‘हिंदू बाबरी विध्वंस का जश्न मना रहे थे’ The Milli Gazette ने गोधरा त्रासदी को उचित ठहराया

इस घृणित सोच के लिए कोई भी शब्द अपर्याप्त होगा!

The Milli Gazette

भारत एक ऐसा देश है, जहां धर्मनिरपेक्षता की रूढ़िवादी संकल्पना के सहारे लिबरल गुट ने बहुसंख्यक वर्ग पर कड़ा प्रहार करने की कोशिश की है। इसे लिबरल गुट की अल्पबुद्धि का परिणाम ही कहिए कि हाल ही में, देश के कुछ लिबरल्स कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के शो रद्द होने से बिलबिलाने लगे हैं। लिबरल्स अब खुल के हिन्दू विरोध करने वाले लोगों के समर्थन में सामने आ रहे हैं, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। देश में हिन्दुओं के विरूद्ध बढ़ती नफरत इस बात की तरफ इशारा करती है कि बहुसंख्यक होते हुए भी इनके धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाया जा रहा है।

इस्लामिक अखबार ने ‘गोधरा नरसंहार’ को सही ठहराया

हाल ही में, एक मामला सामने आया है कि इस्लामिक अखबार The Milli Gazette ने अपने ट्वीट के माध्यम से गोधरा कांड में हिंदुओं के नरसंहार को सही ठहराया है। आपको बता दें कि 2002 में अयोध्या से लौट रहे 58 हिंदुओं को अल्पसंखयक भीड़ ने जिंदा जला दिया था। दिलचस्प बात यह है कि The Milli Gazette दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान द्वारा स्थापित एक दिल्ली आधारित डिजिटल समाचार प्रकाशन है। ‘कॉमेडियन’ मुनव्वर फारूकी द्वारा गोधरा नरसंहार के मजाक को वैध ठहराने के अपने प्रयास में डिजिटल समाचार प्रकाशन ने जोर देकर कहा कि “हिंदू की सामूहिक हत्या उचित थी क्योंकि वे बाबरी मस्जिद के विध्वंस का ‘जश्न’ मना रहे थे।”

The Milli Gazette ने अपनी ट्वीट में कहा –“क्या मुनव्वर ने ऐसा बोला कि अगर कोई पिल्ला भी उसके गाड़ी के नीचे आ जाए तो वो दुखी हो जाता है? इससे ज्यादा क्रूर क्या हो सकता है आनंद? क्या गोधरा Auschwitz के समान था? आपकी माने तो यहूदी ट्रेन में सवार लोगों पर और स्टेशन पर इसलिए हमला कर रहे थे, क्योंकि वह एक धार्मिक ढाँचे के विध्वंस का जश्न मनाने जा रहे थे?”

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ट्विटर पर The Milli Gazette को लगाई लताड़

आपको बता दें कि The Milli Gazette अपने ट्विटर अकाउंट से वैज्ञानिक एवं स्तंभकार आनंद रंगनाथन के एक ट्वीट का जवाब दे रहा था, जिसमें 2002 के गोधरा कांड के दौरान हिंदुओं की सामूहिक हत्या का मजाक उड़ाने के लिए मुनव्वर फारूकी की आलोचना की गई थी। रंगनाथन ने मुन्नवर को यह कहते हुए लताड़ लगाई कि “गोधरा में 59 हिंदू पुरुषों, महिलाओं और शिशुओं को जिंदा जलाना, नाजियों द्वारा ऑशविट्ज़ में यहूदियों की गैस को जलाने के समान है।”

The Milli Gazette अखबार की बात करें तो मुस्लिम समुदाय से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाला यह पाक्षिक समाचार प्रकाशन है। इसके संपादक और प्रकाशक जफरुल इस्लाम खान हैं, जिन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में हिंदुओं के उत्पीड़न का जश्न मनाया था और यही नहीं वो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के नेतृत्व वाले दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख भी रह चुके हैं।

TFI के एक पोस्ट के अनुसार, “The Milli Gazette ने लिखा था कि जिस नरसंहार में 56 निर्दोष यात्रियों को जीवित जला दिया गया, उसे उचित ठहराने के लिए ये लोग दंगाइयों की तुलना उन निर्दोष यहूदियों से कर रहे हैं, जिन्हें हिटलर के शासन में केवल और केवल प्रताड़ित किया गया था लेकिन उस पोर्टल से नैतिकता की क्या आशा करना, जिसका खुद का सह-संस्थापक कट्टरपंथ को बढ़ावा देता आया हो?”

धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश

गौरतलब है कि ज़फरुल इस्लाम खान पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से उचित ठहराने का कुत्सित प्रयास कर चुके हैं और इन्होंने कोविड-19 के पश्चात तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी मुसलमानों के विरुद्ध सरकार के कार्रवाई को लेकर काफी विष भी उगला था। इतना ही नहीं, इन्होंने कट्टरपंथी मुसलमान और आतंक समर्थक ज़ाकिर नाइक के तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

ऐसे में, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान पर 1 मई, 2020 को एक देशद्रोही सोशल मीडिया पोस्ट करने के लिए केस दर्ज किया गया था। उस मामले के अनुसार, जफरुल इस्लाम खान ने कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक की प्रशंसा की थी, जो मनी लॉन्ड्रिंग और नफरत फैलाने वाले मामलों में संदिग्ध था। धार्मिक उन्माद के जनक और कट्टरवादी सोच वाले पत्रकार देश की धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं।

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