उत्तर प्रदेश के अवैध धर्मांतरण रैकेट में आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने शनिवार को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया। अबतक इस मामले में कुल 17 गिरफ्तारियां हो गई है। गौतम बुद्ध नगर से गिरफ्तार अब्दुल्ला, मौलाना उमर गौतम का बेटा है। ज्ञात हो कि अब्दुल्ला ही रैकेट की फंडिंग का प्रबंधन करता था। वो विदेशी फंड इकट्ठा करता था और उन्हें धर्मांतरित लोगों में बांटता था। अब्दुल्ला के बैंक खाते में वर्तमान में 75 लाख से अधिक अघोषित धन जमा है, जिनमें से 17 लाख विदेशी फंडिंग है।
एटीएस ने एक बयान में कहा, “प्रोटोकॉल के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। विदेशी धन और धन के खर्च के साथ-साथ अन्य आरोपियों के साथ संबंध कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में पुलिस अब्दुल्ला से पूछताछ करेगी और उसी के लिए वह अदालत से अब्दुल्ला के हिरासत के लिए अनुरोध कर रही है।” बताया जा रहा है कि अब्दुल्ला लगातार अन्य आरोपियों के संपर्क में था।
अवैध धर्मांतरण रैकेट
20 जून, 2021 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया। जांच के दौरान यह पता चला कि रैकेट में बहरे बच्चों और महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरित करने का विदेशी पैसों के माध्यम से देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा था और 1,000 से अधिक लोगों को विभिन्न बहाने और लोभ के तहत परिवर्तित भी किया गया था। तब जाकर प्रशासन के कान खड़े हुए और नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उनका सरगना उमर गौतम भी शामिल था।
उसके बाद एटीएस ने देशव्यापी छापेमारी की और यूपी, दिल्ली एवं महाराष्ट्र से इस मामले के सिलसिले में आठ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में कलीम सिद्दीकी, रामेश्वर कावड़े, भूप्रिया बंदो उर्फ अरसलान मुस्तफा, कौसर आलम, हाफिज इदरीस, मोहम्मद सलीम और धीरज जगताप शामिल थे। उन पर आईपीसी की धाराओं और गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश के निषेध के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जांच के सिलसिले में मुख्य आरोपी उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी और उसके साथियों के कई आवासों पर छापेमारी की गई है। यूपी एटीएस के सूत्रों के मुताबिक उनके पास से आपत्तिजनक सबूत के रूप में डेस्कटॉप, टैबलेट और दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
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उमर गौतम के बचाव में नेताओं के बयान
अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी ने मोहम्मद उमर गौतम का बचाव किया है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के एक विधायक अबू आसिम आजमी ने TV9 भारतवर्ष से कहा, “हमारी पार्टी का स्टैंड मोहम्मद उमर गौतम के साथ है और वह पूरी तरह निर्दोष है। यूपी पुलिस ने धर्म परिवर्तन के मामले में उन पर गलत आरोप लगाया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगले 6 महीनों में मुसलमानों पर और भी गलत आरोप लगाए जाएंगे। इससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्ला खान ने संविधान में धर्मांतरण की अनुमति का हवाला देते हुए मोहम्मद उमर गौतम का बचाव किया था।
निष्कर्ष
अब सपा और आप के इन अनपढ़ नेताओं को संविधान की व्याख्या कौन समझाए? जरा विचार कीजिए, जब दिन भर संविधान की व्याख्या और कानून का निर्माण करने वाले इन नेताओं को ही संविधान के प्रावधानों के बारे में पता ना हो, तो हम आम जन से क्या ही अपेक्षा कर सकते हैं? संविधान हमें अपने धर्म के प्रचार और प्रसार की अनुमति देता है। यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार क्षेत्र में आता है। परंतु, उसी संविधान में इसके सीमाओं की भी व्याख्या की गई है। हृदय परिवर्तन और अंतःकरण के शुद्धि से धर्म परिवर्तन होना चाहिए, ना कि किसी प्रकार के प्रलोभन और छल से।
इस प्रकार के कपटपूर्ण आशय के लिए विदेश से पैसे लेना और अपने देश के सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करना देशद्रोह के समान है। वैसे भी उमर गौतम और उनके साथियों में किसी जागरूक हिंदू को परिवर्तित करने की क्षमता तो थी नहीं, अतः उन्होंने गरीब, निर्बल और मूक बधिर हिंदुओं को ही इसका निशाना बनाया। ऊपर से उसके बचाव में राजनीतिक दलों का उतरना चिंता का विषय है। खैर, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और प्रशासन अपना काम तो कर रही है, परंतु आवश्यक है कि आप भी ऐसे लोगों और नेताओं के छल के प्रति जागरूक रहें और उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग कर सबक सिखाते रहें!
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