पिछले कुछ दिनों से देश की राजधानी दिल्ली प्रदूषण की मार झेल रही है। प्रदुषण का स्तर इतना खरतनाक है कि आसमान धुंध की चादर से लिपट गया है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना है। हाल ही में नासा ने एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें यह स्पष्ट दिखाया गया था कि धुंध के गुब्बारे ने दिल्ली को चारों ओर से ढ़क रखा है। बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना रुख साफ करते हुए प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार की असफलता और पराली जलाने की घटना को जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे में समस्या यह है कि कैसे इस बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटा जा सकता है? असल मायने में फसल का सही (पराली) प्रबंधन ही इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। बहरहाल, क्या आप जानते हैं कि पराली जलाने की समस्या से जूझ रहे धुएं के गुब्बार को लेकर एक किसान ने अनोखा रास्ता निकाला है?
एक किसान ने खोज निकाला पराली प्रबंधन का अनोखा तरीका
हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले रामकुमार एक किसान हैं। इन्होने बेलर मशीन का उपयोग कर पराली को काटकर इकठ्ठा किया है। वह पराली को खुले में नहीं जलाते हैं। रामकुमार कहते हैं कि “मैंने सरकार की मदद से 2018 में 3 मशीन खरीदी थी । अब कृषि विभाग की मदद से 12 मशीन खरीदी और 300 लोगों को रोज़गार दिया। यह मुश्किल काम नहीं है, कृषि विभाग की मदद से दूसरे किसान भी मशीनें खरीद सकते हैं और पराली को इकट्ठा कर सकते हैं। इससे प्रदूषण भी नहीं फैलेगा।” रामकुमार ने आगे कहा कि “धान के मौसम में, मैं इस प्रक्रिया से 50 लाख रुपये कमाता हूं।”
रामकुमार का कहना है कि “वह 12 बेलर (जो पुआल के बंडल बनाते हैं) की मदद से पुआल इकट्ठा करते हैं, उन्हें वो पेपर मिलों को बेच देते हैं।”
Haryana: A farmer in Kaithal says he employs 300 people in stubble management business, earns Rs 50 lakhs in a paddy season
"I collect straw with the help of 12 bailers (that make straw bundles), some of them purchased with govt subsidy, & sell it to paper mills," Ramkumar says pic.twitter.com/AS0peHHbCX
— ANI (@ANI) November 18, 2021
हालांकि, वर्ष 2012 में सरकार फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन पर विशेष ध्यान नहीं देती थी। धीरे- धीरे किसानों को पंजाब सरकार द्वारा फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन के तहत बेलर की मशीनें उपलब्ध कराई जाने लगी। कैथल निवासी रामकुमार को भी सरकार की तरफ से बेलर मशीन मिली। वे इस मशीन का उपयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य करते हैं।
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पराली जलाने की 67 हजार से भी अधिक घटनाएँ
पराली जलाने की अधिक घटनाएँ पंजाब और हरियाणा से सामने आती हैं, जहाँ किसान खुले में ही अपने खेतों में आग लगाकर पराली को जला देते हैं। परिणामस्वरूप, पराली से निकालने वाला धुआं हवा को प्रदूषित कर देता है। आपको बता दें कि पराली जलाने की अब तक कुल 67 हजार से भी अधिक घटनाएँ दर्ज की गई हैं, इनमें से ज्यादातर घटनाएँ पंजाब से है। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने फसल अवशेष (पराली) के प्रबंधन और खेतों में पराली जलाने के मामले में जुर्माने का प्रावधान लगा रखा है, इसके बाद भी खेतों में पराली जलाने की घटना नहीं थम रही हैं
रामकुमार किसानों के लिए रोलमोडल बन चुके हैं
इतना ही नहीं, रामकुमार पराली को कांगथली और पिहोवा स्थित बिजली बनाने वाली कंपनी को बेचा करते हैं। यह उनके लिए एक आय का साधन है। ऐसे में, एक बेहतर विकल्प के तौर पर पराली जैसे विकट संकट से उबारने और प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए कैथल निवासी किसान रामकुमार का यह कदम सराहनीय है। आज रामकुमार किसानों के लिए एक रोलमोडल बन चुके हैं, अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि अन्य किसानों को उनसे सीख लेनी चाहिए।