कहते हैं कुछ मौके कभी-कभी मिलते हैं और उन मौके पर चौका मारने वाला ही रेस में आगे निकल पाता है। मौजूदा समय में भारत के पास भी ऐसा ही बेहतरीन मौका है जो शायद पहले कभी न आया। यह मौका है चीन से अपने क्षेत्र अक्साई चिन (Aksai Chin) को वापस लेने का। जब से CCP के नेतृत्व में चीन का विश्व परिदृश्य पर उदय हुआ है, तब से यह देश न तो अपने नागरिकों को चैन से जीने दे रहा है और न ही विश्व के लोगों को। कभी धमकी तो कभी सीमा पर गुंडागर्दी, कभी जलक्षेत्र को लेकर पड़ोसी देशों पर दबाव तो कभी साइबर हमले, कोरोना को विश्व में फैला कर इस कम्युनिस्ट देश ने तो सारी हदें पार कर दी। जिसके बाद विश्व पटल पर चीन की थू-थू हो रही है और चीन लगभग सभी मामलों में अलग-थलग पड़ चुका है। वैश्विक महाशक्तियों के नजरों में भी चीन खटक रहा है। ऐसे में ऐसा प्रतीत होता है कि मौके का फायदा उठाते हुए भारत सरकार चीन के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र पर अपने नियंत्रण को लेकर एक्टिव हो चुकी है, जिसे लेकर चीन बिलबिला रहा है।
भारतीय विमानों ने सिरिजाप के ऊपर भरी उड़ान!
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अक्साई चिन के ऊपर कार्रवाई आरंभ हो चुकी है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय फाइटर जेट अक्साई चिन के ऊपर उड़ान भर रहे थे, जिसे लेकर चीन ने दबे शब्दों में विरोध प्रकट किया है। फ्री प्रेस जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत सरकार ने चीन के हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के उन आरोपों का खंडन किया है, जिसमें यह कहा गया था कि भारतीय विमानों ने सिरिजाप के ऊपर से उड़ान भरे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन ने 16 अक्टूबर के अपने नोट में यह शिकायत करते हुए कहा था कि भारतीय विमानों ने सिरिजाप के ऊपर से उड़ान भरी। इस पर भारत ने कहा, यह पहले से ही स्पष्ट है कि सिरिजाप भारतीय क्षेत्र में है।
दरअसल, सिरिजाप अक्साई चिन क्षेत्र के दक्षिणी भाग में एक छोटा सा मैदानी क्षेत्र है, जिस पर चीन अपना दावा करता है। यह क्षेत्र पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर है। अगर यह सत्य है कि इस क्षेत्र पर भारतीय विमान उड़ान भर रहे थे और चीन ने विरोध प्रकट किया है, तो इसका स्पष्ट अर्थ है कि कुछ तो बड़ा होने की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, चीन ने बड़े स्तर पर विरोध नहीं किया है, क्योंकि उसे भी पता है कि अगर वह वैश्विक स्तर पर विरोध प्रकट करता है या विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश करता है, तो उससे यह साबित हो जाएगा कि इस कम्युनिस्ट राष्ट्र ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है।
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भारतीय सेना ने किया आरोपों का खंडन
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय सेना इसका खंडन करेगी, क्योंकि यह एक भारतीय क्षेत्र है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने सिर्फ खंडन ही नहीं किया है, बल्कि चीन की ओर से इस तरह के लगातार लगाए जा रहे आरोप के जवाब में यह कहा है कि चीन LAC पर अपनी आक्रामक गतिविधियों को कवर करने के लिए इस तरह के भ्रामक आरोप लगाता रहता है।
रिपोर्ट के अनुसार 23 अक्टूबर को एक नोट में, नई दिल्ली ने कहा कि चीन के आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद यह स्थापित किया गया था कि वे ‘निराधार’ थे। नोट में कहा गया कि चीनी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले भारतीय विमानों के बारे में काल्पनिक और बेतुके आरोप लगाना चीनी सरकार की आदत हो चुकी है। नोट में यह भी कहा गया कि चीनी सरकार द्वारा इस तरह के भ्रामक आरोप लगाना सीमा विवाद के मामले पर शांतिपूर्ण समाधान के लिए अनुकूल नहीं है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस नोट में इस बात पर जोर दिया गया था कि सभी भारतीय विमानों को भारतीय हवाई क्षेत्र के भीतर रखने के लिए बहुत सख्त निर्देश थे। किसी भी भारतीय विमान के चीनी हवाई क्षेत्र में घुसने की कोई घटना नहीं हुई है।
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1962 से ही अक्साई चिन पर है चीन का कब्जा
हालांकि, चीन का विरोध जताना दिखाता है कि भारतीय विमानों का सिरिजाप के ऊपर उड़ान भरना उसे पसंद नहीं आया। इस रिपोर्ट से यही प्रतीत होता है जैसे भारत ने अक्साई चिन के एक हिस्से के ऊपर से उड़ान भरी हो। चीन ने बहुत ही मौन तरीके से इसका विरोध किया, क्योंकि उसे पता है कि अगर वो ज्यादा चालाकी करता है तो उसकी सच्चाई उजागर हो जाएगी।
बताते चलें कि चीन ने अक्साई चिन क्षेत्र पर 1962 से ही कब्जा जमा रखा है और हर बार भारतीय क्षेत्र पर आक्रमकता दिखाता है, जिससे वह इस क्षेत्र में और अधिक कब्जा जमा सके। अब जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है, तब से ही चीन के इस गुंडागर्दी का उसी की भाषा में जवाब दिया गया है। चाहे वो डोक्लाम हो या गलवान घाटी, चीन को भारतीय सेना ने यह बता दिया है कि किसी भी चीनी गुंडागर्दी का जवाब आक्रमकता से दिया जाएगा। कुछ समय पहले यह भी खबर सामने आई है कि भारत सरकार लद्दाख में 4 एयरपोर्ट और 37 हेलीपैड का निर्माण कर रही है। हालिया प्रकरण को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि अब अक्साई चिन की बारी है और भारतीय विमानों की सिरिजाप के ऊपर उड़ान इसी की ओर इशारा करती हैं।