आखिर क्यों अग्नि-5 के सफल परीक्षण ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया

डर के मारे फूल रही है चीन की सांसे!

अग्नि-V के सफल परीक्षण

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भारत द्वारा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के सफल परीक्षण ने दुनिया भर में सनसनी मचा दी है। हालांकि, इससे किसी लोकतांत्रिक देश को डरने की आवश्यकता नहीं, लेकिन चीन की सांसे अवश्य ही फूल रही होगी। अग्नि-5 पूरे चीन को कवर करता है और यदि आवश्यक हो, तो कम्युनिस्ट राष्ट्र को शानदार ढंग से धुएं में उड़ाने में भारत सक्षम होगा। यही कारण है कि अग्नि-5 के सफल परीक्षण ने इतना वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। नई दिल्ली और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए, दुनिया भर के मीडिया प्रकाशनों और संगठनों ने इस खबर को कवर किया है।

अरब न्यूज, ब्लूमबर्ग, अल जज़ीरा, द वाशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जर्नल, निक्केई एशिया और अन्य वैश्विक मीडिया हाउस ने यह उल्लेख करते हुए खबर प्रकाशित किया है कि कैसे अग्नि 5 आईसीबीएम का सफल प्रक्षेपण चीन के लिए एक कड़ा संकेत था।

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निक्केई एशिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “…भारत ने पहले भी अग्नि-5 के कई परीक्षण किए हैं, लेकिन कहते हैं कि नवीनतम प्रक्षेपण को 10 अक्टूबर की भारत-चीन सैन्य वार्ता की विफलता के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।”

भारत ने चीन के साथ बढ़ते सीमा तनाव के बीच अपने पूर्वी तट से दूर एक द्वीप से 5,000 किलोमीटर (3,125 मील) की दूरी के साथ परमाणु-सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल का नाम हैं अग्नि-5। भारत ने बुधवार को ओडिशा तट के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया।

बीजिंग भी इसकी जद में आएगा

अग्नि-5 मिसाइल तीन चरणों वाले ठोस-ईंधन वाले इंजन का उपयोग करती है, वो बहुत उच्च सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर की सीमा तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इस सफल परीक्षण पर एक सरकारी बयान में कहा गया है कि बुधवार को सफल प्रक्षेपण “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता रखने की भारत की नीति के अनुरूप था, जो पहले उपयोग न करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।” बुधवार रात जारी बयान में कहा गया है कि अग्नि-5 मिसाइल “उच्च स्तर की सटीकता” के साथ अपने परीक्षण में सफल रहा।

बीजिंग के शक्तिशाली मिसाइल शस्त्रागार ने हाल के वर्षों में नई दिल्ली को अपनी हथियार प्रणालियों में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अग्नि-5 लगभग पूरे चीन पर हमला करने में सक्षम है। अर्थात, इस ICBM की रेंज चीन तक है और बीजिंग भी इसकी जद में आ जाएगा।

गौरतलब है कि भारत पहले से ही पड़ोसी पाकिस्तान के अंदर कहीं भी हमला करने में सक्षम था, अब चीन को अपने मिसाइल की रेंज में लाना एक बड़ी सफलता है। देश की रक्षा क्षमताओं को विकसित करने के लिए चीन के साथ बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच भारत 1990 के दशक से अपनी मध्यम और लंबी दूरी की परमाणु और मिसाइल प्रणाली विकसित कर रहा है। भारत ने 1989 में मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला का परीक्षण अग्नि-1 के साथ शुरू किया था, जो एक इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 1,000 किलोमीटर है। उस समय केवल अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ, चीन, फ्रांस और इज़राइल के पास ICBM तकनीक थी। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया और भारत के पास अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4, अग्नि प्राइम के बाद अब अग्नि-5 जैसे मिसाइल विकसित हो चुके हैं। अब रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा निर्मित इस मिसाइल का सफल परीक्षण पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के बीच हुआ है।

Source- News 18

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50,000 किग्रा है इसका लॉन्च वजन 

बता दें कि अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में किया गया था, जबकि पिछला परीक्षण लगभग तीन साल पहले किया गया था। अग्नि-5 मिसाइल परियोजना पर काम एक दशक से अधिक समय पहले शुरू हुआ था। परियोजना की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि यह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल है। अधिकारियों का कहना है कि मिसाइल के सफल परीक्षण से स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड में इसके शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड भारत की सामरिक परिसंपत्तियों की देखभाल करती है।

वहीं, केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इसकी अधिकतम सीमा लगभग 5,000 किमी है। कई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि यह लक्ष्य को 8,000 किमी तक मार सकता है। परमाणु सक्षम मिसाइल लगभग 1,500 किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है और इसका लॉन्च वजन 50,000 किलोग्राम है, जो इसे देश की सबसे शक्तिशाली मिसाइलों में से एक बनाता है।

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अग्नि-5 को जो चीज शक्तिशाली बनाती है, वो यह है कि अग्नि-5 एक “कनस्तरीकृत” मिसाइल है। इसका मतलब है कि मिसाइल को सड़क और रेल प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसे कहीं भी तैनात करना और तेज गति से लॉन्च करना आसान हो जाता है। कनस्तरीकरण, एक इनकैप्सुलेटेड सिस्टम है, जिसमें मिसाइल को संग्रहीत और लॉन्च किया जाता है। यह मिसाइल को एक लंबी शेल्फ लाइफ भी देता है तथा इसे कठोर जलवायु परिस्थितियों से बचाता है।

अग्रनि-VI को भी किया जा रहा विकसित

भारत यकीनन ICBM क्षमता वाले मुट्ठी भर देशों में से एक है, पर वो यहीं पर रुकने वाला नहीं है। इसी मिसाइल की अगली पीढ़ी, अग्नि-VI का भी विकास किया जा रहा है, जिसकी रेंज लगभग 8,000 किमी होने की उम्मीद है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत ने चीन के स्वभाव को समझते हुए अब और अधिक आक्रामक होने का निर्णय लिया है। अग्नि-5 मिसाइल सिस्टम में आने वाले समय में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) भी शामिल होंगे। MIRV का उपयोग 2-10 अलग-अलग परमाणु आयुधों को ले जाने और लक्षित करने के लिए किया जाएगा। भारत के अग्नि-5 के सफल लॉन्च की कहानी के बाद वैश्विक मीडिया द्वारा हो हल्ला मचाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। यह वास्तव में एक बड़ा विकास है और इस परीक्षण का एकमात्र लक्ष्य चीन है।

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