शरजील इमाम की जमानत याचिका रद्द कर दिल्ली कोर्ट ने किया ‘Islamoleftists’ का रुदाली मोड ऑन

“देश में फ्री-स्पीच के नाम पर दंगा भड़काने की छूट नहीं”

शरजील इमाम जमानत

Source- Google

आदमी जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन देश के टुकड़े करने की बात करने वालों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। ये सारी बातें दिल्ली की साकेत कोर्ट में JNU के छात्र शरजील इमाम द्वारा देश के नार्थ ईस्ट राज्यों, अर्थात चिकन नेक को काटने की बात करने के मुद्दे पर कही गई है। भारतीय संप्रभुता को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर नुकसान पहुंचाने की बात कह चुके जेल में बंद शरजील इमाम ने जमानत याचिका लगाई थी, लेकिन अदालत ने इसे कुछ ही पलों में खारिज कर दिया। जिसके बाद से वामपंथी सोशल मीडिया पर रोना रो रहे हैं और कोर्ट के निर्णय के विरोध में जहर उगल रहे हैं।

दरअसल, मोदी सरकार ने जब CAA कानून पारित कराया था, तो देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश की संप्रभुता तक को चुनौती दी गई थी। उस दौरान देश, दंगों का भी दंश झेल चुका था। ऐसे में कुछ लोगों ने CAA के विरोध के बहाने देश तोड़ने की बात तक कर डाली। JNU के छात्र शरजील इमाम ने भी देश की संप्रभुता को चुनौती देते हुए जहर उगला था। नतीजा ये हुआ कि यह शख्स जेल में बंद है और जमानत के लिए फड़फड़ा रहा है। उसने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर याचिका लगाई थी, लेकिन दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर वामपंथियों का दुख सामने आ रहा है।

साकेत कोर्ट ने लगाई लताड़

एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है और देश के चिकन नेक के टुकड़े करने की बात करने वाला शरजील इमाम जेल में बंद है, जो कि एक सकारात्मक पहलू है। हाल ही में शरजील इमाम ने जमानत याचिका लगाई थी, लेकिन दिल्ली की साकेत कोर्ट से उल्टा उसे लताड़ ही मिली है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वामी विवेकानन्द की बातों का उल्लेख करते हुए शरजील इमाम के अपराध को दर्शाया है। कोर्ट ने कहा, हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं, इसलिए इसका ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं, शब्द उतने महत्वपूर्ण नहीं है। विचार जीवंत होते हैं जो दूर तक जाते हैं। 13 दिसंबर 2019 को दिया गया इमाम का भाषण साफसाफ सांप्रदायिक और विघटनकारी है।

और पढ़ेंशरजील इमाम अभी सलाखों के पीछे ही रहेगा, पुलिस कुछ दिन और उसकी हड्डियों की खुजली मिटाएगी

सांप्रदायिक और विघटनकारी है इमाम का बयान

दिल्ली की साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल ने इमाम की याचिका खारिज करते हुए कहा, “शरजील इमाम के भाषण पर सरसरी निगाह डालने भर से साफ हो जाता है कि उनका भाषण सांप्रादायिक और विभाजनकारी लाइन पर था। यह समाज के सौहार्द और शांति के लिए ठीक नहीं था।” अभिव्यक्ति की आजादी पर देश में कुछ भी ऊल-जलूल बोलने को लेकर कोर्ट ने कहा, संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत सबको अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन उसी संविधान ने पब्लिक ऑर्डर के आधार पर अपराध के लिए भड़काने पर तार्किक प्रतिबंध भी लगाया है। इसलिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का इस्तेमाल शांति और सांप्रदायिक सौहार्द की कीमत पर नहीं किया जा सकता।

पाकिस्तान से मिल रहा समर्थन

शरजील पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से जेल में है, वहीं इस मौके पर एक बार फिर वामपंथियों का दर्द सामने आया है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर तो इमाम को बेल मिल ही जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बेल याचिका खारिज होने के बाद शरजील को पाकिस्तान तक से समर्थन मिल रहा है। इसको लेकर पाकिस्तान के शख्स ने ट्वीट किया, मोदी का भारत वास्तव में एक भयानक जगह है। जेएनयू छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम को सीएए के खिलाफ हड़ताल का आह्वान करने वाले भाषण के लिए लगभग 2 साल हो चुके हैं और वो जेल में बंद है। शरजील इमाम को जमानत से वंचित कर दिया गया है। इस बीच, मुसलमानों को पीटने वाले दंगाइयों ने आज़ाद होकर बीजेपी की रैलियों में भाषण दिए हैं।

वामपंथियों की उड़ गई है नीद

शरजील इमाम की जमानत याचिका का खारिज होना वामपंथियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। इसको लेकर रेडियो जॉकी सायमा ने ट्वीट किया, हम जिस समय में रह रहे हैं, उसकी त्रासदी! यह वह भारत नहीं है जिसमें हम पलेबढ़े हैं। शरजील ने केवलचक्का जामके बारे में बात की और वो जेल में है, जबकि यह किसान आंदोलन में भी हो रहा है। अलगअलग लोगों के लिए अलगअलग कानून, स्पष्ट रूप से नफरत के दूतों को पुरस्कृत किया जा रहा है। ये दुखद है।

कोर्ट द्वारा बेल याचिका खारिज किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर इमाम के समर्थन में बयान सामने आने लगे हैं। उसके देश विरोधी बयान की तुलना वामपंथी अपने ट्वीट्स में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बयान से कर रहे हैं, जो कि हास्यास्पद है।

और पढ़ें- शरजील इमाम अभी सलाखों के पीछे ही रहेगा, देशविरोधी भाषण और दंगा भड़काने के लिए पुलिस ने दायर की चार्जशीट

https://twitter.com/rshaikh123/status/1451514956894117889?t=kOmm9IgEoykmRdgJyYzHIg&s=19

वहीं, शरजील समर्थक कोर्ट से मिली लताड़ को भी मोदी सरकार का कारनामा बताकर भड़क रहे हैं, जो कि अजीबोगरीब परिहास का विषय है। इतना ही नहीं, इन वामपंथियों का ये तक कहना है कि पुलिस के पास शरजील के खिलाफ कोई सबूत या गवाह नहीं है, फिर भी उसे जेल में डाला गया है। हालांकि, सर्वविदित है कि शरजील ने चिकन नेक के संबंध में क्या बोला था। शरजील इमाम की जमानत याचिका के खारिज होने के साथ ही एक तरफ वामपंथियों का इमाम के प्रति लगाव पुनः सामने आया है, तो दूसरी ओर साकेत कोर्ट के बयान ने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अभिव्यक्ति की आजादी कहां तक है और किस बिंदु के बाद लगाम लगाई जा सकती है।

Exit mobile version