पिछले कुछ दशकों से भारत पूरी दुनिया के साथ- साथ चीन के लिए बड़ा बाजार रहा है। निवेश के तौर पर कई चीनी कंपनियों ने भारत में दस्तक दी है और ये कम्पनियाँ आज भी भारतीय बाजारों से मुनाफा कमा रहीं हैं। ‘मेड इन चाइना’ का टैग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कहा जाता है कि व्यापर में ईमानदारी और वफ़ादारी को दूर रखा जाता है। आज पूरी दुनिया मोबाइल पर इतना व्यस्त हो चुकी है कि एक साबुन की टिकिया खरीदने से लेकर लोन लेने तक का सारा काम घर बैठे मोबाइल एप्स के सहारे होता है। तकनीक के इस युग में कुछ कम्पनियां चोरी और धोखाधड़ी के सहारे अपने व्यापर का विस्तार करती हैं। हाल ही में, बेंगुलुरु से एक मामला सामने आया है, जिसमें एक चीनी फर्म ने अपने ग्राहकों को ऋण उधार देकर उन्हें साप्ताहिक आधार पर भुगतान करने के लिए विवश किया।
पुलिस ने किया चीनी ऋण रैकेट का भंडाफोड़
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, बीते बुधवार को बेंगलुरु पुलिस ने बेंगलुरु स्थित एक फर्म पर छापा मारा। बेंगलुरु पुलिस की जांच से पता चला कि “तीन चीनी नागरिक फर्म चला रहे थे, जिसने कैश मास्टर और क्रेजी रुपये जैसे पैसे उधार देने वाले मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए थे। फर्म ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ एक समझौता किया था और ऐप के माध्यम से लोगों को पैसे उधार दे रही थी”
गौरतलब है कि फर्म ने अपने ग्राहकों से अत्यधिक प्रसंस्करण शुल्क लेना शुरू किया और एक बार ऋण वितरित होने के बाद, फर्म के क्रमचारियों ने उधार लेने वाले ग्राहकों को फोन और इंटरनेट कॉल करना शुरू कर दिया, इतना ही नहीं बल्कि उन्हें साप्ताहिक आधार पर ब्याज का भुगतान करने के लिए विवश भी किया गया। पुलिस ने मामले की जांच के बाद पता लगया कि “फर्म में यदि कोई उधार लेने वाला ग्राहक ब्याज का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसके ऋण विवरण को उसके दोस्तों के साथ साझा किया जाता है और उसका अपमान किया जाता है।”
वहीं, पुलिस जांच से पता चला है कि चीनी नागरिकों ने ग्राहकों से उनका आईडी प्रूफ़ जैसे आधार और पैन कार्ड लेकर उनके नाम पर 5-6 फर्जी कंपनियों को पंजीकृत किया था। कुल मिलाकर 52 कंपनियां पंजीकृत हुईं और यहां तक की ग्राहकों के आईडी प्रूफ़ से निजी बैंकों में बैंक खाते भी खोले गए थे। उधार लेने वाले ग्राहकों द्वारा भुगतान किए गए ब्याज को फर्म के खातों में जमा किया गया था। चौंका देने वाली बात यह है कि इन खातों से ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से करोड़ों रुपये चीन भेजे गए हैं।
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फर्जी फर्मों पर लगाम लगाने की है जरुरत
बता दें कि बेंगलुरु पुलिस की टीम ने संदिग्ध मामले से जुड़े दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों आरोपी चीन के नागरिक हैं। वहीं एक आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त से फ़रार है। मालूम हो कि इस फर्जी फर्म को तीन चीनी नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा था। ऐसे में, पुलिस ने इस फर्जी फर्म का भंडाफोड़ करके कई भारतीय नागरिकों को इस जाल में फंसने से बचा लिया है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि इसके अलावा भारत में कई ऐसे चीनी फर्म हैं, जो फर्जीवाड़े का सर्टिफिकेट लेकर घूम रहें हैं और व्यापर कर रहे हैं, उनपर भी लगाम लगाने की जरुरत है।