एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण सामाग्री सामने आई है, जो कि मोदी सरकार के लिए आलोचनाओं का पर्याय बन गई है। इसमें लैंगिक असमानताओं को खत्म करने का मुद्दा मुख्य तौर पर उठाया गया है। ऐसे में इस सामाग्री का प्रस्ताव देने वाले सदस्यों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनमें से एक का नाम विक्रमादित्य सहाय है, जो कि एक ट्रांसजेंडर है और हिन्दू विरोधी वक्तव्यों और कारनामों के लिए कुख्यात है। ऐसे में इस पूरी नौटंकी को लेकर लोगों ने ये सवाल भी उठाने शुरु कर दिए हैं कि आखिर ऐसे लोग संवेदनशील पदों पर कैसे पहुंच जाते हैं?
नई प्रशिक्षण सामग्री
दरअसल, Firstpost की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद एनसीईआरटी द्वारा शिक्षा में लैंगिक असमानता को दूर करने का उद्देश्य दिखाते हुए स्कूली शिक्षा में ट्रांसजेंडर बच्चों को शामिल करने को लेकर शिक्षकों और प्रशासकों के लिए एक जागरूकता प्रशिक्षण मैन्युअल तैयार किया गया है। संस्थान द्वारा जारी ये प्रशिक्षण सामग्री एक विस्तृत शब्दावली के माध्यम से लिंग पहचान, लिंग असंगति, लिंग डिस्फोरिया, लिंग पुष्टि, लिंग अभिव्यक्ति, लिंग अनुरूपता, लिंग भिन्नता, विषमलैंगिकता, समलैंगिकता, अलैंगिकता, उभयलिंगीता, ट्रांसनेगेटिविटी जैसी अवधारणाओं की व्याख्या करती है।
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यह उन शब्दों की परिभाषा भी प्रदान करती है जिनका उपयोग लोग स्वयं की पहचान करने के लिए करते हैं। खास बात ये है कि समूचे प्रशिक्षण को एनसीईआरटी के जेंडर स्टडीज़ विभाग की प्रोफेसर और पूर्व अध्यक्षा डॉ पूनम अग्रवाल की देखरेख में किया जा रहा है।
वामपंथी और हिंदू विरोधी सोच
एनसीईआरटी के लिंग अध्धयन विभाग द्वारा प्रशिक्षण सामाग्री के नाम पर जो अमेरीकी सोच को थोपने का प्रयास किया गया है, वो असल में इस कमेटी के प्रत्येक सदस्यों की सोच का प्रतीक है। इस कमेटी के एक सदस्य का नाम विक्रमादित्य सहाय है, जो कि एक ट्रांसजेंडर है। ये शख्स दिल्ली यूनिवर्सिटी का पढ़ा हुआ है, कहने को तो ये एक रिसर्चर है, लेकिन फिलहाल ये दिल्ली के हिन्दू कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी में कार्यरत् है।
This is one of the "External Team Members" of the project that produced the woke NCERT training manual for teachers pic.twitter.com/lwbwDKqCUK
— Sensei Kraken Zero (@YearOfTheKraken) November 1, 2021
कमेटी में शामिल विक्रमादित्य स्वयं को एक प्रगतिशील सोच वाला व्यक्ति बताता है, लेकिन सच तो ये है कि ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के नाम पर ये शख्स भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए एनसीईआरटी की कमेटी में बैठकर देश की शिक्षण प्रणाली की धज्जियां उड़वा रहा है। इसकी ट्विटर प्रोफाइल इस बात का पर्याय है, कि इसे हिंदुओं के प्रति कितनी अधिक घृणा है। हिन्दू धर्म को एक साधारण अनुष्ठान बताते हुए ये अनेकों घृणास्पद बयान देता रहा है, जो दिखाता है कि ऐसे लोग देश की संस्कृति के लिए कितने अधिक खतरनाक है।
Has this person been appointed as a member of the board that produced NCERT training manual for teachers? https://t.co/OPaWjrv6XK pic.twitter.com/fzFaFK068z
— Bharadwaj (@BharadwajSpeaks) November 1, 2021
Muh ecosystem lol. pic.twitter.com/45obXUd7LB
— Gus (@Gussfr1ng) November 1, 2021
Dear @PMOIndia #India already has so much sh**t to deal with left by your ideological father(s).
Kindly stop implementing American #wokeism in #Indian #education system.
It's already a mess. Don't create more.
– a suffered student#NCERT #ModiHaiToMumkinHai #GenderIdentity https://t.co/0PTohN88ZX
— ☯ 𝕵𝖆𝖌𝖎𝖗 𝕽𝖆𝖔 ıllıllı तमस राज ıllıllı☣️ (@darking2jarlie) November 1, 2021
After ban on Hindu festivals, now it is mainstreaming gender aberrations to erase gender itself to emasculate Hindu society for speedy ïs1ãmīsātìøñ by destroying defences.
Was not castration imp part of Ïs1åmìç war on kãfïrs?#PseudoHindutva#कुटिलहिंदूत्वhttps://t.co/CEHlqmo2Ia— M. Nageswara Rao IPS(R) (@MNageswarRaoIPS) November 1, 2021
Disaster unfolding in front of our eyes. Instead of teaching Sanskrit, Shashtras & our culture; Gender Fluidity is priority of NCERT. What is HRD Minister doing 🤷🏻♂️ https://t.co/T9seTAejM4
— Navroop Singh (@NavroopSingh_) November 1, 2021
आलोचनाओं की बन गया वजह
एक तरफ एनसीईआरटी द्वारा ये मैनुअल सामने आया तो दूसरी ओर आलोचनाओं ने तूफान मचा दिया है। ट्विटर पर इस नई प्रशिक्षण सामग्री की खूब आलोचना हो रही है, लोगों का स्पष्ट तौर पर मानना है कि ये अमेरिकी Woke नौटंकियों को भारत में स्वीकृति देने की एक पहल है जो कि देश के लिए ख़तरनाक है। इसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि आख़िर एनसीईआरटी में इस तरह की नौटंकी कैसे बर्दाश्त की जा रही है। लोगों का मानना है कि इसे खत्म किया जाना चाहिए। लोगों का ये भी मानना है कि ये देश की संस्कृति, सभ्यता और सामाजिक व्यवस्था के लिए बर्बादी का प्रतीक है, और इस मुद्दे पर मोदी सरकार को सीधे निशाने पर लिया जा रहा है।