सहकारी बैंक के जरिए सर्वाधिक भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं, जिसमें मुख्य तौर पर अगर किसी को निशाने पर लिया गया है, तो वो महाराष्ट्र की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी एनसीपी ही है। वहीं जब से केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सहकारिता मंत्रालय का जिम्मा संभाला है, तब से आयकर विभाग से लेकर प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियां लगातार सहकारिता संबंधी भ्रष्टाचार के मामलों में अपनी कार्रवाई को विस्तार दे रही हैं। इसी वर्ष जुलाई में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी के नाम पर चल रही चीनी मिल संबंधी भ्रष्टाचार पर पहले प्रवर्तन निदेशालय ने 65.75 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की थी। इसके विपरीत अब रिपोर्ट्स बताती हैं कि हाल ही में राज्य के एक कैबिनेट मंत्री के अलग-अलग ठिकानों पर आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की गई है, जिसके तार अजित पवार से ही जुड़े हुए हैं। अमित शाह द्वारा सहकारिता विभाग संभालने के बाद से जिस तरह से महाराष्ट्र में लगातार कार्रवाई हो रही हैं, वो संकेत हैं कि महाराष्ट्र में शरद पवार और उनके परिवार की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं।
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आयकार विभाग का छापा
सहाकारी बैंक में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, उसके बाद से ही आयकर विभाग भ्रष्टाचारियों की नींद उड़े रहा है। हाल ही में इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि महाराष्ट्र के कैबिनेट स्तर के एक मंत्री के घर सहित अनेको ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा ताबड़तोड़ छापेमारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार मंत्री से संबंधित ठिकानों पर मुंबई-पुणे-गोवा तक में छापेमारी की गई है। ET की रिपोर्ट के अनुसार इस मंत्री के ही सहयोगी बिल्डर के ठिकानों पर भी आयकर विभाग ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। अधिकारियों के मुताबिक ये छापेमारी जरेन्देश्वर शुगर कॉपरेटिव मिल और दौंद की मिल से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में हुई है, और कई आवश्यक दस्तावेजों को जब्त किया गया है।
जब्त हो चुकी है संपत्ति
आयकर विभाग की इस कार्रवाई को लेकर ये कहा जा रहा है कि इस संपत्ति का सीधा संबंध एनसीपी प्रमुख शरद पवार से हैं, जो इस बात का संकेत देता है कि असल लपेटे में इस बार फिर उनके भतीजे अजित पवार ही आए हैं। आयकर विभाग की इस कार्रवाई से पहले डिप्टी सीएम अजीत पवार पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी शिकंजा कसा गया था। कुछ महीनों पूर्व प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जरेन्देश्वर सहकारी शुगर कारखाना नामक एक मिल पर कार्रवाई की गई थी, जो कि अजीत पवार की पत्नी के नाम पर ही रजिस्टर्ड है। ईडी का कहना है कि साल 2010 में MSCB सहकारी बैंक की नीलामी में इस चीनी मिल को बेहद सस्ते दामों में खरीदा गया था, और उस दौरान सहकारी बैंकों से संबंधित बोर्ड में शरद पवार महत्वपूर्ण सदस्य थे।
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शिकंजे में पवार परिवार
सहकारी बैंक से संबंधित इस छापेमारी की रिपोर्ट में किसी भी नेता का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया गया है, लेकिन चीनी मिलों का लिंक सीधे अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार से ही जुड़ता है। ये इस बात का संकेत है कि सहकारी बैंकों पर कब्जा जमाकर जिस तरह से शरद पवार एंड कंपनी ने भ्रष्टाचार किए हैं, उसके बाद अब वो और उनका पूरा परिवार निशाने पर आ गया है। इसकी एक मात्र वजह ये है कि मोदी सरकार ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जिसका कार्यभार गृहमंत्री अमित शाह संभाल रहे हैं।
बढ़ गई मुलाकातों की संख्या
अमित शाह ने जैसे ही कार्यभार संभाला है, उसके बाद से ही शरद पवार की बातों की कटुता में गिरावट आई है। पवार का जब भी दिल्ली दौरा होता है, तो वो प्रत्येक बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी औऱ गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात अवश्य करते हैं। वहीं वो अब मोदी सरकार के विरुद्ध पहले की भांति आक्रामक भी नहीं रहे हैं। अब ऐसा लगता है कि सहकारिता मंत्रालय ने अपना काम भी आरंभ कर दिया है। अब आने वाले समय में सहकारी बैंक से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की एक-एक कार्रवाई एनसीपी और पवार परिवार पर भारी पड़ने वाली है।