अब मलेशिया भी बांग्लादेशियों से परेशान हो चुका है। मलेशिया के मंत्री ही नहीं बल्कि लोग भी अब अपने यहां बांग्लादेशियों की बढ़ती संख्या से परेशान हो चुके हैं। मानव संसाधन मंत्री एम सरवनन ने चिंता व्यक्त की है कि अगर बांग्लादेश की 2,000 एजेंसियों को यहां श्रमिकों को भेजने की अनुमति दी गई तो मलेशिया एक “डंपिंग ग्राउंड” बन जाएगा।
बता दें कि बांग्लादेशी सरकार ने कहा है कि श्रमिकों को मालेशिया भेजने वाली एजेंसियों की संख्या को अब 10 से बढ़ाकर 2,000 कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें अपने प्रस्तावित श्रमिक भर्ती समझौता ज्ञापन (MoU) पर करीब एक साल से चर्चा कर रही हैं।
हालांकि, सरवनन ने श्रमिकों को लाने के लिए 2,000 एजेंसियों के अनुरोध पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “अगर इतनी सारी एजेंसियां (वहां से) अपने विदेशी कर्मचारियों को यहां भेजना चाहती हैं, तो मलेशिया डंपिंग ग्राउंड बन सकता है।“
उन्होंने National Action Plan on Forced Labour के लॉंच कार्यक्रम में कहा कि, “इससे पहले, 10 कंपनियां बांग्लादेश से विदेशी श्रम ला सकती थीं। मेरा मानना है कि 10 से अधिक विस्तारित किया जाना चाहिए लेकिन ऐसी स्थिति को नियंत्रित करना होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि, “मुझे समझौता ज्ञापन का अंतिम ड्राफ़्ट मिल गया है और मैं इसे मंत्रिमंडल के सामने लाऊंगा।” उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय दो सप्ताह में किया जाएगा।
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मलेशिया में बांग्लादेशी मलेशिया की विदेशी श्रम शक्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं। उनकी आबादी 2017 तक कुल 221,000 थी, जो तब तक मलेशिया में सभी विदेशी श्रमिकों का लगभग आठवां हिस्सा था। 2016 की शुरुआत में, बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा एक विवादास्पद समझौता किया गया था जिसमें कुल 1.5 मिलियन बांग्लादेशी श्रमिकों को 3 साल के लिए मलेशिया में भेजा गया था। वित्त वर्ष 2018-19 में, बांग्लादेश को मलेशिया से लगभग $ 1.19 बिलियन remittance प्राप्त हुआ, जो उस वर्ष प्रवासी श्रमिकों द्वारा घर भेजी गई पूरी राशि का 7.25 प्रतिशत था। किसी भी देश के लिए यह आंकड़े उम्मीद से आधिक है।
हालांकि, वर्ष 2018 में मलेशिया की सरकार ने 1.5 मिलियन बांग्लादेशी श्रमिकों वाले ज्ञापन (MoU) की समीक्षा करने की बात कही थी। तब मानव संसाधन मंत्री एम कुलसेगरन ने कहा था कि सरकार विदेशी कामगारों पर देश की निर्भरता कम करना चाहती है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था, “सब कुछ समीक्षा के अधीन है और जहां तक विदेशी श्रमिकों का संबंध है, हम उन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं।”
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अब यही समझौता मलेशिया के लिए सरदर्द बन चुका है। बांग्लादेश लगातार अपने श्रमिकों को मलेशिया भेज रहा है जिससे वहाँ रोजगार के साथ कई अन्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि ये वही मलेशिया है जो भारत के CAA कानून पर तंज़ कस रहा था। उसका कहना था कि भारत को मुस्लिमों को CAA कानून से बाहर रख उनके साथ भेदभाव कर रहा है। यह किसी से छुपा नहीं है भारत में बढ़ रहे प्रवासी अवैध समस्या से निपटने के लिए NRC की योजना बनाई गई है। अब वही काम मलेशिया भी कह रहा है कि वह बांग्लादेशियों के लिए डम्पिंग ग्राउंड नहीं बनना चाहता है।