सम्मान उसे दिया जाना चाहिए, जो सम्मान के लायक हो! वर्ष 2021 के राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में ऐसे लोगों को अलंकृत किया गया है जो कि समाज के अलग-अलग तबके से जुड़े हुए हैं, और केवल बड़ी बातें नहीं करते अपितु पर्दे के पीछे ज़मीनी स्तर पर काम भी करते हैं। ऐसे में देश में पहली बार किसी ट्रांसजेंडर को लोक नृत्य के लिए सम्मानित किया गया है। जोगम्मा विरासत की ट्रांसजेंडर लोक नर्तकी और कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष, मठ बी मंजम्मा जोगती को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया, जो कि ट्रांसजेंडर समाज के लिए एक गौरवान्वित करने वाला विषय है, लेकिन खास बात ये है कि उनका अंदाज और उनका रहन-सहन लिबरलों को घृणित कर सकता है, इसकी वजह आरएसएस और हिंदुत्व संस्कृति से उनका जुड़ाव है।
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ट्रांसजेंडर को मिला पद्म श्री
साल 2021 में जब पद्म श्री पुरस्कारों का ऐलान हुआ, तो उसमें एक नाम जोगम्मा विरासत की ट्रांसजेंडर लोक नर्तकी मठ बी मंजम्मा जोगती का भी था, जो कि न केवल देश की सांस्कृतिक विरासत को अभी तक संजोए हुए हैं, अपितु उन्हें विस्तार देने का प्रयास भी करती रही हैं। इसकी झलक राष्ट्रपति भवन में उनके पुरस्कार लेते वक्त भी दिखी। दरअसल, उन्होंने पद्म श्री सम्मान लेने से पहले राष्ट्रपति रामनाम कोविंद की अनोखे अंदाज में नजर उतारी, जिसको देख पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, इतना ही नहीं राष्ट्रपति ने भी उनके इस सांस्कृतिक सम्मान के लिए अपने आप को कुछ पलों के लिए शिथिल कर लिया, जो कि एक सहज सोच का परिणाम है।
मठ बी मंजम्मा जोगती का आरएसएस से लगाव
एक तरफ जहां मठ बी मंजम्मा जोगती को पद्म श्री मिला, तो दूसरी ओर उनके इतिहास की चर्चा होने लगी। लोगों को पता चला कि कैसे उन्होंने कर्नाटक में लोक संगीत और नृत्य को नया आयाम देने के सभी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं, और वो कितनी गरीबी से उठकर आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। ऐसे में अब उनकी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें कुर्सी पर बैठी मंजम्मा के बगल में एक तरफ भारत माता की फोटो है, तो वहीं ऊपर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पहले सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार की बड़ी सी तस्वीर लगी है, जो कि कर्नाटक के किसी आरएसएस दफ्तर की बताई जा रही है।
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फर्जी एक्टिविज्म को तमाचा
मठ बी मंजम्मा जोगती की ये तस्वीर इस बात का प्रमाण है कि वो आरएसएस और हिंदुत्व संस्कृति से प्रभावित है और यही बात लिबरलो को सर्वाधिक चुभने वाली है! इतना ही नहीं, पद्म श्री मिलने से ये भी साबित हुआ है कि भारत सरकार उन्हें ही सम्मानित करती है, जो कि सम्मान के लायक हों, इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो जाति, धर्म, लिंग में किस वर्ग के हैं। लिबरलों को उम्मीद नहीं थी कि किसी किन्नर को देश में पद्म श्री भी मिल सकता है, लेकिन मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि योग्य लोगों को उचित सम्मान मिलना ही चाहिए।
गौरतलब है कि देश में ट्रांसजेंडर्स के हितों को लेकर आए दिन नौटंकी होती रहती है, ये दिखाने की कोशिश होती है कि कैसे यहां ट्रांसजेंडर मुख्य धारा से कटे हुए हैं। इसके विपरीत अब मोदी सरकार ने ट्रांसजेंडर्स के हितों की बात करने वाले अमेरिकी एजेंडे की हवा भी फुस्स कर दी है, जिसका प्रमाण मंजम्मा को पद्म श्री मिलना है।