- देश में 351 रक्षा उपकरणों के घटकों के आयात को रोक दिया जाएगा, स्वदेश में उत्पादन पर ज़ोर
- हर साल लगभग 3,000 करोड़ के बराबर विदेशी मुद्रा की होगी बचत
- नई सूची से पहले अगस्त 2020 और मई 2021 में सैन्य मामलों का विभाग स्वदेशीकरण के लिए 2 लिस्ट निकाल चुका है
रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर कदम बढ़ाते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने एक और कदम उठाया है। सरकार ने धीरे-धीरे 351 रक्षा उपकरणों के घटकों के आयात को रोकने का फैसला किया है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब 351 रक्षा उपकरणों के आयात को बंद करने जा रही है तथा उनका उत्पादन अब देश में ही किया जाएगा। यही नहीं, सरकार ने 2500 उप-प्रणालियों के आयात पर रोक लगा कर, उन्हें देश में ही विकसित करने का फैसला किया है।
MoD के एक बयान में कहा गया है कि “यह आत्मनिर्भर पहल हर साल लगभग 3,000 करोड़ के बराबर विदेशी मुद्रा की बचत करेगी।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर कहा कि सैन्य हार्डवेयर के कुछ घटकों और उप-प्रणाली के आयात को रोकने का कदम घरेलू रक्षा उद्योग को समर्थन देने और रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की सरकार की नीति के अनुरूप है। पिछले 16 महीनों में रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी की गई यह तीसरी सूची है।
अधिसूचना के अनुसार, 351 उपकरणों में से 172 वस्तुओं के पहले सेट पर अगले साल दिसंबर से प्रतिबंध लागू कर दिया जाएगा। 89 उपकरणों के दूसरे सेट पर प्रतिबंध दिसंबर 2023 तक लागू किए जाएंगे। वहीं, 90 उपकरणों के तीसरे सेट के आयात पर दिसंबर 2024 तक प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। सूची में लेजर वार्निंग सेंसर, उच्च दबाव वाले चेक वाल्व और बीकन रिसीवर से लेकर विभिन्न प्रकार के एंटेना, केबल, सॉकेट और वोल्टेज कंट्रोल ऑसिलेटर शामिल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अब तक इस तरह के सभी उपकरण भी विदेशों से ही आयात किए जाते थे।
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5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है देश का एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा कि “रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और DPSU (रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) द्वारा आयात को कम करने के प्रयासों के तहत रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा उप-प्रणालियों और घटकों की एक सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची अधिसूचित की गई है।”
इस सप्ताह रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा अधिसूचित नई स्वदेशीकरण सूची में 2851 उप-प्रणालियां, उप-असेंबली और सैन्य हार्डवेयर के घटक शामिल हैं। सूची में 2,500 आइटम शामिल हैं, जिन्हें पहले ही स्वदेशी बनाया जा चुका है और आयात नहीं किया जा रहा है। इसमें 351 रक्षा उपकरण भी शामिल हैं, जिन्हें अगले तीन वर्षों में स्वदेशी बनाया जाएगा और उसके बाद आयात नहीं किया जाएगा। इन्हें भारत में स्थित मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से ही खरीदा जाएगा।
The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में, भारत का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार ₹85,000 करोड़ का है, जिसमें से निजी क्षेत्र का वर्तमान योगदान ₹18,000 करोड़ है। वर्ष 2022 में देश का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार बढ़कर ₹1 लाख करोड़ हो जाएगा और वर्ष 2047 तक यह बाजार ₹5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।
स्वदेशीकरण में शामिल हैं उच्च प्रौद्योगिकी हथियार प्रणालियां
बता दें कि इस नई सूची से पहले अगस्त 2020 और मई 2021 में सैन्य मामलों का विभाग स्वदेशीकरण के लिए 2 लिस्ट निकाल चुका है, जिसमें कुल मिलाकर 209 हथियार, प्लेटफॉर्म, सिस्टम और गोला-बारूद शामिल थे। दो सूचियों में पहचानी गई वस्तुओं को निर्दिष्ट समय सीमा से परे आयात नहीं किया जा रहा है और इसे वर्ष 2020 से वर्ष 2025 की अवधि में डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा।
पिछले साल अगस्त में पहली “स्वदेशीकरण सूची” ने घरेलू रक्षा उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2020-2025 की समय सीमा में 101 वस्तुओं के आयात पर उत्तरोत्तर प्रतिबंध लगा दिया। इस साल मई में जारी दूसरी सूची में दिसंबर 2021-दिसंबर 2025 तक के समय-सीमा के लिए 108 वस्तुओं की पहचान की गयी थी। MoD ने अनुमान लगाया कि सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में शामिल 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के उपकरण घरेलू निर्माताओं से ही वर्ष 2020 से वर्ष 2028 के बीच मंगवाए जाएंगे।
स्वदेशीकरण सूची में न केवल साधारण उपकरण शामिल हैं, बल्कि कुछ उच्च प्रौद्योगिकी हथियार प्रणालियां भी शामिल हैं, जिसमें आर्टिलरी गन, व्हीलड आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, अगली पीढ़ी के मिसाइल वेसल्स और कार्वेट, भूमि आधारित हाई पावर रडार, भूमि आधारित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो आदि शामिल है।
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70 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है भारत
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने “राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व” में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “पहले, 65-70 प्रतिशत रक्षा उत्पादों का आयात किया जाता था। अब, जैसा कि हम ‘आत्मनिर्भर भारत‘ की बात करते हैं, तो 65 प्रतिशत रक्षा उत्पाद अब भारत में ही बनता है। हम पहले, एक आयातक (रक्षा उपकरणों के) के रूप में जाने जाते थे। अब हम 70 देशों को निर्यात कर रहे हैं।”
अब इसी क्षेत्र में सरकार लगातार प्रयासरत है। आज के दौर में AK-203 से लेकर ब्रह्मोस तक का उत्पादन आरंभ हो चुका है। ऐसे में अगर देश को किसी छोटे उपकरण या Sub-System का आयात करना पड़े, तो यह शर्म की बात है। अब मोदी सरकार ने ऐसे ही छोटे उपकरणों से लेकर बड़े उपकरणों का भारत में ही उत्पादन करने पर ज़ोर दे रही है, जो प्रशंसनीय है।