मिलिये लखीमपुर खीरी के ‘मास्टरमाइंड’ और समाजवादी पार्टी के सेवक तजिन्दर पाल सिंह विर्क से

4 प्रदर्शनकारियों, 2 BJP नेता, 1 ड्राईवर और एक पत्रकार की मौत की script 'सपा' ने लिखी....

तजिन्दर सिंह विर्क

हाल ही में लखीमपुर खीरी में हिंसक उपद्रव हुआ, जिसमें 4 उपद्रवी और 2 भाजपा कार्यकर्ता के साथ 1 पत्रकार और ड्राईवर की भी मृत्यु हो गई। फिलहाल के लिए स्थिति को नियंत्रण में लाते हुए प्रशासन ने घटनास्थल पर धारा 144 लगा दी है और कई लोगों को हिरासत में लिया है। लेकिन इसी बीच इस पूरे प्रकरण में इस हिंसा को भड़काने में समाजवादी पार्टी की भूमिका स्पष्ट तौर पर सामने आई है, जिसमें सबसे आगे हैं तजिन्दर सिंह विर्क, जो स्वयं इस उपद्रव में घायल हुए हैं।

लेकिन यह तजिंदर सिंह विर्क है कौन? समाजवादी पार्टी से इसके कितने गहरे नाते हैं, और आखिर लखीमपुर खीरी हिंसा में इसकी कितनी बड़ी भूमिका रही है? इसके लिए एक गहन विश्लेषण आवश्यक है, तजिन्दर सिंह विर्क का भी, और उस क्षेत्र का भी, जहां यह हिंसा भड़की थी।
तजिन्दर सिंह विर्क के ट्विटर प्रोफ़ाइल पर एक दृष्टि डाली जाए, तो उससे स्पष्ट पता चलता है कि वह समाजवादी पार्टी के नेता हैं, और कोई छोटे मोटे नहीं, बल्कि प्रभावशाली नेता हैं। विश्वास नहीं होता तो इसे ही देख लीजिए –

तजिन्दर सिंह विर्क अखिलेश यादव के साथ हाथ मिलते हुए
तजिन्दर सिंह विर्क अखिलेश यादव के साथ फोटो खिंचवाते हुए

 

इतना ही नहीं, जब तजिन्दर सिंह विर्क के घायल होने की खबर आई, तो अखिलेश यादव ने स्वयं तजिन्दर की भूमिका को उजागर करते हुए यह फेसबुक पोस्ट किया –

 

आपको याद होगा कि उत्तर प्रदेश में कुछ महीनों पूर्व लोनी में एक घटना घटित हुई थी, जहाँ एक “ताबीज़” बनाने वाले मुस्लिम बुजुर्ग को कुछ लोगों द्वारा पीटा गया था और उसकी दाड़ी तक काट दी गई थी l मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए बिना किसी प्रमाण के बुजुर्ग के “जय श्री राम” के नारे लगवाने का झूठ भी हर ओर प्रसारित किया गया था, लेकिन जांच पूरी होने पर सामने आया कि इसके पीछे सपा नेता उम्मेद पहलवान का हाथ था l

उत्तर प्रदेश चुनाव निकट हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल करने के लिए बार-बार समाजवादी पार्टी की ओर से हिंसा भड़काने और दंगे करवाने के प्रयास किये जा रहे हैं l

बहराल, इस मामले में अभी तक जितने साक्ष्य सामने आये हैं, उनसे स्पष्ट होता है कि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को घेरने की जो योजना वामपंथी तैयार कर रहे थे, उस पर बुरी तरह पानी फिर गया है। ANI से बात करते हुए एके मिश्रा ने बताया कि उनका बेटा घटनास्थल पर था ही नहीं, बल्कि असामाजिक तत्वों ने तलवारों व लाठी-डंडों से भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया। उन्होंने कहा कि अगर उनका बेटा वहाँ होता तो शायद वो ज़िंदा नहीं लौट पाता।

अजय कुमार मिश्रा ने कहा, “उन्होंने लोगों को मार डाला है। गाड़ियों को क्षतिग्रस्त किया है। सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की है। हमारे पास वीडियो सबूत मौजूद हैं। हमारे कार्यकर्ताओं की कोई गलती नहीं है। वो तो अतिथियों का स्वागत करने गए थे। लेकिन, उनकी गाड़ियों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई। जैसे ही गाड़ियाँ रुकी, ‘किसानों’ ने सबको पीटना शुरू कर दिया”

लेकिन घटना स्टाल का एक विडियो अब इंटरनेट पर viral हो रहा है जिसमे अजय कुमार मिश्रा के ड्राईवर से घायल अवस्था में दबाव बनाकर यह बुलवाने की कोशिश की जा रही है कि, “मंत्री जी ने कहा था जाकर किसानों को कुचल दो l” अब इससे अधिक और क्या प्रमाण चाहिए कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी? यहाँ उद्देश्य स्पष्ट था – राज्य में अराजकता फैलाना और योगी सरकार एवं भारतीय जनता पार्टी की छवि को धूमिल करना। शायद इसीलिए लखीमपुर खीरी में इस समय किसी भी राजनीतिक पार्टी के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगाई है। स्वयं अखिलेश यादव को अपने घर के बाहर धरना के नाम पर उपद्रव के लिए लोगों को भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया गया है।

https://twitter.com/TheNewIndian_in/status/1444873532521914368?s=20

लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकती। आप को क्या लगता है, लखीमपुर खीरी में जो कुछ भी हुआ, वो बस यूं ही हो गया? विभाजन के बाद से ही सिख समुदाय के लिए लखीमपुर एक निश्चित विकल्प रहा है, और जाने-अनजाने में यह उत्तर प्रदेश में खालिस्तानियों के एक गढ़ के रूप में उभर के भी सामने आया है। इसके बारे में यदि पूर्ववर्ती सरकारों को आभास भी था, तो भी वे जानबूझकर नजरअंदाज कर देते थे।

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हालांकि, योगी सरकार के प्रशासन में ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिस प्रकार से उन्होंने एक चिंताजनक स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लिया और उपद्रवियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की, उससे स्पष्ट हुआ कि आखिर क्यों देश में उनके प्रशासन की इतनी प्रशंसा की जाती है। अब जब तजिन्दर सिंह विर्क की भूमिका स्पष्ट हो चुकी है, तो योगी प्रशासन को अविलंब उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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