सॉफ्टबैंक भारत – जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है और चीन इसका जीता जागता प्रमाण है। कोरोना के बाद कोयला संकट, फिर ‘Evergrande’ के कारण रियल एस्टेट में संकट के बाद अब चीन की अर्थव्यवस्था की हालत डांवाडोल हो चुकी है। दूसरी ओर ऊर्जा संकट और कर्ज के बोझ से छुटकारा पाने के लिए चीन अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स (विदेशी मुद्रा भंडार) को खर्च करने पर मजबूर है, लेकिन धूर्त चीन और और उसका सनकी तानाशाह अपना रवैया बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं!
शी जिनपिंग की नई नीतियों के कारण कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपना बोरिया बिस्तर समेट कर चीन से बाहर निकल चुकी है, तो वहीं कई बड़ी कंपनियों ने चीन को टाटा बाय बाय कर अन्य इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली देशों में जाने का ऐलान कर दिया है। इसी क्रम में अब सॉफ्टबैंक का नाम भी जुड़ गया हैं। चीन में 10 बिलियन के नुकसान के बाद इस कंपनी ने भारत में निवेश की घोषणा की है। ऐसा लगता है कि भयंकर नुकसान के बाद ही सॉफ्टबैंक की अक्ल ठिकाने आई है।
भारत में ज्यादा निवेश की प्लानिंग
दरअसल, सॉफ्टबैंक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव मिश्रा ने कहा कि सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प अगले साल भारत में $5 बिलियन से $10 बिलियन का निवेश कर सकता है। मिश्रा ने गुरुवार को ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम में कहा, “अगर हमें सही कंपनियां मिल जाती हैं, तो हम 2022 में 5 बिलियन डॉलर से 10 बिलियन डॉलर का निवेश कर सकते हैं।”
SoftBank is planning to raise the stakes in India — having invested $3 billion in 2021 — just as global firms grow more wary of bets in China with tighter regulations hurting deals there. https://t.co/UXwXx8hBj4
— The Japan Times (@japantimes) November 13, 2021
अब तक, भारत में निवेश ने इस जापानी दिग्गज को निराश नहीं किया है, क्योंकि देश में इस कंपनी के स्टार्टअप पोर्टफोलियो के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है। मिश्रा ने कहा, “भारत का तकनीकी इकोसिस्टम मजबूत हो रहा है और जल्द ही सॉफ्टबैंक के धैर्य का उसे उचित इनाम मिलेगा।” उन्होंने स्पष्ट कहा कि “यह भारत का समय है।”
बता दें कि सॉफ्टबैंक ने इस वर्ष भारत में $ 3 बिलियन का निवेश किया है, लेकिन अब कंपनी भारत में हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना बना रही है। इस जापानी कंपनी ने भारतीय बाजार में पहले ही निवेश किया था। इस दिग्गज कंपनी ने ओला और ई-कॉमर्स लीडर फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी ली थी। यही नहीं सॉफ्टबैंक ने डिजिटल भुगतान अग्रणी पेटीएम में भी निवेश किया है, जो अपनी IPO के जरिए $ 2.5 बिलियन जुटाने की ओर अग्रसर है। ओयो होटल्स एंड होम्स को भी सॉफ्टबैंक समर्थन देता है।
कंपनी को झेलना पड़ा $10 बिलियन का नुकसान
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि चीन में शी जिनपिंग के नए नियामकों से कई वैश्विक फर्म चीन में दांव लगाने से बच रहे हैं। नए नियामक कई उद्योगों में सौदों को नुकसान पहुंचा रहा है। कुछ दिनों पहले ही सॉफ्टबैंक ने त्रैमासिक नुकसान की सूचना दी थी। इस कंपनी को विजन फंड इकाई की पोर्टफोलियो कंपनियों के मूल्य में गिरावट के कारण $ 10 बिलियन का नुकसान झेलना पड़ा। यह किसी और कारण से नहीं, बल्कि तकनीकी फर्मों पर चीन की नियामक कार्रवाई के कारण नुकसान हुआ था।
सॉफ्टबैंक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मासायोशी सोन ने बताया था कि सॉफ्टबैंक तूफान में फंस गया है। सॉफ्टबैंक ने जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए 397 अरब येन यानी 3.5 अरब डॉलर का घाटा दर्ज किया था। इस पर सोन ने बताया कि कंपनी का Net Asset Value 54.3 अरब डॉलर गिरकर अब 187 अरब डॉलर हो चुका है।
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चीन के तकनीकी क्षेत्रों में है सॉफ्ट बैंक का निवेश
बता दें कि 20 साल पहले, मासायोशी सोन ने अलीबाबा में 20 मिलियन डॉलर का निवेश किया था और इस कंपनी के 2014 में सार्वजनिक होने से पहले निवेश को 60 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया था। हालांकि, पिछले साल नवंबर से, अलीबाबा को बाजार मूल्य में लगभग 400 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। यह सभी को पता है कि जिनपिंग ने किस तरह से अलीबाबा और उसके संस्थापक जैक मा के खिलाफ कार्रवाई की।
चीन में सॉफ्टबैंक के निवेश अब Liabilities बन चुके हैं। सॉफ्टबैंक का प्रमुख निवेश चीनी तकनीकी क्षेत्र में है और यह चीनी अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों में से एक है, जिसके ऊपर पिछले एक साल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने नियंत्रण स्थापित करने के लिए कई नियम बनाए हैं। इन्हीं कार्रवाईयों का नतीजा था कि अलीबाबा सहित कई टेक कंपनियों के मार्केट वैल्यू में गिरावट जारी है।
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चीन के बाजार से बाहर निकलना चाहता है सॉफ्टबैंक
अब ऐसा लगता है कि सॉफ्टबैंक ने अपना सबक सीख लिया है। कई अरब के नुकसान का सामना करने के बाद, कोई भी व्यवसाय उस इकाई से अलग हो जाएगा, जो उक्त घाटे के केंद्र में है। यही कारण है कि अब सॉफ्ट बैंक भारत की ओर रुख कर रहा है। इस साल की शुरुआत में भी सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प के चाइना लिमिटेड को एनवीडिया कॉर्प से बेचने के प्रयासों को सीसीपी ने रोक दिया था। यानी स्पष्ट है कि सॉफ्टबैंक किसी भी तरह चीन के बाजारों से बाहर निकलना चाहता है। अब जिस तरह से उसे 10 बिलियन का घाटा हुआ है, उससे इस बाहर निकलने को प्रक्रिया में और तेजी आएगी। भारत में निवेश का ऐलान इसी तेजी को दर्शाता है।