विगत दिनों फ्रांस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 70 वर्षों में फ्रांस के कैथोलिक चर्च के भीतर लगभग 3,30,000 बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए है। फ्रांस के कैथोलिक चर्च के भीतर दुर्व्यवहार के शिकार इन पीड़ितों ने मंगलवार को इस रिपोर्ट के प्रकाशन का स्वागत किया। यह रिपोर्ट फ्रांस के कैथोलिक चर्च को हिलाकर रख देने वाले पादरी बर्नार्ड प्रीनेट को लेकर हुए एक घोटाले के बाद आई है। पिछले साल बर्नार्ड प्रीनेट को नाबालिगों का यौन शोषण करने का दोषी ठहराया गया था और उसे पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। उसने दशकों तक 75 से अधिक लड़कों के यौन शोषण के आरोपों को स्वीकार किया था।
2500 पन्नों की रिपोर्ट खोल रहा पादरियों की पोल
इस रिपोर्ट में लगभग 3000 पुजारियों और चर्च में शामिल अन्य लोगों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की एक अनुमानित संख्या शामिल है। रिपोर्ट जारी करने वाले आयोग के अध्यक्ष जीन मार्क सॉवे के अनुसार- “कैथोलिक अधिकारियों ने दशकों से “व्यवस्थित तरीके से” गलत काम किया।“ 2,500 पन्नों का यह रिपोर्ट अन्य देशों की तरह फ्रांस के कैथोलिक चर्च में होने वाले अमानवीय कुकृत्य से चर्च प्रशासन को अवगत कराने के लिए था। पीड़ितों ने रिपोर्ट का स्वागत किया, इस प्रकरण को लेकर फ्रांसीसी बिशप सम्मेलन के प्रमुख ने माफी मांगी। रिपोर्ट में कहा गया कि 3,30,000 पीड़ितों की संख्या में अनुमानित 2,16,000 बच्चे पादरियों और चर्च के अन्य धार्मिक व्यक्तियों द्वारा प्रताड़ित हैं, जबकि शेष बच्चे चर्च के स्काउट नेताओं या शिविर सलाहकारों द्वारा प्रताड़ित किए गए है।
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यह अनुमान फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च द्वारा देश में बच्चों के यौन शोषण के व्यापक शोध पर आधारित है। अध्ययन के लेखकों का अनुमान है कि चर्च के पीड़ितों में से 80% लड़के थे, जबकि यौन शोषण के व्यापक अध्ययन में पाया गया कि कुल पीड़ितों में से 75% लड़कियां थी। धर्म के दुरुपयोग और पादरियों द्वारा यौन शोषण को रोकने के तरीके के बारे में आयोग ने 45 सिफारिशें भी जारी की है। जिसमें पादरियों और धार्मिक प्रशासकों के प्रशिक्षण, कैनन कानून संशोधन, पीड़ितों को पहचानने और क्षतिपूर्ति करने के लिए नीतियों को बढ़ावा देने जैसे सुझाव शामिल है। इस आयोग ने इस मसले को लेकर चर्च की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं और निंदा करते हुए कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
21 वीं शताब्दी में हुए कई बड़े खुलासे
हालांकि, पोप फ्रांसिस ने मई 2019 में एक नया चर्च कानून जारी किया था, जिसमें दुनिया भर के सभी कैथोलिक पादरियों और ननों को पादरी के यौन शोषण और अपने वरिष्ठों द्वारा चर्च अधिकारियों को कवर अप का रिपोर्ट करने के लिए निर्देशित किया गया। कैथोलिक पादरियों, ननों और धार्मिक सदस्यों द्वारा बच्चों के यौन शोषण के कई मामले सामने आए हैं। 21वीं शताब्दी में चर्च के अधिकारियों पर कई आरोप, जांच, परीक्षण, दोषसिद्धि, स्वीकृति, माफी और चर्च के अधिकारियों द्वारा उन्हें कवर करने के प्रयासों और दुर्व्यवहार के बारे में कई खुलासे हुए।
परंतु, यह मामला सिर्फ फ्रांस के परिप्रेक्ष्य में स्थितियों को स्पष्ट कर रहा है। भारत, पश्चिमी और खाड़ी-देशों के धार्मिक प्रतिष्ठानों में मूलभूत अंतर रहा है। भारत में मंदिर सिर्फ और सिर्फ आपके आध्यात्मिक और धार्मिक जागरण के लिए है। जबकि पश्चिमी और खाड़ी देशों के धार्मिक संस्थान का संचालन पूर्णतः राजनीतिक। फ्रांस का ये मामला ना सिर्फ फ्रांस बल्कि पूरे विश्व के धार्मिक नेताओं और गुरुओं के शुचिता का प्रतिबिंब और नैतिकता में सुधार का निर्देश है।
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