बिहार की राजनीति में आरजेडी भले ही आज सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हो, किन्तु एक सत्य ये है कि आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव पार्टी को हथियाने के प्रयास कर रहे हैं। वहीं दिलचस्प बात ये भी है कि आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव भी तेजस्वी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में बिहार में होने वाले उप-चुनाव को लेकर आरजेडी ने जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, उसमें कहीं भी तेज प्रताप का नाम नहीं है। जब से प्रदेश अध्यक्ष का पद लालू ने अपने करीबी जगदानंद सिंह को दिया है, उसके बाद से तेज प्रताप को आंतरिक चुनौतियों का सर्वाधिक सामना करना पड़ रहा है। इस पूरे प्रकरण के चलते ये कहा जा सकता है कि लालू यादव खुद अपने बेटे के लिए पार्टी में आंतरिक चुनौती खड़ी कर रहे हैं, जिसका परिणाम ये हो सकता है कि तेज प्रताप आरजेडी में बड़ी फूट करने के साथ ही एक नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं।
स्टार प्रचारक से गायब तेज प्रताप
लालू प्रसाद यादव की विरासत अर्थात आरजेडी की कमान के संबंध में उनके दोनों बेटों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। ऐसा नहीं है कि इस टकराव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हों, अपितु स्थिति ये है कि आए दिन तेज प्रताप के विरुद्ध पार्टी से एक नया संकेत मिलता है। इस बार ये संकेत उप चुनावों में स्टार प्रचारकों की लिस्ट से निकला है। दरअसल, बिहार की दो विधानसभा सीट तारापुर और कुशेश्वरस्थान पर 30 अक्टूबर को विधानसभा उपचुनाव होने हैं, जिसके लिए पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची निकाली हैं, लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि इस सूची में तेज प्रताप का कही कोई नाम ही नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने अपना नाम न होने का उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन मां राबड़ी देवी और बहन मीसा भारती का नाम भी इस सूची में न होने पर आरजेडी के नेताओं पर सवाल उठाये हैं।
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तेज प्रताप आरजेडी में नहीं
तेज प्रताप पर लगातार आरजेडी के बड़े नेताओं द्वारा हमले हो रहे हैं, जो अब ये तक कहने लगे हैं कि तेजप्रताप आरजेडी का हिस्सा नहीं हैं। इसको लेकर आरजेडी नेता शिवानदं तिवारी ने स्टार प्रचारकों की सूची में तेज का नाम न होने के सवाल पर कहा कि ‘वो अब पार्टी में हैं ही नहीं, उन्होंने एक नया संगठन बना लिया है।’ इसी बीच एक महत्वपूर्ण बात ये है कि तेज प्रताप ने हाल ही में छात्र जनशक्ति परिषद की स्थापना की थी। वहीं, तारापुर विधानसभा से प्रत्याशी संजय कुमार ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन किया है, किन्तु उनका कहना है कि वो तेज प्रताप के छात्र जनशक्ति परिषद के ही प्रत्याशी हैं।
नेताओं पर हमलावर हैं तेज प्रताप
एक तरफ जहां पार्टी के नेता तेज प्रताप की जड़ें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी ओर तेज प्रताप अब धड़ाधड़ इन नेताओं पर अपने पिता को बहकाने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि ये सबकुछ आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लेने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने हाल ही में एक बयान दिय़ा था कि, “राजद में चार–पांच लोग हैं जो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे हैं और उन्हें दिल्ली में बंधक बनाकर रखा है।” वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अशोक कुमार ने इस पूरे प्रकरण के बीच दावा किया है कि तेज प्रताप उनके लिए उपचुनाव में प्रचार करते नजर आएंगे, जो कि पार्टी में एक बड़ी छूट का संकेत है।
पार्टी में फूट की स्थिति
एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि जब से प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान जगदानंद ने संभाली है, उसके बाद से ही लगातार पार्टी में फूट की स्थिति बनी हुई है। तेज प्रताप के संगठन को आरजेडी का चुनाव चिन्ह तक प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गई है। इतना ही नहीं पार्टी के युवा संगठन से तेज प्रताप के करीबी को हटा दिया गया था। इस पूरे खेल के पीछे ये माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव अपने भाई तेज प्रताप के विरुद्ध साजिशें रच रहे हैं, जिससे पार्टी में उनका एकछत्र राज स्थापित हो सके।
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आश्चर्यजनक बात ये है कि लालू प्रसाद यादव ने जिस पार्टी को खड़ा किया था, वो अब दोनों बेटों के बीच टकराव के कारण टूटने की कगार पर आ गई है, इसके बावजूद लालू प्रसाद यादव इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, जो स्पष्ट करता है कि इन सबके पीछे कहीं न कहीं लालू की भी सहमति है, जिससे विवश होकर तेज प्रताप स्वयं अपना संगठन बनाना पड़ा है।