साल का सबसे छोटा और बड़ा या लंबा दिन कब होता है
साल में 365 दिन होते हैं. हालांकि ये दिन एक जैसे नहीं होते हैं. कभी दिन छोटे तो कभी रात छोटी होती है. कभी रात लंबी तो कभी दिन लंबे होते हैं. इसी तरह 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन बताया गया है. इस दिन सूर्य की किरण ज्यादा देर तक रहती है. 21 जून के दिन भारत के साथ साथ उत्तरी गोलार्ध के देशों में भी सबसे बड़ा दिन होता है. तो वहीं 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है. क्योकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर कम समय के लिए रहती है. ये साल के वो दिन होते हैं, जिसमें दिन और रात की लम्बाई में सर्वाधिक अंतर होता है. यह एक सामान्य घटना है जो हर वर्ष होती है.
इस दिन उत्तरी गोलार्ध में मौजूद सभी देशों में दिन लंबा और रात छोटी होती है. खास बात यह है कि इस दिन ऐसा पल ऐसा भी आता है जब आपकी परछाई साथ छोड़ देती है. 21 जून के दिन सूरज बहुत ऊंचाई पर होता है. इस दिन से रात लंबी होने लगती हैं. 21 सितंबर आते-आते दिन व रात एक बराबर हो जाते हैं. इसके बाद 21 सितंबर से रात लंबी होने का सिलसिला बढ़ने लगता है. यह प्रक्रिया 23 दिसंबर तक होती है.
विंटर सोल्सटिस या शीतकालीन संक्रांति
22 दिसंबर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती है. जिसके चलते दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय ग्रीष्म ऋतु होती है और यहां दिन बड़े और रात छोटी होती है. जबकि इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं. जिस वजह से दिन छोटा और रात बड़ी होती है. यहां पर शीत ऋतु होती है. इसे विंटर सोल्सटिस या शीतकालीन संक्रांति भी कहते हैं. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना, चिली, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस समय गर्मियों का समय रहता है, क्योंकि यह दक्षिणी गोलार्द्ध में पड़ता है.
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समर सोल्सटिस या ग्रीष्मकालीन संक्रांति
21 जून सबसे बड़ा दिन होता है पर ये आवश्यक नहीं है कि हर साल ये दिन 21 जून को ही पड़े. यह 20 से 22 के बीच किसी भी दिन हो सकता है. खगोल शास्त्र के अनुसार सूर्य उत्तरी गोलार्ध से चलकर भारत के बीच से गुजरने वाली कर्क रेखा में आ जाता है.इसलिए इस दिन सूर्य की किरणें धरती पर ज्यादा समय के लिए पढ़ती हैं.इस दिन सूर्य की रोशनी धरती पर करीब 15-16 घंटे तक पढ़ती है. जिसके कारण 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है. कभी कभी 22 जून को भी सबसे बड़ा दिन होता है. 1975 में 22 जून को सबसे बड़ा दिन था. अब ऐसा 2203 में होगा.
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हमारी पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती हैं. इसी कारण मार्च से सितंबर के महीने के बीच उत्तरी गोलार्ध सूर्य के सीधे संपर्क में रहता है और इन कुछ महीनों में सूर्य की किरणे उतरी गोलार्ध में चमकती रहती हैं. उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की रोशनी 20, 21 और 22 जून के दिन सबसे ज्यादा पड़ती है. इसी वजह से इन दिनों उत्तरी गोलार्ध पर गर्मी देखने को मिलती है. ठीक इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की किरणें 21, 22 और 23 दिसंबर को सबसे अधिक चमकती है, जो कि उत्तरी गोलार्ध के विपरीत में स्थित है. यही कारण है कि उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु मौसम देखने को मिलता है.
वहीं सूर्य का परिक्रमा करने के साथ-साथ पृथ्वी स्वयं अपने कक्ष पर 23.50 डिग्री झुक कर घूमती रहती हैं, तो ऐसे में पृथ्वी के जिस भाग में सूर्य की रोशनी पड़ती है, वहां दिन होता है और जिस भाग में सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती वहां रात होता हैं. यह गर्मी और शरदी का चक्र पूरे साल चलता रहता हैं और ऐसा प्रथ्वी के सूर्य के परिक्रमा करने के कारण होता हैं. साल भर में दो दिन ऐसा भी आता है, जब दिन और रात बराबर होते हैं. 21 मार्च और 23 सितंबर के दिन 12 घंटे का दिन और 12 घंटे का रात होता है.