किसान आंदोलन को लेकर पहले से ही राजनीतिक नौटंकियां चल रही हैं। पिछले एक वर्ष से लगातार किसी न किसी विषय को तथाकथित किसानों से सीधे जोड़कर राजनीतिक लाभ लेने के प्रयास किए जाते रहे हैं। किन्तु, अब ये राजनीतिक लाभ विरोध की पराकाष्ठा को पार करते हुए शारदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा में भी दिखने लगे हैं। पश्चिम बंगाल के अधिकतर दुर्गा पूजा पंडालों में किसान आंदोलन से संबंधित थीम पर सजावट की गई हैं। वहीं मां के दरबार में राजनीति की हद तो तब हो गई जब लखीमपुर खीरी की वारदात को प्रतिबिंबित करते हुए एक दुर्गा पूजा पंडाल में चप्पलों से सजावट की गई है। ये संकेत है कि त्योहार के माध्यम से भी अब घृणित राजनीतिक नौटंकी को विस्तार दिया जा रहा है।
दुर्गा पूजा पंडाल में किसान आंदोलन
किसान आंदोलन को लेकर लगातार चल रही नौटंकियों के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में जिस तरह से भाजपा की हार हुई, उसे किसानों के आंदोलन का असर मानकर पेश किया जा रहा है। यद्यपि यथार्थ से इसका कोई लेना देना नहीं है। वहीं अब बंगाल में इस किसान आंदोलन का एक नया रंग दुर्गा पूजा के माध्यम से भी देखने को मिला है, जहां के कई पंडालों में दुर्गा पूजा पंडाल का थीम किसान आंदोलन को ही बनाया गया है। ऐसे में ये माना जा रहा हैं, कि इसमें टीएमसी का पर्दे के पीछे से एक विशेष हाथ हो सकता है, क्योंकि ममता सरकार प्रत्येक दुर्गा पूजा पंडाल की कमेटी को 50 हजार रुपए की धनराशि दे चुकी है। भले ही वो पैसा सरकारी हो, लेकिन राजनीतिक महत्वकांक्षा पालने वाले इन लोगों ने मां दुर्गा तक का अपमान कर डाला।
और पढ़ें- ममता की मुफ्तखोरी राज्य के बुनियादी ढांचे पर पड़ रही भारी, अब सरकार ने PWD बजट में की 60% की कटौती
दुर्गा पंडाल में चप्पल
हिन्दू मंदिरों से लेकर प्रत्येक धार्मिक स्थल के संबंध में ये मान्यता है कि लोगों को किसी भी कीमत पर मंदिर और पंडाल के भीतर चप्पल पहनकर नहीं जाना चाहिए। इसके विपरीत कोलकाता के दमदम इलाके में 21 साल पुरानी भारत चक्र पूजा कमेटी द्वारा बनाए गए दुर्गा पूजा पंडाल में थीम के नाम पर न केवल किसान आंदोलन के अराजकतावादियों को जगह दी गई, बल्कि पंडाल परिसर के पास ही चप्पलों का भी एक थीम बनाया गया, जो कि एक अपमानजनक कृत्य है। लखीमपुर खीरी की वारदात को प्रतिबिंबित करते हुए इस पंडाल में चप्पलों से सजावट की गई। इसको लेकर जब सवाल किया गया है तो इस समिति के एक सदस्य ने तर्क दिया, “जूते एक विरोध प्रदर्शन में लोगों के इकट्ठा होने का प्रतीक है और इससे यह भी उजागर होता है कि कैसे पुलिस की कार्रवाई कभी-कभी प्रदर्शनकारियों को अपनी चप्पल छोड़कर भागने के लिए मजबूर करती है।”
This is atrocious ! A Puja committee in Kolkata has "decorated" their Pandal with slippers !! Said it is a mark of solidarity towards Farmer Protest. So now Maa Durga will be surrounded with chappals in West Bengal.
📷 @ANI pic.twitter.com/6uKoz8xExT— Keya Ghosh (Modi Ka Parivar) (@keyakahe) October 6, 2021
खास बात ये है कि किसान आंदोलन में इस्तेमाल हुए ट्रैक्टर तक का उल्लेख इस पंडाल की सजावट में किया गया है, जिसके साथ ही किसानों के समर्थन वाले अलग-अलग नारों के पोस्टर भी सजाए गए हैं। इसको लेकर समिति के सचिव प्रतीक चौधरी के अपने अलग ही तर्क हैं। उन्होंने इस पूरे मुद्दे को राजनीति से परे हटकर देखने की बात कही है। उन्होंने कहा, “दुर्गा पूजा पृथ्वी पर सबसे महान समारोह में से एक होने के कारण इसे हम अक्सर संदेश देने के अवसर के रूप में लेते हैं। यहां कुछ भी राजनीतिक नहीं है। दुर्गा पूजा पंडाल पंडाल की थीम आमतौर पर समसामयिक विषयों का अनुसरण करती हैं, इसलिए, हमने सोचा कि, चूंकि सदियों से किसानों के कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं और यह सबसे चर्चित विषय है, तो क्यों न इसे पूजा पंडाल का विषय बनाया जाए और किसानों के साथ एकजुटता दिखाई जाए? हमने इस थीम को बनाने के लिए 25-26 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।”
और पढ़ें- ममता ने दुर्गा पूजा पर बैन लगाया था, अब शिवसेना गणेश उत्सव पर बैन लगाने की योजना बना रही!
ये सत्य है कि प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा पंडालों में समसामयिक मुद्दों के थीम को आधार बना कर ही सजावट होती है, किन्तु दमदम के इस पूजा पंडाल में जिस तरह से किसान आंदोलन के संबंध में सजावट हुई है, वो कहीं-न-कहीं टीएमसी की राजनीति से प्रेरित दिखता है, क्योंकि टीएमसी के ही नेता हाल ही में लखीमपुर कांड में चुपके से वहां पहुंचे थे। ये दिखाता है कि टीएमसी लगातार किसान आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रही है, जिससे न केवल पश्चिम बंगाल अपितु राष्ट्रीय स्तर तक की राजनीति में उसे फायदा मिल सके। ऐसा लगता है कि कोलकाता अब हिंदू देवी-देवताओं को अपमान करने वालों के लिए एक नया स्वर्ग बन चुका है?