‘जैसे को तैसा’, भारत में विदेशियों का रहना उनके देश में भारतीयों के साथ व्यवहार पर निर्भर करेगा

भारतीय नागरिकों के प्रति नस्लवाद से निपटने के लिए मोदी सरकार का फैसला!

वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट

पिछले कुछ हफ्तों ने भारत को बहुत कुछ सिखाया है। भारत की सफलताओं को देख कर पश्चिमी दुनिया खुश नहीं होती है और यह पिछले कुछ वर्षों में और स्पष्ट हो गया है। यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि कोविड -19 टीकाकरण से निपटने के लिए भारत की केंद्रीकृत डिजिटल प्रणाली पर उन्हें भरोसा नहीं था, और किसी भी तरह, हस्तलिखित प्रमाण पत्र (वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट) उनके लिए अधिक महत्व रखते थे। अब ऐसे ही पूर्वाग्रहों के खिलाफ मोदी सरकार ने पश्चिमी देशों के भारतीय नागरिकों के प्रति नस्लवाद से निपटने के लिए मोदी सरकार ने tit-for-tat tourism policy यानी जैसे को तैसा पर्यटन नीति बनाई है। यानी अब जो देश भारतीयों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही व्यवहार भारत सरकार भी उस देश के नागरिकों के साथ करेगी।

दरअसल, भारत में कोरोना लगभग नियंत्रित हो चुका है। वैश्विक स्तर पर भी वैक्सीनेशन तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार अपने टूरिज्म सेक्टर को दोबारा खोलने पर विचार कर रही है। किंतु भारत सरकार ने वीजा नियमों में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। इस बार नियमों में थोड़ा बदलाव होगा और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों साथ “reciprocal tourism” के तहत व्यवहार किया जाएगा। अर्थात विदेशी पर्यटकों की वीजा सुविधा उनके देश में भारतीय पर्यटकों के साथ किए गए व्यवहार पर निर्भर करेगी।

किसी भी देश से आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को अपना कोविड -19 वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाना पड़ सकता है या एक Quarantine अवधि से गुजरना पड़ सकता है या अस्वीकृति का सामना करना पड़ सकता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वे अपने देश में आने वाले भारतीय पर्यटकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।

विदेशी पर्यटकों पर प्रभाव

पश्चिमी देशों द्वारा बार-बार भारतीय वैक्सीन और उसके सर्टिफिकेट को अमान्य करार देने के कारण अब भारत सरकार ने यह निर्णय किया है। सरकार ने निर्णय लिया है कि दुनिया के किसी भी देश की यात्रा कर रहे भारतीयों के साथ जैसा भी व्यवहार उस देश में किया जाएगा, ठीक वैसा ही व्यवहार भारत में उस देश के नागरिकों के साथ भी होगा।

नए वीजा नियमों के अनुसार जो देश भारतीय वैक्सीन और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देंगे वहां के यात्रियों को सम्मान पूर्वक भारत की यात्रा करने की छूट होगी। वहीं जिन देशों में भारतीयों को जबरन क्वारन्टीन किया जाएगा, वीजा देने से मना किया जाएगा या वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता नहीं दी जाएगी, वैसे देशों से कोई यात्री अगर भारत आता है तो उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार होगा। भारत सरकार ने यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन के व्यवहार को देखते हुए, जैसे को तैसा की नीति अपनाई है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में होने वाली अगली बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन का दुस्साहस

बता दें कि पहले यूरोपियन यूनियन और बाद में ब्रिटेन ने भारतीय वैक्सीन और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देने से मना कर दिया था। पहले यूरोपियन यूनियन ने भारतीय कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को मान्यता देने से मना कर दिया था। इसके बाद भारत सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह यूरोपीय देशों से भारत की यात्रा करने वाले यात्रियों को जबरन क्वारन्टीन में रखेगी। यूरोपीय यूनियन के 9 देशों, जिनमें ऑस्ट्रीया, जर्मनी, स्लोवेनिया, ग्रीस, एस्टोनिया, आयरलैंड, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड और आइसलैंड जैसे देश शामिल हैं, के लिए भारत ने यह निर्णय लिया था क्योंकि इन देशों से वैक्सीन को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। हालांकि भारत सरकार के कड़े रुख के बाद इन देशों ने अपना निर्णय बदल लिया।

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इसी प्रकार ब्रिटेन ने शुरू में भारत में मिलने वाले डिजिटल वैक्सीनेशन सर्टीफिकेट को वैध नहीं माना था। हालांकि, उनके अपने देश में स्वयं वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट कागज पर हाथ से लिखकर दिया जा रहा था। जब भारत सरकार ने ब्रिटिश नागरिकों के लिए आवश्यक क्वारन्टीन की शर्त लगाती तो ब्रिटिश हाईकमान हरकत में आया और तुरंत ही उसने घोषणा की कि भारतीयों के लिए वीजा की प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु कार्य किया जा रहा है। अब उन्हें वही नियमों का पालन करना पड़ रहा है जो UK पूरी तरह टीकाकरण के बावजूद भारतीयों को भुगतने को मजबूर कर रहा है।

इन सब बातों के कारण गृह मंत्रालय ने इस समस्या पर एक मीटिंग आयोजित की जिसमें मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म, उड्डयन मंत्रालय और टूरऑपरेशन एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल थे। इसी मीटिंग में सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ है।

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हालांकि कुछ लोग यह सोच सकते हैं कि कोरोना के कारण भारत का टूरिज्म सेक्टर पहले ही बुरी तरह प्रभावित है ऐसे में भारत सरकार का यह निर्णय टूरिज्म सेक्टर के पुनरुत्थान में बाधक बन सकता है। ऐसा ना हो इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि 31 मार्च 2022 के पूर्व भारत आने वाले पहले 5 लाख यात्रियों को निःशुल्क वीजा उपलब्ध कराया जाएगा।

मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि विदेशी सरकारों भारतीयों के साथ किसी भी भेदभावपूर्ण और अतिव्यापी निर्णय लेने से पहले दो बार अवश्य सोचे। भारत सरकार का निर्णय इस मामले में एक आदर्श प्रस्तुत करता है। साथ ही यह निर्णय एक सामान्य भारतीय के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार को सुनिश्चित करता है।

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