केंद्र सरकार ने सोमवार को रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक, अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW) के सचिव के कार्यकाल को दो साल की अवधि के लिए बढ़ाने के संबंध में गजट अधिसूचना जारी की। यह आदेश मोदी सरकार द्वारा उस अध्यादेश लाने के एक दिन बाद आया है, जिसमें ईडी और सीबीआई प्रमुखों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ा दिया गया है।
वर्तमान में इन पदों पर सिविल सेवकों का दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है और उनकी नियुक्तियां Delhi Special Police Establishment Act, 1946 (DSPE) अधिनियम द्वारा शासित होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीते दिन सोमवार को केंद्र ने Fundamental Rules 1992 में संशोधन करते हुए कहा कि रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक और रॉ के सचिव के लिए एक्सटेंशन “दो साल से अधिक नहीं” हो सकते हैं।
इस आदेश का मतलब यह होगा कि अगर सरकार चाहे, तो उन्हें दो साल तक का विस्तार दे सकती है और एक अधिकारी उस पद पर चार साल तक रह सकता है। अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार “यदि जनहित में ऐसा करना आवश्यक समझती है, तो रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, अनुसंधान और विश्लेषण विंग के सचिव और केंद्रीय ब्यूरो के निदेशक को सेवा में विस्तार दे सकती है।”
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ऑफिसरों के कार्यकाल में होगी वृद्धि
ईडी और सीबीआई प्रमुखों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने के सरकार के फैसले के बाद TFI ने अपने एक लेख में कहा था कि सरकार का यह विस्तार सही दिशा में एक कदम है और विभिन्न मंत्रालय विभागों के सचिवों की नियुक्ति में भी ऐसे ही किया जाना चाहिए। अब एक दिन बाद ही सरकार की ओर से यह कदम देखने को मिला है।
अगर आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो इस फैसले के कारण सभी मौजूदा ऑफिसरों के कार्यकाल में वृद्धि देखने को मिलेगी। गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (जिन्होंने अपना दो साल का निश्चित कार्यकाल पूरा कर लिया है) को अगस्त 2021 में एक साल के लिए विस्तार दिया गया था। नए नियमों के मुताबिक अब उनका एक वर्ष का और विस्तार हो सकता है।
इसी तरह आईबी प्रमुख अरविंद कुमार और रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल, जिन्हें मई 2021 में एक साल का विस्तार दिया गया था, उन्हें एक साल के लिए एक और विस्तार मिल सकता है। यही नहीं, अगस्त 2021 में अपना दो साल का कार्यकाल पूरा करने वाले रक्षा सचिव अजय कुमार इस पद पर बने हुए हैं, क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली है। ऐसे में अगर वह रक्षा सचिव बने रहते हैं, तो सेवानिवृत्ति के बाद भी वो दो साल के विस्तार के लिए पात्र होंगे।
विधायिका और कार्यपालिका के बीच तालमेल आवश्यक
बता दें कि साल 2005 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा सचिव, गृह सचिव और खुफिया ब्यूरो और रॉ के प्रमुखों के लिए दो साल के निश्चित कार्यकाल को मंजूरी दी थी। मोदी सरकार द्वारा इन दोनों अध्यादेशों को लाने का मकसद इन सभी पदों को स्थिरता देना है। विधायिका का कार्यपालिका के साथ तालमेल आवश्यक है और यह फैसला इसी तालमेल को सुनिश्चित करेगा। नौकरशाही के किसी पद पर अल्पावधि कार्यकाल देश को ही नुकसान पहुंचाता है।