Invesco और ZEE लिमिटेड के बीच शुरू हुआ विवाद अब सार्वजनिक हो चुका है। ZEE कंपनी के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने ज़ी न्यूज़ चैनल पर प्रसारित एक शो के दौरान अमेरिकी कंपनी Invesco को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि वह Zee संस्थान कि एक शेयर होल्डर है ना कि मालिक। सुभाष चंद्रा ने अमेरिकी कंपनी को सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि वह लड़ाई का रास्ता छोड़ दे और अगर वह लड़ने के लिए तैयारी कर रही है तो वह भी लड़ने को तैयार हैं।
सुभाष चंद्रा ने कहा कि वह Invesco (इनवेस्को) से लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि “मैं (Invesco का) प्रतिकार करूंगा, इसलिए नहीं कि मुझे कुछ वित्तीय लाभ होगा, इसलिए क्योंकि मैं संतुष्ट महसूस करूंगा कि मैं ZEE के 90 करोड़ दर्शकों के साथ ईमानदार हूँ।”
ज़ी टीवी की स्थापना करने वाले सुभाष चंद्रा ने आगे कहा, “मैं इनवेस्को से मालिक की तरह नहीं बल्कि एक शेयरधारक की तरह व्यवहार करने का आग्रह करता हूं। सुभाष चंद्रा की टिप्पणी तब सामने आई है जब ज़ी सोनी समूह की भारतीय इकाई के साथ विलय की तैयारी कर रहा है।
1992 में स्थापित Zee लिमिटेड में वर्तमान समय में Invesco 18% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी शेयर होल्डर कंपनी है जबकि संस्थापक सुभाष चंद्रा के पास कंपनी में 3.99% की हिस्सेदारी है।
Invesco ने हाल ही में Zee एक्सक्यूटिव बोर्ड को, बोर्ड की एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग बुलाने को कहा था। Invesco इस मीटिंग में दो इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के साथ ही सुभाष चंद्रा के पुत्र पुनीत गोयनका को बोर्ड से बाहर करना चाहती थी, जिससे सुभाष चंद्रा का कंपनी पर से प्रभाव बिल्कुल समाप्त हो जाए। सुभाष चंद्रा का प्रयास है कि भारत के सबसे प्रमुख मीडिया संस्थानों और एंटरटेनमेंट कंपनी में से एक Zee का मालिकाना हक किसी विदेशी कंपनी के हाथ में ना जाए।
Invesco द्वारा ZEEL के अधिग्रहण के विरुद्ध Zee ने सोनी के साथ विलय की योजना पर काम शुरू कर दिया। Zee के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने Invesco के अधिग्रहण से बचने के लिए सोनी एंटरटेनमेंट को कंपनी की 53% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया। इससे Invesco बिदक गया। Invesco ने जी एंटरटेनमेंट के निदेशक पुनीत गोयनका (Punit Goenka) समेत दो अन्य निदेशकों को हटाने और छह नए निदेशकों की नियुक्ति के साथ बोर्ड के पुनर्गठन की मांग की है। Invesco के दबाव के कारण मनीष चोखानी और अशोक कुरियन ने 13 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। ये दोनों नॉन-एग्जीक्यूटिव नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स थे।
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Invesco द्वारा एक्सक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग बुलाने का उद्देश्य ही था कि वह बोर्ड में अपने सदस्यों को नामित करवा सके और दो इंडिपेंडेंट डायरेक्टर सहित Zee के सीईओ पुनीत गोयनका को हटा सके, जबकि ऐसा कोई भी बदलाव एनुअल जनरल मीटिंग में शेयरहोल्डर्स की अनुमति के बिना नहीं हो सकता। ऐसे किसी भी बदलाव के लिए नियमानुसार मताधिकार वाले हिस्सेदारों के 75% मत की आवश्यकता होती है जबकि INVESCO चाहता था कि वह गुप्त तरीके से कंपनी का अधिग्रहण कर ले।
INVESCO नहीं चाहता है कि चंद्रा सोनी एंटरटेनमेंट के साथ जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लि. (ZEEL) विलय करें। हालांकि, चंद्रा ने अमेरिकी कंपनी INVESCO को खुली चुनौती दी है कि वह सोनी एंटरटेनमेंट से अच्छा प्रस्ताव सबके सामने रखे जिसके बाद नियमपूर्वक वह कंपनी का अधिग्रहण कर सकता है। साथ ही चंद्रा ने भारतीय जांच एजेंसियों से अनुरोध किया है कि वह इस मामले पर संज्ञान ले जिससे भारत के सबसे बड़े मीडिया संस्थान में से एक, Zee लिमिटेड को विदेशी हाथों में जाने से बचाया जा सके।
Invesco द्वारा कंपनी के अधिग्रहण के तरीके इसलिए भी संदेहास्पद हो जाते हैं क्योंकि सुभाष चंद्रा ने Invesco पर यह आरोप लगाया है कि यह अमेरिकी कंपनी चीन के इशारे पर काम कर रही है। एक तथ्य यह भी है कि Invesco में चीनी निवेशकों का पैसा बड़ी मात्रा में लगा है। ऐसे में भारत सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए।
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बता दें कि जी को हथियाने के प्रयास 1994 में भी हुए थे तब सुभाष चंद्रा ने 1994 में एक विदेशी कंपनी द्वारा 500 मिलियन डॉलर में ZEE नेटवर्क खरीदने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था और कहा था कि ‘इंडिया इज़ नोट फॉर सेल’।
बता दें कि इनवेस्कों ZEE का काफी पुराना इनवेस्टर है और अचानक आये इस बदलाव पर सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘ Invesco में कोई ऐसा है जो गलत कार्य कर रहा है। यह वह Invesco नहीं है, जो एक समय हुआ करती थी, हो सकता है कि इसमें कोई चीनी हस्तक्षेप हो। मैंने कानूनी सलाहकारों से बात की है और उन्होंने मुझे बताया है कि Invesco जो कर रही है वह गैरकानूनी है। ऐसा भी हो सकता है कि Invesco इनसाइडर ट्रेडिंग ( गैर कानूनी लेनदेन ) में भी संलिप्त हो।’ इस दौरान उन्होंने सेबी को भी इस मामले में सामने आने का आग्रह किया। उन्होंने ये भी कहा कि हम नियमों के तहत Invesco को कंपनी सौंपते, परंतु ये भारतीय नियमों का पालन करने बजाय टेक ऑवर के लिए तुरंत डायरेक्टर बदलने की बात कर रहा है जो अवैध है।
इस दौरान ने कहा कि ‘Zee सिर्फ एक व्यवसाय नहीं है। यह करोड़ों भारतीयों के जीवन का हिस्सा है।’ सुभाष चंद्रा का शुरू से मानना है कि भारत के पास उसका एक विश्वस्तरीय मीडिया संस्थान होना चाहिए। अपने टीवी साक्षात्कार में भी उन्होंने यह बात दोहराई कि Zee के मालिक न तो वह हैं, न invesco, Zee के असली मालिक ढाई लाख शेयर होल्डर्स और 90 करोड़ दर्शक हैं।
वास्तव में Invesco द्वारा जिस तरह से ज़ी पर कब्जा करने के प्रयास किये जा रहे हैं उससे संदेह तो होना तय है और सुभाष चंद्रा इस मामले के लेकर लगातार अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। ऐसे में देखना ये है कि Invesco अपने उद्देश्य में कामयाब हो पाता है या नहीं।