कभी किसी वेबसाइट पर किसी चैटबॉट से बात किया है? क्या वह आपकी समस्या का हल करने में सफल रहा है? एलेक्सा को या सिरी को गाना बजाने के लिए तो कहा ही होगा! COVID-19 के लिए सरकार द्वारा MyGov पर संचार सुनिश्चित करने के लिए AI सक्षम चैटबॉट का उपयोग किया गया था। आज कल सभी क्षेत्र में AI, यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रमुखता बढ़ती जा रही है। भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को आत्मविश्वास से भरकर, लेकिन स्थिर तरीके से अपना रहा है। सरकारी एजेंसियां, स्टार्टअप और बड़ी कंपनियों की ओर से इसे विभिन्न कार्यों और क्रियाओं में लागू किया जा रहा है।
पिछले वर्ष हुए RAISE 2020 शिखर सम्मेलन (Responsible AI for Social Empowerment) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के मुद्दों को नीति निर्धारण की चर्चाओं के केंद्र में लाया है। इसे पीएम मोदी ने ही शुभारंभ किया था। दुनिया भर के देश AI के नेतृत्व वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने के प्रयास कर रहे हैं, जिससे 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगभग 15.7 ट्रिलियन डॉलर के योगदान का अनुमान है। भारत अपनी “AI for All” रणनीति के तहत AI प्रशिक्षित कार्यबल के एक विशाल भंडार और एक उभरता हुआ स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के साथ AI संचालित सोल्युशंस बनाने में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनने जा रहा है। अगर यह कहा जाए कि यह तो आरंभ है और अंत तो अनंत होने वाला है, तो यह गलत नहीं होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या?
अब समझते हैं कि ये AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या? दरअसल, यह कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है, जो विकासशील मशीनों से संबंधित है। यह उन कार्यों को पूरा कर सकती है, जिनमें आम तौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है। कंप्यूटिंग क्षमता के उपलब्ध डेटा की बढ़ती मात्रा के साथ दुनिया AI, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग में तेजी से प्रगति कर रही है, तथा अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को बदल रही है। भारत में एक बड़ी युवा आबादी है जो कुशल है और AI को अपनाने के लिए उत्सुक है। मुख्य रूप से अपने बड़े AI प्रशिक्षित कार्यबल के कारण स्टैनफोर्ड AI वाइब्रेंसी इंडेक्स में देश को दूसरा स्थान दिया गया है। हमारे प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे IIT, IIIT और NIT में AI शोधकर्ताओं और स्टार्टअप के लिए माहौल तैयार करने की क्षमता है।
भारत में AI की सफलता के पीछे नीति आयोग की नीतियां हैं
90 के दशक के मध्य से ही भारत में IT और ITES अर्थव्यवस्था का एक महातपूर्ण हिस्सा रहे हैं। इस क्षेत्र ने 2016 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7.7% का योगदान दिया था। इसी मजबूत आधार को देखते हुए मोदी सरकार ने फरवरी 2018 में घोषणा की थी कि नीति आयोग अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने वाले AI पर आधारित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम को लॉन्च करेगा। नीति आयोग ने National Strategy on Artificial Intelligence को उसी वर्ष लॉन्च किया था। यह फैसला 2017 में भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग विभाग द्वारा भारत के आर्थिक परिवर्तन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक टास्क फोर्स के शुभारंभ के बाद आया था। तब से ही भारत में AI के लिए लगातार नए आयाम लिखे जा रहे हैं।
GDP में है बड़े योगदान की उम्मीद
एक्सेंचर की एक रिपोर्ट के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संभवतः 2035 में 957 बिलियन डॉलर, या भारत के वर्तमान सकल मूल्य का 15% हिस्सा बन सकती है। प्रौद्योगिकी, सूचना और क्षमता का मिश्रण जो AI को संभव बनाता है, इससे इस क्षेत्र के निवेश में असाधारण वृद्धि देखने को मिली है। जैसे Google, Oracle, Microsoft और Amazon अमेरिकी सरकार की क्लाउड कंप्यूटिंग और मशीन लर्निंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए लड़ रहे हैं, अगले तीन से पांच साल भारत के भीतर भी इसी तरह की गतिशीलता पैदा कर सकते हैं।
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जैसे भारत सरकार डिजिटलीकरण पर जोर देती है, उससे भी अधिक AI गतिविधियों के उपयोग पर जोर लगा रही है, जिसे देखते हुए निजी फर्में बड़े कॉन्ट्रैक्ट के लिए रेस करती नजर आएंगी। यही नहीं इससे नई तकनीकों को विकसित करने तथा नए AI और डेटा विज्ञान से संबंधित स्टार्टअप भी बड़े स्तर पर सामने आएंगे।
पिछले वर्ष जब पीएम मोदी ने RAISE 2020 शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया था, तब उन्होंने कहा था कि भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाया है, जो शिक्षा के एक प्रमुख हिस्से के रूप में प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा और कौशल पर केंद्रित है। उन्होंने आगे कहा था कि विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में ई-कोर्स भी विकसित किए जाएंगे, इस पूरे प्रयास से AI प्लेटफॉर्म की प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) क्षमताओं से लाभ होगा। यही नहीं उन्होंने बताया था कि अप्रैल 2020 में शुरू किए गए ‘Responsible AI for Youth’ कार्यक्रम के तहत स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों ने बुनियादी पाठ्यक्रम को पढ़ा है और वे अब अपनी AI परियोजनाओं का निर्माण कर रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूली पाठ्यक्रम में AI को एकीकृत किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसे पढ़ने वाले छात्रों को डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बुनियादी ज्ञान और कौशल हो। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में ‘Responsible AI for Youth’ कार्यक्रम शुरू किया था, जिसमें सरकारी स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों ने एआई में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया था।
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AI स्टार्टअप्स के लिए अच्छा माहौल किया जा रहा है तैयार
प्रधानमंत्री ने बताया था कि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच, डिजिटल बुनियादी ढांचे, डिजिटल कंटेट और क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक ई-शिक्षा इकाई बनाएगा। उन्होंने वर्चुअल लैब की स्थापना, अटल इनोवेशन मिशन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया था और कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम समाज की समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित होगा। यही कारण है कि देश में AI स्टार्टअप के लिए माहौल बना है। पिछले कुछ समय से स्टार्टअप इकोसिस्टम में तेजी देखा गया है और विशेषज्ञों ने 2025 तक भारत में लगभग 150 यूनिकॉर्न की भविष्यवाणी की है।
AI के क्षेत्र में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। AIMResearch के अनुसार भारतीय AI स्टार्टअप्स ने 2020 में 836.3 मिलियन डॉलर जुटाए, जो पिछले सात वर्षों में 9.7% साल-दर-साल की वृद्धि के साथ सबसे बड़ा फंडिंग परिव्यय है। वहीं, साल 2020 में ही भारत सरकार ने AI, IoT, डेटा, साइबर सुरक्षा, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल इंडिया के लिए परिव्यय को बढ़ाकर 477 मिलियन डॉलर कर दिया था।
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2025 तक 20 मिलियन नौकरियां पैदा कर सकते हैं AI और डेटा
साल 2019 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार AI, डेटा और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों में भारत में 10 मिलियन युवाओं के लिए उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण की पेशकश करेगी। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से AI के कई स्टार्टअप सामने आए हैं। एनालिटिक्स इंडिया मैगज़ीन ने ऐसे ही कंपनियों की सूची बनाई है जो भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं। कुछ कंपनियां, जैसे- Wysa, Emotix, Ziptrax Cleantech, Yellow.ai, Qure.ai, LogiNext, WotNot, Ishitva Robotic Systems तो काफी बेहतरीन काम कर रही हैं।
AI अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपकरण है, लेकिन इससे होने वाले बदलाव भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए बहुत गहरे और फायदेमंद होंगे। भारत में एआई के लिए अवसर बहुत बड़ा है, साथ ही इसके कार्यान्यवन की गुंजाइश भी है। साल 2025 तक डेटा और AI भारतीय अर्थव्यवस्था में $500 बिलियन से अधिक जुटा सकते हैं और लगभग 20 मिलियन नौकरियां भी पैदा कर सकते हैं।
भारत की “AI for All” रणनीति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित है, जिसका मकसद भारत को दुनिया का AI सुपर पावर बनाने के इरादे से बड़े पैमाने पर AI Solution तैयार करना है। भारत एक विश्वसनीय देश बन सकता है, जहां से दुनिया AI से संबंधित काम को आउटसोर्स कर सकती है। भविष्य में वैश्विक उद्यमिता के क्षेत्र में भारत के वर्चस्व के लिए AI ही महत्वपूर्ण टिकट साबित होने वाला है।