“भिंडरावाले” की पूजा और आफरीदी का समर्थन करने वाले हरभजन सिंह थाम सकते हैं कांग्रेस का हाथ

होनी को कौन टाल सकता है!

हरभजन सिंह कांग्रेस

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कांग्रेस की राजनीति में जब से छा गए गुरु’ यानी नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री हुई है, तब से पंजाब में कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सिद्धू कभी दुश्मन देश पाकिस्तान में जाकर उनके आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गले लगाकर अपनी पाकिस्तान प्रेम को दर्शाते हैं, तो कभी आतंक परस्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की जमकर तारीफ़ करते हैं, इसके बावजूद देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनसे एक सवाल तक नहीं करती!

मौजूदा समय में पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं। उनके कमान संभालने के बाद से ही पार्टी के अंदरखाने में बवाल मचा हुआ है। कई नेता खुलकर उनके विरोध में सामने आए हैं। राज्य में आगामी कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाला है, राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में जोर-शोर से लगी हुई हैं, साथ ही ये पार्टियां राज्य के बड़े नामों को साधने में भी जुटी हुई है। इसी बीच खबर है कि पूर्व भारतीय गेंदबाज हरभजन सिंह जल्द ही कांग्रेस पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, अभी तक इस मसले को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

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सिद्धू ने शेयर की तस्वीर

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बीते दिन बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हरभजन सिंह के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर की, जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचलें तेज हो गई है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा संभावनाओं से भरी तस्वीर… एक चमकते सितारे भज्जी के साथ।

चुनाव से पहले सिद्धू और हरभजन के इस मिलन को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि हरभजन सिंह चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएंगे। इसके पहले भाजपा में उनके शामिल होने को लेकर खबरें सामने आई थी, जिसका उन्होंने खंडन किया था। अब सिद्धू के साथ हरभजन की इस तरह मुलाकात से राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि भज्जी जल्द ही कांग्रेस के चौखट पर अपना मत्था टेक सकते हैं। हाल ही में खालिस्तान समर्थक पंजाबी गायक Sidhu Moose Wala भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

विवादों में रहे हैं हरभजन सिंह

दरअसल, क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से ही हरभजन सिंह की राजनीति में इंट्री को लेकर कयास लगते आए हैं। अब पंजाब चुनाव से ठीक पहले हरभजन सिंह को पार्टी में शामिल करना कांग्रेस या भाजपा के लिए बहुत बड़ा राजनीतिक प्रोत्साहन साबित हो सकता है। गौरतलब है कि हरभजन आज क्रिकेट की खबरों से ज्यादा अपने विवादों के कारण चर्चा में रहते हैं।

आपको ज्ञात हो कि उन्होंने इसी साल 1984 के ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर के साथ एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा किया था, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ और हरभजन सिंह को माफी भी मांगनी पड़ी थी। उनके इस कृत्य से लोगों में यह साफ संकेत गया कि हरभजन खालिस्तानी समर्थक हैं।

यही नहीं, हरभजन सिंह ने भारतीय NGOs के इतर ‘शाहिद आफरीदी फाउंडेशन’ को समर्थन दिया था, जो कोरोनो वायरस महामारी से प्रभावित लोगों के लिए धन जुटा रहा था। भारत को लेकर भद्दी टिप्पणी करने और कश्मीर मसले पर जहर उगलने वाले शाहिद आफरीदी के फाउंडेशन को समर्थन करने के लिए हरभजन सिंह को सोशल मीडिया पर कई वर्गों द्वारा ट्रोल किया गया था।

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भाजपा उठाएगी पूरा फायदा

बताते चलें कि पंजाब कांग्रेस के अंदरखाने में स्थिति कुछ ठीक नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच आपसी मतभेद जगजाहिर है। कांग्रेस नेतृत्व ने कैप्टन के आगे सिद्धू को ज्यादा महत्व दिया और नीचा दिखाया, जिसके कारण कैप्टन ने कांग्रेस पार्टी को टाटा बाय-बाय बोल दिया और अपनी अलग पार्टी बना ली। आज के परिदृश्य की बात करें तो भाजपा, कांग्रेस के भीतर हालिया उथल-पुथल का फायदा उठाने के लिए उत्सुक है। कैप्टन ने तो भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। ऐसे में आगामी चुनाव में भले ही कांग्रेस पार्टी बड़े नामों को साधने की कोशिश कर रही है, लेकिन कैप्टन और बीजेपी के लहर के सामने इस पार्टी की हश्र क्या होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा!

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