- चौमुहानी हत्याकांड में 130 दंगाइयों को अकेले नोआखाली से गिरफ्तार किया गया।
- 285 नामजद और 4,000-5,000 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
- बांग्लादेश पीएम मोदी के रौद्र रूप का शिकार नहीं होना चाहता
बांग्लादेश में एक बड़ी समस्या है- हिंदुओं का नरसंहार। पिछले 37 वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 13% से घट कर 8% तक हो चुकी है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला करने वाली कट्टरपंथी इस्लामिक भीड़ आश्वस्त रहती थी कि उनके क्रूर हमलों के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा हीं सोचा था, पर हुआ ठीक उल्टा। पीएम मोदी के डर से बांग्लादेशी सरकार में ऐसा खौफ है कि वहां हिंदुओं पर हुए हमले के बाद लगातार बड़े एक्शन लिए जा रहे हैं। इस बार बांग्लादेश में सिर्फ मामले ही दर्ज नहीं हो रहें, बल्कि गिरफ्तारियां भी हो रहीं हैं। भारत की कार्रवाई के डर से बांग्लादेश की सरकार ने हिंदुओं पर हमला करने वालों दंगाइयों के खिलाफ बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की है। रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं पर आत्मघाती हमले करने और मूर्ति तोड़ने के आरोप में अब तक 130 से अधिक दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है।
130 दंगाई गिरफ्तार
दरअसल, बांग्लादेश में दंगा भड़कने के कारण सैकड़ों बांग्लादेशी हिंदुओं की हत्या के बाद बांग्लादेशी सरकार अब बड़े पैमाने पर विरोध और भारत के गंभीर प्रतिशोध के संभावित डर को देखते हुए सख्त कार्रवाई करने पर मजबूर हो चुकी है। अब तक 130 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है और कई पर मामला दर्ज किया गया है। चौमुहानी हत्याकांड के 130 दंगाइयों को अकेले नोआखाली से गिरफ्तार किया गया है।
बांग्ला ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को पुलिस अधीक्षक शाहिदुल इस्लाम ने पुष्टि करते हुए कहा कि हाल की घटना को लेकर जिले में दर्ज कुल 18 मामलों में गिरफ्तारियां की गई है। रिपोर्ट के अनुसार 285 नामजद और 4,000-5,000 अज्ञात दंगाइयों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
बता दें कि पिछले सप्ताह दुर्गा पूजा समारोह के दौरान पूजा मंडप में कुरान के अपमान का आरोप लगाकर बांग्लादेश के कई जिलों में इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंसा का तांडव किया। आरोप यह लगाया कि हिंदुओं ने इस्लाम को छोटा दिखाने के लिए श्री गणेश की मूर्ति के नीचे कुरान रखा था। इसके बाद यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और हिंसक दंगे भी शुरू हो गए। बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सो में हुए हिंसक दंगों में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी। कोमिला में हुई घटना के बाद सैकड़ों हिंदुओं को अपने घर तथा व्यवसायों को खोना पड़ा, जबकि ISKCON सहित कई मंदिरों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की गई थी।
हालांकि, सच्चाई कुछ और ही निकली, पुलिस ने पड़ताल में यह पाया है कि एक मुसलमान ने ही कुरान को मूर्ति के नीचे रखा था। पुलिस के अनुसार 35 वर्षीय इकबाल हुसैन नाम के शख्स ने 13 अक्टूबर को कोमिला के नानुआ दिघिर पर पूजा मंडप में कुरान रखा था।
भारत की चेतावनी
इसके बाद भारत ने कड़े अंदाज में बांग्लादेश को चेतावनी भी दी थी। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने बांग्लादेश सरकार की आलोचना के साथ ही मामले के दंगाइयों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की थी। जिस क्षण से भारत सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लिया तब से ही शेख हसीना सरकार ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। मोदी सरकार ने ढाका को एक बहुत ही स्पष्ट अल्टीमेटम दिया कि भारत और बांग्लादेश कूटनीतिक रूप से करीब आ रहे हैं लेकिन हिंदुओं की हत्या जारी नहीं रह सकती है।
यही नहीं, भारत से लेकर अमेरिका तक विश्व भर के हिंदुओं ने बांग्लादेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पीएम मोदी का डर ऐसा फैला कि बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन देश में धर्मनिरपेक्ष संविधान लागू करने की बात करने लगे। तब बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने कहा था कि ‘बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान द्वारा प्रस्तावित 1972 के संविधान पर वापस लौटेगा।’ उन्होंने कहा कि ‘देश किसी भी कीमत पर धार्मिक कट्टरपंथियों का अड्डा नहीं हो सकता।’
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CAA के पक्ष को मिली है मजबूती
इसी का नमूना हमें दंगाइयों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हो रही कार्रवाई के रूप में दिख रहा है। यह स्पष्ट है कि अगर बांग्लादेश ने कदम नहीं उठाए होते तो विश्व भर के हिंदू तो नाराज होते ही, साथ ही साथ भारत के कोपभाजन का शिकार भी होना पड़ता। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन हमलों से CAA के पक्ष को और भी मजबूती मिली है।
चौतरफा आलोचनाओं के बीच जिस तरह से बांग्लादेश की छवि की धज्जियां उड़ी हैं, उससे वहां के शासनकर्ता खौफ में हैं। TFI ने पहले ही कहा था कि अगर भारत ने इस देश के खिलाफ पाकिस्तान की तरह एक्शन लेना आरंभ कर दिया, इसके परखच्चे उड़ जायेंगे। व्यापार से लेकर भारतीय कंपनियों द्वारा निवेश बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी के समान हैं। इस बात को शेख हसीना की सरकार भलि भाँति समझती है। लगता है भारत के इस तरह की कड़ी कार्रवाइयों के डर से बांग्लादेश में दंगाइयों पर कार्रवाई हो रही है।
यही कारण है कि पहले संविधान बदलने की बात हुई, फिर असली गुनहगार की पहचान हो गई और एक ही दिन में नोआखली नरसंहार के 130 लोग हिरासत में ले लिए गए। बांग्लादेश पीएम मोदी के रौद्र रूप का शिकार नहीं होना चाहता है और दंगाइयों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई कुछ ऐसा ही संदेश देती है।
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