‘हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे’ ये पंक्तियां वर्तमान में वैश्विक स्तर के किसी देश पर यदि पूर्ण रूप से चरितार्थ होती है, तो भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान ही है। पाकिस्तान ने सदैव स्वयं की सुरक्षा करने की महत्वाकांक्षा में हमेशा अपने सहयोगियों के लिए मुसीबतें पैदा की हैं। पाकिस्तान का समर्थन करने के चक्कर में अब उसके कथित मित्र तुर्की ने अपनी स्थिति भी पाकिस्तान की तरह ही कर ली है। वैश्विक आर्थिक संगठन एफएटीएफ ने पहले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल कर उस पर आर्थिक प्रतिबंधों का दबाव बनाया था, लेकिन इस मुद्दे पर प्रत्येक बार पाक का समर्थन करने वाला तुर्की भी अब एफएटीएफ के निशाने पर आ गया है, क्योंकि एफएटीएफ ने तुर्की को भी पाकिस्तान वाली पंक्ति में खड़ा करके उसे भी ग्रे लिस्ट में डाल दिया है।
ग्रे लिस्ट में तुर्की और पाकिस्तान
पाकिस्तान को लेकर ये बात सर्वविदित है कि आतंक का पालन–पोषण करने में पाकिस्तान की विशेष भूमिका रही है। वहीं, मोदी सरकार ने अपनी कूटनीतिक शक्ति के दम पर पाकिस्तान का पर्दाफाश किया है। ऐसे में एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था, जिसे एक बार फिर संगठन ने बरकरार रखा है। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने के साथ ही अब उसका समर्थन करने वाला तुर्की भी ग्रे लिस्ट में पहुंचा दिया गया है। चीन, मलेशिया और तुर्की ने सदैव पाकिस्तान का बचाव किया था, और तुर्की में लगातार इस्लामिक कट्टरता बढ़ रही थी, परिणाम ये हुआ कि पाकिस्तान के बाद अब तुर्की भी ग्रे लिस्ट है।
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हाल में हुई एफएटीएफ की बैठक के बाद पाकिस्तान को न केवल ग्रे लिस्ट में बरकार रखा गया है, अपित तुर्की को निशाने पर ले लिया है। एफएटीएफ ने तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कमियों के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल कर दिया है। वहीं, तुर्की के अलावा, जॉर्डन और माली को भी ग्रे लिस्ट में जोड़ा गया है, जबकि बोत्सवाना (Botswana) और मॉरीशस (Mauritius) को सूची से बाहर कर राहत दी गई है।
दोनों को आर्थिक झटका
पाकिस्तान की माली हालत इतनी पतली है, कि वो कर्ज तले डूब गया है। ऐसे में उसे ग्रे लिस्ट के प्रतिबंध बरकरार रहना देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका बनने वाला है। हालांकि, पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में होने के बावजूद लगातार आतंकी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। तालिबान का समर्थन करने से लेकर वैश्विक स्तर पर उसे मान्यता दिलाने में पाकिस्तान बड़ी भूमिका निभा रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति तुर्की की भी है, जो पेरिस में हुई इस्लामिक आतंक की घटनाओं को जायज बता रहा था। वैसे तुर्की की आर्थिक हालत भी हैरान करने वाली है। तुर्की की मुद्रा में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फीति लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है, अनेक देशों ने उससे भी अपने व्यापारिक रिश्ते सीमित कर लिए हैं।
पाकिस्तान ने नहीं माने आदेश
पाकिस्तान को एफएटीएफ द्वारा आदेश दिए गए थे कि वो 34 सूत्रीय कार्यक्रमों को न केवल पूरा करे, अपितु अपने यहां चल रहे आतंकियों के अड्डों को भी खत्म करे, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। FATF के अनुसार पाकिस्तान में अनेकों आंतकी छिपे हुए हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित मसूद अजहर भी है, जिस पर कार्रवाई के सुझावों को पाकिस्तान ने सदैव नजरंदाज किया है।
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इसे भारत के लिए एक कुटनीतिक जीत की तरह देखा जा रहा है क्योंकि भारत ने प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के आतंक का पर्दाफाश किया है। यही कारण है कि इस्लामिक देशों का संगठन ओआईसी पाकिस्तान के बजाए भारत के लिए सकारात्मक दिखता है। वहीं, प्रत्येक मौके पर पाक का साथ देने वाला तुर्की अपनी हरकतों के कारण एफएटीएफ के रडार पर आ गया है, जो कि निश्चिच तौर पर भारतीय कूटनीति की जीत का प्रतीक है।