भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। यह बात धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खेलने वालों को भी समझ लेनी चाहिए। ऐसे ही एक हत्यारे को उम्रकैद की सजा सुनाकर न्याय की मजबूत जड़ को और मजबूत किया गया है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और 4 अन्य को सीबीआई कोर्ट पंचकूला ने पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह हत्याकांड में सोमवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसी के साथ कभी सेवादार, कभी रॉकस्टार तो कभी गॉडमैन का तमगा धारण करने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह अब उम्रकैद में रहेगा।
गुरमीत राम रहीम सिंह को पहले इस मामले में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था और अब उसकी सजा उम्रकैद पर फैसला सुनाया गया है। सोमवार को सजा सुनाई गई है उनमें अवतार सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह हैं। एक आरोपी इंदर सेन की 2020 में सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
अदालत ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर उम्रकैद सहित 31 लाख रुपये, सबदिल पर 1.50 लाख रुपये, जसबीर और कृष्ण पर 1.25 लाख रुपये और अवतार पर 75,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की 50 फीसदी राशि पीड़ित परिवार को जाएगी।
गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम पहले से ही बलात्कार के अपराध में सजा काट रहा है, और अब उसे अपने शिष्य रंजीत सिंह की हत्या का दोषी ठहराया गया है। डेरा प्रमुख, जो 2017 में अपनी दो शिष्यों से बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है, वह वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ, जबकि अन्य चार अदालत में मौजूद थे।
और पढ़ें: त्रिशूल और वज्र: भारतीय सेना अब सनातनी हथियारों से चीनी सेना के छक्के छुड़ाएगी
आपको बतातें चलें कि पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह, जो इस संप्रदाय के अनुयायी भी थे, उनकी 2002 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआई के अनुसार, 10 जुलाई, 2002 को रंजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थ। इसके पीछे का कारण साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी थी। दरअसल, गुमनाम साध्वी ने एक चिट्ठी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी थी जिसमें डेरा प्रमुख द्वारा महिला अनुयायियों के यौन शोषण के मामलों को उजागर किया गया था और राम रहीम को लेकर जांच की मांग की गई थी। इस चिट्ठी से पूर्व रंजीत सिंह अपनी बहन को लेकर अपने घर कुरुक्षेत्र चले गए थे। ऐसे में डेरा प्रबंधन को संदेह था कि रंजीत ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में भी इस बात का उल्लेख है।
बता दें कि इस गुमनाम चिट्ठी को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने सांध्य कालीन समाचार पत्र ‘पूरा सच’में छापा था जिस कारण 24 अक्तूबर 2002 को उनकी हत्या कर दी गई। गुरमीत राम रहीम सिंह को पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा भी मिली थी। डेरा प्रमुख के पूर्व चालक और अभियोजन पक्ष के गवाह खट्टा सिंह ने पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के पीछे की साजिश को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ये अच्छा है कि देर ही सही न्याय हुआ। इससे फर्जी बाबा और मौलवियों को सख्त संदेश गया होगा। यह अपने स्टाइल में धर्म को बेचने के अलावा कुछ नहीं करते हैं और काम भर की जानकारी लेकर कुछ भी बेचते हैं। इनके कृत्य धर्म को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल होते हैं और नई पीढ़ियों पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है। गुरु राम रहीम एक ऐसा ही ठग था जिसने धर्म की आड़ में महिलाओं का शोषण किया था और फिर एक्सपोज होने से बचने के लिए उसकी हत्या करवा दी। उम्मीद है कि ऐसे लोगों से मुक्ति पाकर समाज उन्नत दिशा की ओर जाएगा।