हिमंता बिस्वा सरमा ने लम्बिंग जंगल को कराया बांग्लादेशी अतिक्रमणकारियों से मुक्त

जिला प्रशासन ने 555 घरों और अवैध ढांचों को ध्वस्त किया!

लुमडिंग वन

लुमडिंग आरक्षित वन – बलिया जिले में एक सुरहा ताल है। वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के रूप में यह वर्णित है। यह कुल 17 स्क्वायर किलोमीटर तक फैला हुआ है। अब जरा सोचकर देखिए कि अगर किसी समूह जिनकी जनसँख्या अगर 1000 भी हो, अगर उनको इतनी सम्पति मिल जाये तो क्या होगा? और तब क्या होगा जब यह जगह पर्यावरण के दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान हो?

बांग्लादेश घुसपैठियों की समस्या सिर्फ रिहायशी इलाकों की नही है। बांग्लादेश से घुसपैठ करने वाले ऐसी-ऐसी जगहों पर आबादी बढ़कर जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश करते हैं कि आपको वास्तविकता जानकर हैरानी होगी।

लुमडिंग (आसाम) में ऐसे ही कुछ परिवारों ने 1400 से ज्यादा एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया है। त्रिपुरा में त्रिपुरी लोगों को अल्पसंख्यक बनाने के बाद अब वन्यजीव सरंक्षण की जमीन पर भी घुसपैठियों की नजर पड़ चुकी है। धन्य भाग्य उत्तर पूर्व का कि वहां पर जनादेश हेमंता बिस्वा शर्मा के पास है। हेमंता दरांग के बाद उस जगह की जांच पड़ताल कर रहे है, जहां सरकारी जमीन है और वहां अधिग्रहण किया गया है।

असम सरकार ने 8 नवंबर को होजई जिले के लुमडिंग आरक्षित वन में अतिक्रमणकारियों को वन भूमि से बेदखल करने के लिए एक बेदखली अभियान चलाया था।

बेदखली अभियान के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए लुमडिंग आरक्षित वन क्षेत्र में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और असम पुलिस सहित 1000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था।

आपको बताते चलें कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद असम सरकार ने वन भूमि से अवैध बसने वालों को हटाने के लिए अभियान चलाया है। कल इसी कड़ी में बड़ा कदम उठाने के बाद हेमंता बिस्वा शर्मा ने बताया, “कई लोगों ने आरक्षित वन की भूमि पर कब्जा कर लिया था। आज का निष्कासन अभियान बहुत शांतिपूर्ण रहा। आज से, लुमडिंग रिजर्व वन अतिक्रमण मुक्त हो गया है। आज, हमने लगभग 555 घरों, अवैध संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया है। वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले अधिकांश लोगों ने हमारा सहयोग किया और वे वन भूमि से चले गए। हमारा अभियान कल भी जारी रहेगा।’

कोर्ट का है आदेश

गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई करते हुए असम सरकार, सोमवार से होजाई जिले के लुमडिंग वन में बेदखली अभियान चलाएगी लेकिन पिछले सितंबर में दरांग जिले जैसी किसी भी अवांछित स्थिति से बचने के लिए सरकार बसने वालों को सलाह दे रही है कि वह अपने आप घर को छोड़ दें।

होजई जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक, 8 नवंबर को प्रशासन और पुलिस बल के क्षेत्र में पहुंचने से पहले ही अधिकांश अतिक्रमणकारियों ने अपने घरों को छोड़ दिया है। जिला प्रशासन ने दिन के दौरान 555 घरों और वन भूमि के अंदर बने अवैध ढांचों को ध्वस्त कर दिया था l

होजई जिला प्रशासन ने कहा कि बेदखली का अभियान नौ नवंबर को भी जारी रहेगा। रिपोर्टों के अनुसार, लुमडिंग आरक्षित वन ने 22,403 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर किया है और इसमें से 1,410 हेक्टेयर पर लोगों ने कब्जा कर लिया है।

इससे पहले 23 सितंबर को राज्य सरकार ने दरांग जिले के ढालपुर-गोरुखुटी इलाके में बेदखली अभियान चलाया था। दरांग जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान के दौरान, स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 15 पुलिसकर्मियों शाहिद हो गए, इसके साथ कई अन्य घायल हो गए।

डेमोग्राफी यानी जनसांख्यिकी किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण चीज मानी जाती है। इसके बदलने के आयाम त्रिपुरा में देखे जा सकते है। इसको मजाक में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि देश में कश्मीरी पंडितों के पलायन से लेकर कैराना के पलायन तक, सब जनसांख्यिकी का ही नतीजा है। खैर, इस चीज को समझते हुए ही असम के लोगों ने हेमंता के रूप में हनुमान चुना था, जो ऐसी आसुरी शक्तियों का नाश करना जानते है।

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