लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए चीन ने अपने पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक जाने वाले सी-पैक के प्रोजेक्ट को कराची की ओर शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है, जो दिखाता है कि पाकिस्तान से अपनी आंतरिक सुरक्षा तक नहीं संभल रही है।
पाक के पास कहां से आएगा पैसा
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बुरी है कि वहां के जो नागरिक खाने के लिए भोजन मांग रहे हैं, उन्हें कम खाना खाने की सलाह दी जा रही है। इसके विपरीत तालिबान के बीच अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए इमरान खान ने पाकिस्तान में शरीयत को लागू करने के संकेत भी दिए हैं। आर्थिक मोर्चे पर पहले ही पाकिस्तान, चीन के कर्ज तले दबा हुआ है, ऐसे में यदि अब उसे 38 मिलियन डॉलर चीन को देने पड़ते हैं, तो ये निश्चित है कि पाकिस्तान के आम लोगों की जिंदगी महंगाई और भुखमरी के कारण बद से बदतर हो जाएगी, और हास्यासपद बात ये भी है कि इस स्थिति में भी पाकिस्तान को मदद मांगने के लिए पुनः चीन के सामने ही कटोरा लेकर जाना होगा।