ऑटोमोबाइल सेक्टर की दिग्गज भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स के प्लानंट्स को खरीदने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। दोनों ही पक्षों के बीच प्राथमिक स्तर की बातचीत शुरु हो गई है। अगर इन दोनों ही बड़ी कंपनियों के बीच यह सौदा पूरा हुआ तो टाटा मोटर्स द्वारा अमेरिका की दिग्गज कार कंपनी से किया जाने वाला यह दूसरा सबसे बड़ा सौदा होगा। इससे पहले टाटा मोटर्स ने फोर्ड से ही जगुआर लैंड रोवर को भी खरीदा था। उसके बाद अब टाटा के इस कदम को भी ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कंपनी की एक बड़ी कामयाबी के रुप में देखा जा रहा है। जगुआर लैंड रोवर खरीदने के बाद से भारतीय बाजारों में टाटा मोटर्स की गाड़ियां धूम मचा रही हैं। उनके गाड़ियों के मॉडल के आधार पर टाटा ने कई गाड़ियां लॉन्च की, जो आज भी लोगों की पसंद बनी हुई है। ऐसे में अब फोर्ड की भारत यूनिट पर भी टाटा की नजर पड़ चुकी है और जल्द ही दोनों ही कंपनियों के बीच डील पर बातचीत भी फाइनल हो सकती है।
टाटा मोटर्स, फोर्ड की तमिलनाडु और गुजरात यूनिट को खरीदने का फैसला इसलिए कर रही है क्योंकि इको फ्रेंडली व्हीकल के लगातार बदलते मानक के हिसाब से कंपनी को अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। टाटा मोटर्स के पास इस समय पैसेंजर व्हीकल बनाने वाली तीन फैक्ट्री हैं, इनमें से कंपनी फिएट क्रिसलर के साथ ज्वाइंट वेंचर के रूप में काम कर रही है। फोर्ड इंडिया के दोनों प्लांट को खरीदने की डील हालांकि अभी शुरुआती स्टेज में है। टाटा मोटर्स ने अपने घरेलू पैसेंजर व्हीकल कारोबार को अलग कर दिया है और इसकी वैल्यू 9420 करोड़ रुपये लगाई जा रही है।
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टाटा ने ही बदली जगुआर लैंड रोवर की तकदीर
इससे पहले टाटा ने फोर्ड से साल 2008 में जगुआर लैंड रोवर को करीब 2.3 अरब डॉलर में खरीदा था। तब इन दोनों ब्रांड के कारों की बिक्री बेहद खराब थी। अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड को भारत में काफी नुकसान हो रहा था। तब टाटा मोटर्स मसीहा के रुप में इनके सामने आई। जिसके बाद फोर्ड की टीम मुंबई आई और फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा कि “आप हम पर बड़ा फेवर कर रहे हैं।” अब टाटा के अंतर्गत चलने वाली जगुवार लैंड रोवर की तकदीर बदल चुकी है। मौजूदा समय में इस कंपनी की गाड़ियों को देश में काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।
दूसरी ओर टाटा मोटर्स द्वारा फोर्ड मोटर्स के प्लानंट्स को खरीदने का फैसला काफी फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि तमिलनाडु में इस कंपनी के पास कोई भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। ऐसे में अगर कंपनी फोर्ड मोटर्स का यह प्लांट खरीदने में कामयाब होती है तो कंपनी की उत्पादन क्षमता के साथ-साथ मार्केट में पकड़ भी काफी ज्यादा मजबूत हो जाएगी। ऐसा कहा जा सकता है कि टाटा मोटर्स ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नये मुकाम पर पहुंच सकती है। हाल ही में टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और गिरीश वाघ ने तमिलनाडु में सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की थी। जिसके बाद अब टाटा मोटर्स इसे खरीदने में दिलचस्पी ले रही है।
भारत में फिसड्डी हुई अमेरिका की दिग्गज कंपनी
पिछले महीने अमेरिका की दिग्गज कार कंपनी फोर्ड मोटर्स ने भारत की दोनों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में ताला लगाने का फैसला किया है। जिससे गुजरात और तमिलनाडु यूनिट में काम कर रहे 4000 से अधिक लोगों के चेहरे उदास हैं। करीब दो अरब डॉलर के घाटे से अमेरिकी कार कंपनी की कमर टूट गई, जिसके बाद कंपनी ने यह कदम उठाया। साल 2020 में यह कंपनी करीब 4000 कार ही भारतीय बाजार में बेंच पाई थी। व्यापार में हो रहे लगातार घाटे की वजह से इस कंपनी ने अब भारत छोड़ने का फैसला ले लिया है।
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बताते चले कि अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड, जिसको लेकर अमेरिका में एक राष्ट्रवाद की भावना है, फीचर्स चाहें जितने ही घटिया क्यों न हों, किन्तु अमेरिकी होने के चलते लोग उसे ही खरीदतें हैं। वहीं, भारत में स्थिति विपरीत है, यहां उपभोक्ताओं की पहली प्राथमिकता गुणवत्ता होती है, जिसके मामले में फोर्ड कहीं पीछे रह गई। भारत में कंपनी की सेल्स लगातार गिरती ही जा रही थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कंपनी का मार्केट शेयर वित्त वर्ष 2020 में 4.9 प्रतिशत तक ही रहा, जबकि उसका मुकाबला 24 प्रतिशत मार्केट शेयर वाली Maruti Suzuki और 18 प्रतिशत वाली Hyundai से था। ऐसे में फोर्ड ने अब भारत ने अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है।