भारत में सबसे अधिक श्रम शक्ति कृषि क्षेत्र में लगी हुई है। ऐसे में इस श्रम शक्ति के कुशल उपयोग के लिए कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास आवश्यक है। एक रिपोर्ट के अनुसार यदि भारत अगले 10 वर्षों में कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास के लिए 272 बिलियन डॉलर का निवेश करता है, तो भारत को कृषि क्षेत्र से वर्ष 2030 तक 813 बिलियन डॉलर रेवेन्यू के रूप में प्राप्त हो सकता है। इतना ही नहीं, इसके माध्यम से भारत में 152 मिलियन अर्थात् 15 करोड़ 20 लाख लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिल सकता है।
‛इन्वेस्टमेंट फॉर इंपैक्ट: फूड एग्री एंड एग्रीटेक’ नाम से छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत कृषि तकनीक का विकास करके खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और सतत कृषि के लिए प्रभावी उपाय करने में सक्षम हो जाएगा। Aspire Circle नामक संस्था ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस थिंक टैंक के संस्थापक अमित भाटिया का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने कृषि क्षेत्र में 9 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है।
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कृषि के पिछड़ेपन का महत्वपूर्ण कारण है तकनीक विस्तार में कमी
कृषि क्षेत्र की क्षमता को रेखांकित करते हुए अमित भाटिया ने कहा, ‘स्मार्ट नव आविष्कारों, बुनियादी ढांचे और समर्थक नीतियां, नए व्यापार मॉडल के साथ और आईएफपी कम्युनिटी द्वारा खोजे गए शीर्ष-10 विचार, निवेश में 272 बिलियन अमेरिकी डॉलर आकर्षित कर सकते हैं और राजस्व में 813 बिलियन अमेरिकी डॉलर उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे 1.1 बिलियन लोगों का जीवन प्रभावित हो सकता है।’
अमित भाटिया का कहना है कि यदि सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के लिए निवेश समर्थक नीतियां बनाती है और बुनियादी ढांचे का व्यापक रूप से विस्तार होता है, तो यह सीधे तौर पर 110 करोड़ भारतीयों के जीवन को प्रभावित कर सकता है। कृषि आज भी भारत में रोजगार देने के मामले में सबसे बड़ा सेक्टर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में परिवर्तन भारत की एक बड़ी आबादी को प्रभावित करता है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि भारत में कृषि के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण तकनीक का कम विस्तार है। एक ओर विकसित देशों में कृषि क्षेत्र में 90 फीसदी खेती आधुनिक तकनीक से होती है, वहीं दूसरी ओर भारत में केवल 40 से 45 फीसदी खेती ही आधुनिक तकनीक पर आधारित है। भारत दुनिया के उन कुछ देशों में है, जो बड़े पैमाने पर उत्पादन करता हैं। किंतु दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि इन देशों में केवल भारत ही ऐसा देश है, जहां 68 फीसदी खेती मानसून पर निर्भर करती है। इस हिसाब से भारत में कृषि क्षेत्र में जोखिम भी बहुत अधिक है।
समय की मांग है कृषि क्षेत्र में निजी निवेश
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 55 फीसदी जंगल में आग लगने का खतरा है और 70 फीसदी जंगल ऐसे हैं, जहां प्राकृतिक रूप से जंगल का पुनर्जीवन संभव नहीं है। रिपोर्ट में जंगल से लेकर डेरी तक हर सेक्टर की आवश्यकताओं को रेखांकित किया गया है। यदि भारत को अपनी भावी आवश्यकताओं को पूरा करना है, तो भारत में कृषि तकनीक के विकास के लिए कई स्टार्टअप शुरू करने होंगे। भारत के कृषि विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थाओं में कृषि की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के पास विचारों की कमी नहीं है। आवश्यकता है, तो सिर्फ निवेश और संसाधन की।
कृषि क्षेत्र में निजी निवेश 21वीं सदी के भारत की आवश्यकता बन चुका है। आज भारत दुनिया में अनाज का प्रमुख निर्यातक देश बन गया है। वहीं, दूसरी ओर भारत सरकार अगले 10 वर्षों में कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए व्यापक निवेश करने वाली है। साथ ही फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए भारत सरकार ने PLI योजना भी लागू कर रखी है। सरकार यह जानती है कि निजी निवेश द्वारा ही कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं।
Aspire Circle की रिपोर्ट भी इसी बात की पुष्टि करती है। यही कारण है कि सरकार कथित तौर पर दोबारा कृषि कानून लाने का विचार कर रही है। हालांकि, यह परिवर्तन तब तक संभव नहीं होगा, जब तक किसानों का एक बड़ा तबका अपनी आवश्यकता को स्वयं समझ कर इस परिवर्तन के लिए तैयार ना हो जाए।
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