सैन्य मोर्चे पर परास्त करने में अक्षम चीन अब ‘जल युद्ध’ के सहारे भारत से भिड़ना चाहता है

चीन के कारण अरुणाचल प्रदेश में पानी का रंग हुआ काला!

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कुछ भी कहिए, लेकिन इतना तो स्पष्ट हो चुका है कि चीन और पाकिस्तान में कोई विशेष अंतर नहीं है! दोनों केवल बातों के शेर है, लेकिन वास्तव में दोनों ही देश भारत का सैन्य मोर्चे पर मुकाबला करने में अक्षम हैं। अब चीन ने भारत को परेशान करने के लिए एक नई युक्ति अपनाई है। उसने ‘जल युद्ध’ का आरंभ किया है।

जानें क्या है पूरा मामला?

असल में मूल समस्या अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में उत्पन्न हुई, जहां कामेंग नदी का पानी अचानक काला हो जाने के बाद उसमें हजारों मछलियां मृत पाई गई। बीते दिन शनिवार को अधिकारियों की ओर से इस बात की जानकारी दी गई। न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, जिला मत्स्य पालन अधिकारी ने कहा कि कुल घुलित पदार्थों (Total Dissolved Substances -TDS) की अधिक मात्रा की वजह से नदी का पानी काला हो गया है। जिला मत्स्य विकास अधिकारी (डीएफडीओ) हाली ताजो ने कहा कि जिला मुख्यालय सेप्पा में शुक्रवार को नदी में हजारों मछलियां मृत पाई गई थी।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह भी पाया गया कि मछलियों की मृत्यु का कारण इनमें टीडीएस की उपस्थिति है, जो पानी में जलीय प्रजातियों के लिए कम दृश्यता और सांस लेने में समस्या पैदा करता है। ताजो ने कहा, “नदी के पानी में उच्च मात्रा में टीडीएस होता है, जिसके कारण मछलियां ऑक्सीजन लेने में असमर्थ थीं।” उन्होंने लोगों से मछली का सेवन न करने की अपील की, क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

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चीन के कारण पानी का रंग हुआ काला?

स्थानीय निवासियों के मुताबिक चीन के बॉर्डर के निकट निर्माण गतिविधियों के कारण पानी का रंग काला हो गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में पूर्वी कामेंग जिला प्रशासन ने एक स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करते हुए लोगों से मछली पकड़ने के लिए कामेंग नदी के पास नहीं जाने और अगले आदेश तक मरी हुई मछलियों को खाने और उसे बेचने से मना किया है। वहीं, बॉर्डर से सटे सेप्पा क्षेत्र के निवासियों ने नदी में टीडीएस में वृद्धि के लिए चीन को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि पड़ोसी देश द्वारा निर्माण गतिविधियों के कारण पानी का रंग काला हो गया है।

न्यूज 18 के रिपोर्ट के अनुसार, सेप्पा पूर्व के विधायक टपुक ताकू ने राज्य सरकार से कामेंग नदी के पानी के रंग में अचानक बदलाव और बड़ी मात्रा में मछलियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए तुरंत विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की अपील की है, क्योंकि उन्हें संदेह है कि यह प्राकृतिक कारणों से नहीं हुआ है। ताकू ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना कामेंग नदी में कभी नहीं हुई।

ये चीन का पहला ऐसा अपराध नहीं है

लेकिन यदि आपको ऐसा लग रहा है कि चीन ने इस तरह की हरकतें पूर्व में नहीं की है, तो आप गलत हैं। चीन जानता है कि वो सैन्य मोर्चे पर भारत को मात देने में अक्षम है, गलवान घाटी में हुई झड़प इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। आज भी यदि चीनी प्रशासन से पूछा जाता है कि वास्तव में कितने सैनिक उस हिंसक झड़प में मारे गए थे, तो उनके हलक सूख जाते हैं। ऐसे में भारत को परेशान करने के लिए चीन आये दिन नए-नए पैंतरे आजमाता रहता है। अरुणाचल प्रदेश के हुई यह घटना भी चालबाज चीन की दुष्ट प्रवृतियों की ओर इंगित करती हैं।

बताते चलें कि एक समय जब पांडव वनवास में थे, तो कौरवों की ओर से उनकी हाल खबर लेने के लिए वन में गुप्तचर भेजे गए थे। जब गुप्तचर ने बताया कि पांडव एक सरोवर के निकट सुखमयी जीवन व्यतीत कर रहे हैं, तो क्रोध से आगबबूला दुर्योधन तुरंत उस सरोवर में विष मिलाने पहुंच गया था। ऐसे में मौजूदा समय में यदि दुर्योधन चीनियों को ऐसा दुष्कृत्य करते हुए देख लेता, तो कहीं न कहीं वो भी सोचता, ‘दुष्ट! तू मेरी नकल कर रहा है?’

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