धर्मान्तरण भारतीय समाज के परिपेक्ष में कोई नया शब्द नहीं है l पहले मुग़ल आक्रान्ताओं के अत्याचारों, बलात्कारों, लूट-मार से तंग आकर हजारों लोगों ने धर्मान्तरित हो, इस्लाम अपनाया तो वहीं ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आते ही ईसाईं धर्म में पलायन और धर्मातरण का काम और अधिक ज़ोर पकड़ने लगा l लेकिन उत्तर भारत में यह धार्मिक संघर्ष हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच ही रहता है l दक्षिण में आते-आते यह संघर्ष त्रिकोणीय हो जाता है। वहां पर संघर्ष हिन्दू, मुस्लिम और ईसाइयों के बीच रहता है। ऐसे ही दक्षिण के एक राज्य कर्नाटक में धर्मांतरण के मामलें बहुत तेजी से बढ़े हैं। वहां गरीब और जनजातीय हिंदुओ को ईसाई बनाने का काम जारी है।
इसी समस्या को दूर करने के लिए पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों पर कर्नाटक विधानसभा की एक हाउस कमेटी ने राज्य में ईसाई मिशनरी के काम में शामिल “अनधिकृत” लोगों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण का आदेश देने का फैसला किया है। राज्य सरकार इस सर्वेक्षण के जरिये अनधिकृत चर्चों को पहचान कर उनपर कार्रवाई करने और राज्य में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कार्य करेगी।
भाजपा विधायक गूलीहट्टी शेखर की अध्यक्षता में 13 अक्टूबर को हुई सदन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। शेखर वहीं नेता है जिन्होंने 21 सितंबर को विधानसभा में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया था और आरोप लगाया था कि चित्रदुर्ग जिले में उनकी 72 वर्षीय मां ने ईसाई धर्म अपना लिया है।
शेखर ने बताया कि कर्नाटक में करीब 1,790 चर्च हैं। समिति ने उनसे यह पता लगाने के लिए कहा है कि उनमें से कितने अवैध रूप से स्थापित हैं। उन्होंने कहा, गृह विभाग के अनुसार, राज्य भर में जबरन धर्मांतरण के 36 मामले दर्ज किए गए हैं।
बीजेपी विधायक गूलीहट्टी शेखर के मुताबिक, राज्य में चल रहे 40 फीसदी चर्चों को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, “इस संबंध में आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। समिति ने राज्य में सक्रिय गैर-सरकारी मिशनरियों पर चर्चा की है।”
आपको बताते चलें कि शेखर ने मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठाया था। उनके अनुसार, उनकी मां को उनकी जानकारी के बिना ही दुसरे धर्म में परिवर्तित कर दिया गया था। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि ईसाई मिशनरियों ने उन लोगों पर झूठे अत्याचार और बलात्कार के आरोप लगाए हैं, जिन्होंने मिशनरियों के धर्मांतरण गतिविधियों पर सवाल उठाए थे।
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होसदुर्गा भाजपा विधायक ने दावा किया कि उनकी मां अपने घर में किसी को भी हिंदू देवताओं की पूजा नहीं करने देती हैं और यहां तक कि अपने सेल फोन की रिंगटोन को उन्होंने ईसाई प्रार्थनाओं में बदल दिया है।
अब सवाल यह है कि ऐसी जगहों के सर्वे करने की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि आये दिन ऐसी जगहों पर धर्मांतरण होता रहता है। अभी हाल ही में पुलिस ब्यादरहल्ली में जबरन धर्म परिवर्तन की खबरों की जांच कर रही है। ऐसी खबरें थीं कि नारायणस्वामी के स्वामित्व वाली एक इमारत के अंदर 20 से अधिक बच्चों को प्रार्थना में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर नारायणस्वामी को नोटिस जारी किया है। हाल ही में यादगीर में भी ऐसा ही मामला सामने आया था।
शेखर ने यह भी कहा कि समिति, ईसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ लेने से रोकने के तरीकों पर भी विचार कर रही है। लोगधर्म बदल लेते हैं और फिर बाद में आरक्षण का लाभ भी लेते हैं। यह आवश्यक है कि ऐसे गतिविधियों को दूर करके धार्मिक समानता की नींव रखी जाए।