जब से क्रिकेट का उद्भव हुआ है, समय-समय पर ऐसे क्रिकेटर हुए हैं, जिन्होंने एक नये दौर का आरंभ किया। चाहे वो टेस्ट क्रिकेट में सुनील गावस्कर की संयमित बल्लेबाजी हो, या एकदिवसीय में विवियन रिचर्ड्स की आक्रामकता हो या फिर राहुल द्रविड़ का डिफेंस। एक नाम ऐसा भी है जो इन दोनों ही फॉर्मेट में आक्रामक बल्लेबाजी का एक नया दौर लेकर आया। आज के बल्लेबाजों से पहले, मैच के प्रथम ओवर की पहली गेंद पर से ही आक्रामक होने का ट्रेंड अगर किसी ने आरंभ किया है तो वह हैं सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग!
आज भी पहली गेंद पर सबसे अधिक मैचों में चौके लगाने का रिकॉर्ड सहवाग के नाम ही है। क्रिकेट के इतिहास को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘मुल्तान के सुल्तान’ के नाम से प्रसिद्ध सहवाग किसी भी फॉर्मेट में विश्व के सबसे महानतम सलामी बल्लेबाज हैं। हालांकि, कई लोग इससे असहमत होंगे परंतु यह सत्य है। आंकलन चाहे खेलने के तरीके का हो या आंकड़ों का हो, सहवाग का ही नाम ऊपर आएगा।
जिस दौर में सलामी बल्लेबाजों का काम रन बनाना नहीं, बल्कि नई गेंद को पुरानी करने का था, उस दौर में सहवाग ने रन बनाने के ट्रेंड की शुरुआत की, वह भी आक्रामक तरीके से। टेस्ट क्रिकेट में सहवाग का पदार्पण उन्हीं के अंदाज में आक्रामक रहा था। पहली बार दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी पिच पर बल्लेबाजी करते हुए सहवाग ने छठे नंबर पर शतक जड़ा था। तब उन्होंने बल्ले से जो कोहराम मचाया था, उससे दुनिया भर में उनके नाम का डंका बज गया था। इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा। सचिन-सौरव की विश्व प्रसिद्ध जोड़ी के बावजूद टीम में अपनी एक अलग पहचान बनाना, सहवाग की प्रतिभा को दर्शाता है।
उन्होंने सिर्फ सलामी बल्लेबाज की भूमिका टेस्ट में ही नहीं, बल्कि सभी फॉर्मेट में अपने कंधों पर ले लिया और तब से भारतीय बल्लेबाजी की दशा और दिशा दोनों बदल गये। महानतम सलामी बल्लेबाजों में सचिन(ODI) और सुनील गावस्कर(Test) का नाम सबसे ऊपर आएगा, लेकिन इन दोनों का अपना अंदाज था। वहीं वीरेंद्र सहवाग एक सलामी बल्लेबाज के रूप में टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट दोनों में 7500 या उससे अधिक रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। उन्होंने बतौर ओपनर टेस्ट में 8207 रन और वनडे क्रिकेट में 7518 रन बनाए।
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जो डर सहवाग ने अपनी बल्लेबाजी से गेंदबाजों के भीतर पैदा किया उसका कोई मुक़ाबला नहीं है। उदाहरण के लिए चेन्नई की पिच पर तत्कालीन नंबर एक गेंदबाज डेल स्टेन की ऐसी धुलाई की आज भी स्टेन उन्हें क्रिकेट मैदान का दुस्वप्न ही मानते हैं।
वीरेंद्र सहवाग का आज जन्मदिन है। अपनी बल्लेबाजी से विरोधी टीम में खौफ पैदा करने वाले सहवाग को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व फास्ट बॉलर डेल स्टेन ने भी अपने ही अंदाज़ में बधाई दी है। डेल स्टेन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि “घर में मेरे सबसे धारदार चाकू का नाम वीरू है, जो सब कुछ काट देता है।”
My sharpest knife back home is nicknamed Viru, cuts anything!
Happy birthday pal!
Have a great one 👊@virendersehwag pic.twitter.com/jyVE93ZLzD— Dale Steyn (@DaleSteyn62) October 20, 2021
सलामी बल्लेबाज सहवाग ने अपने 11 साल के टेस्ट करियर के दौरान छह दोहरे शतक भी लागए जो अपने समय में भारतीय टीम के लिए रिकॉर्ड था। उस दौरान सहवाग ने तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के बीच भी अपने आक्रामक अंदाज की बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। स्ट्राइक रेट के मामले में तो सहवाग के सामने कोई टिकता ही नहीं है। एक ओर जहां टेस्ट में उनका स्ट्राइक रेट 80 से ऊपर है तो वहीं, 251 एकदिवसीय मैच खेलने के बाद भी स्ट्राइक रेट 100 से ऊपर का रहा है। इसी से आप उनकी आक्रामकता का अंदाजा लगा सकते हैं। टेस्ट मैच को भी एकदिवसीय की तरह खेलने में इस विस्फोटक बल्लेबाज का कोई सानी नहीं था।
अप्रैल 2009 में सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग पहले भारतीय क्रिकेटर बने जिन्हें वर्ष 2008 में प्रदर्शन के लिए विजडन (Wisden) ने दुनिया का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना था। इसके बाद सहवाग 2009 में इस खिताब को बरकरार रखने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी भी बने थे।
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सहवाग का नाम दुनिया के उन चुनिन्दा बल्लेबाजों में शामिल है जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरा शतक और एकदिवसीय में दोहरा शतक जड़ा है। वह दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैं जिन्होंने दो तिहरे शतक जड़ने के साथ ही मैच में पांच विकेट भी चटकाए हैं। अपनी बाल्लेबाजी से गेंदबाजों में चित्कार पैदा करने वाले सहवाग के बारे में कई क्रिकेटरों ने कई मौकों पर बयान दिया है जो उनकी महानता को स्पष्ट दर्शाता है।
पाकिस्तान के वकार यूनुस के अनुसार, “298 रन बनाकर और फिर भी छक्का मारना कुछ अकल्पनीय है और आपको इसके लिए एक प्रतिभाशाली होने की आवश्यकता है।”
सचिन तेंदुलकर का कहना था कि, “मुझे सहवाग से सीखना होगा कि नर्वस 90 के दशक में कैसे खेलना है।”
विश्व के सबसे तेज़ गेंदबाज ब्रेट ली ने एक बार सहवाग के बारे में कहा था कि, “आप कितने भी अच्छे और अनुभवी क्यों न हों, वह आपके दंभ को तोड़ सकता है।”
मिस्टर क्रिकेट माइकल हसी ने कहा था कि, “सहवाग जैसा बल्लेबाज कभी भी आउट ऑफ फॉर्म नहीं होता।”
राहुल द्रविड़ ने स्वयं कहा था कि पहले 10 ओवर सहवाग से बेहतर बल्लेबाजी कोई नहीं कर सकता।
वास्तविकता तो यही है, यह सहवाग की आक्रामकता ही थी जिसने टेस्ट क्रिकेट में भीड़ को वापस लाया था। उन्हीं के बाद अन्य बल्लेबाजों ने भी आक्रमकता को अपनाया। वीरेंद्र सहवाग ने बाउंड्री हिटिंग के जरीये एक असाधारण करियर का निर्माण किया है। न्यूनतम फुटवर्क लेकिन अधिकतम आक्रामकता के साथ, उन्होंने क्रिकेट के इतिहास में किसी भी अन्य बल्लेबाज के मुक़ाबले तेज गति से टेस्ट रन बनाए हैं।
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सहवाग की हर पारी चाहे वो टेस्ट हो या वनडे या फिर T20, सभी ‘सहवाग ब्रांड’ के प्रतीक हैं जिसमें कल्पना, साहस, शक्ति, कौशल और दृष्टि की स्पष्टता का मिश्रण दिखाई देता है। एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर सहवाग में किसी भी तकनीकी विश्लेषण को बेकार करने की अदम्य क्षमता है, और उनके लिए गेंदबाज नाम या पिच की कंडिशन भी अप्रासंगिक थी। अपने बेपरवाह रवैये के साथ, जब वह क्रीज पर सचिन के साथ भी होते थे तब दर्शकों का सारा ध्यान उनके इर्द-गिर्द केंद्रित रहता था।
वीरेंद्र सहवाग आज 43 साल के हो गए हैं, अभी वह लगातार कमेंट्री और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छाए रहते हैं। जन्मदिवस पर सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को हार्दिक बधाई।