नौकरी चाहने वालों के लिए सबसे खराब शहर है कोलकाता, आधिकारिक आंकड़े दिखा रहे हैं आईना

भारत के सबसे बेकार शहरों में से एक है कलकत्ता!

Mamta Banarjee सतत विकास लक्ष्य

सतत विकास लक्ष्य इंडिया इंडेक्स – हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या! ये पंक्ति आपने बहुत बार सुनी होगी। इसका साधारण मतलब यह है कि अगर आपने हाथ में कंगन पहने हैं तो उसके लिए आईने की क्या जरूरत है और अगर आप पढ़े लिखे हैं तो फ़ारसी कौन सी बड़ी चीज है? प्रत्यक्ष रूप से देखने के बाद किसी भी प्रमाण की जरूरत नहीं होती है। अब यह मुहावरे बताने का कारण क्या है! आप हमसे सवाल करें इससे पहले हम आपको बता देते हैं।

बात यह है कि एक बहुत बड़की मुख्यमंत्री हैं। उनके नजर में वह एक प्रदेश की मुखिया नहीं हैं, बल्कि वह एक राष्ट्रीय नेता हैं कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति उनसे छोटे हैं। जुबान से बंगाली और कार्य के तरीके से निरंकुशवाद की समर्थक ममता बनर्जी देश बदलने की बात बहुत करती हैं। उनकी माने तो देश में विकास का बस एक ही पैमाना होना चाहिए और वह पैमाना है, पश्चिम बंगाल!

सतत विकास लक्ष्य इंडिया इंडेक्स

लेकिन क्या है कि बंगाल में बंगाली भद्रलोक के नशे में डूबी हुई जनता के लिए कलकत्ता और बंगाल दुनिया का स्वर्ग है लेकिन हकीकत यह है कि कलकत्ता भारत के सबसे बेकार शहरों में से एक है। यह बात हम अपनी मर्जी से नहीं कह रहे हैं। अब तो ऐसा मान लीजिए कि विकास के सारे खोखले दावों को तोड़ते हुए नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट ने ममता बनर्जी के मुंह पर तमाचा जड़ दिया है।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य इंडिया इंडेक्स के शहरी सूचकांक में बेंगलुरु को रोजगार और आर्थिक विकास के लिए भारत में सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में स्थान दिया गया है, जबकि कोलकाता को सबसे निचले स्थान पर रखा गया है।

और पढ़ें: आखिर क्यों रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सऊदी के Aramco के साथ अपना $15 बिलियन का बड़ा सौदा रद्द किया

देश के आर्थिक थिंक टैंक, नीति आयोग द्वारा मंगलवार को जारी पहला सतत विकास लक्ष्य, शहरी सूचकांक दिखाता है कि बेंगलुरू देश का सबसे अच्छा और एकमात्र शहर है जो अच्छी नौकरियां प्रदान कर रहा है और आर्थिक विकास सुनिश्चित कर रहा है और कलकत्ता इस सूची में सबसे आखिरी पायदान पर है।

अब तो आंकड़े भी बोल रहे हैं!

सबसे पहले जान लेते हैं कि पहली बार आया सतत विकास लक्ष्य सूचकांक असल में है क्या? 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 17 SDGs रखे थे यानी सतत विकास लक्ष्य इसका मूल उद्देश्य “गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया कि 2030 तक सभी लोग शांति और समृद्धि का आनंद लें”। भारत ने 17 में से 2 पैमाने, पानी के नीचे जीवन और लक्ष्यों के लिए साझेदारी को एसडीजी अर्बन इंडेक्स से करके काम करना शुरू किया है।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा 2030 तक सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त किया जाना है। वर्तमान में दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक उन्हें हासिल नहीं किया है, लेकिन फिनलैंड, स्वीडन और डेनमार्क ने लगभग 85 प्रतिशत लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।

सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने में शहरों का हाल

आपको बताते चलें कि नीति आयोग ने इन्हीं लक्ष्यों के मद्देनजर हो रहे कामों के अवलोकन हेतु सूचकांक बनाना शुरू किया था और अब इसका परिणाम सबके सामने है। भारत में शिमला एकमात्र स्थान है जो सतत विकास सुनिश्चित कर रहा है, क्योंकि इसने 15 मापदंडों के आधार पर सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

हिमाचल की राजधानी को 75.5 अंक दिया गया है और इसके बाद कोयंबटूर (73.29), तिरुवनंतपुरम (72.36), चंडीगढ़ (72.36) और कोच्चि (72.29) का स्थान है।

ये तो खैर शीर्ष स्तर की बात हो गई। पूरी सूची में सबसे नीचे भारत की कोयला राजधानी धनबाद है जिसे (52.43) अंक दिया गया है। इसके बाद मेरठ (54.64), ईटानगर (55.29), गुवाहाटी (55.79) और पटना (57.29) नीचे के पांच में जगह बनाते हैं।

आपको बताते चलें कि एक शहर अधिकतम 100 अंक हासिल कर सकता है। 65 और 99 के बीच का स्कोर एक शहर को ‘फ्रंट-रनर’ के रूप में वर्गीकृत करता है, 50-64 के बीच स्कोर करने वाले शहरों को ‘परफॉर्मर’ कहा जाता है, 50 से नीचे स्कोर करने वालों को ‘आकांक्षी’ माना जाता है।

कोलकाता निकला फिसड्डी!

15 स्थायी लक्ष्यों में से आठवां लक्ष्य अच्छा काम और आर्थिक विकास प्रदान करने पर आधारित है। यह विशेष लक्ष्य 12 पैमानों पर आधारित है, जिसमें समान कार्य के लिए समान वेतन प्रदान करना, बेरोजगारी को कम करना और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना शामिल है।

कोलकाता को अच्छी नौकरियां और आर्थिक विकास प्रदान करने में 100 में से सिर्फ तीन का स्कोर मिला है, जो देश के किसी भी शहर द्वारा हासिल किया गया सबसे कम स्कोर है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और बिहार की राजधानी पटना ने 17 स्कोर किया है।

और पढ़ें : सत्यमेव जयते 2: देशभक्ति बेचना कोई इनसे सीखे!

सर्वेक्षण में शामिल 56 शहरों में से बेंगलुरु एकमात्र शहर था, जिसने इस श्रेणी में 79 के स्कोर के साथ ‘फ्रंट-रनर’ श्रेणी में कामयाबी हासिल की है।

ऐसे राज्य भारत की छीछालेदर करवा रहे हैं।

सतत विकास लक्ष्य रैंकिंग 2021 के अनुसार, भारत SDGs के लक्ष्यों को हासिल करने में अपने पड़ोसियों से काफी पीछे है और मात्र 60% लक्ष्यों के साथ वह 120वें स्थान पर है। चीन जो कि भारत का सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी है, वह पहले ही अपने लक्ष्य का 72 प्रतिशत हासिल कर चुका है। भारत के अन्य पड़ोसियों में बांग्लादेश (63 प्रतिशत), म्यांमार (65 प्रतिशत), नेपाल (66 प्रतिशत), श्रीलंका (68 प्रतिशत), और भूटान (70 प्रतिशत) लक्ष्य हासिल कर चुके है। पाकिस्तान अकेला ऐसा पड़ोसी देश है, जो इन लक्ष्यों को हासिल करने में भारत से पीछे है।

वो राज्य जो क्षेत्रवाद में फंसे हुए हैं, जो साम्प्रदायिक तनाव को राजनीतिक लाभ बनाकर राजनीति करते हैं, वही भारत की बुरी छवि हेतु दोषी हैं। भारत में अधिकतर भाजपा शासित प्रदेशों ने बढ़िया काम किया है, फिर वो चाहे कर्नाटक हो, गुजरात हो, उत्तरप्रदेश हो, हिमांचल हो या फिर मध्यप्रदेश हो। वहीं ममता बनर्जी जैसे नेताओं के शासन में एक समय राष्ट्रीय राजधानी होने वाले कलकत्ता का ये हश्र हो गया है।

ममता बनर्जी के मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते कलकत्ता आर्थिक तौर पर प्रगति करने में विफलसाबित हुआ है। वहाँ  लोगों को अच्छा वेतन कैसे मिलेगा जब घुसपैठ करके आये हुए बांग्लादेशी सस्ते में काम करने के लिए तैयार होंगे? बेरोजगारी कैसे दूर होगी जब बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या में इस तरह का इजाफा होता रहेगा? कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि कलकत्ता की जो नाक इस सूचकांक में कटी है, वह प्रशासनिक व्यवस्था के लचर औ भ्रष्ट रवैये के चलते हुई है। अफसोस इस बात का है कि ममता इस मोर्चे पर कभी भी खेला नहीं करेंगी।

Exit mobile version