द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ?
द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ? तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 ईo को प्रारंभ हुआ था. माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध की पृष्टभूमि पहले विश्व युद्ध के समापन के साथ ही बन गयी थी. जब 1931 में जापान ने चाइना से मंचुरिया छीन लिया था. इटली ने 1935 में एबीसनिया में घुस कर उसे हरा दिया.1936 से लेकर 1939 तक स्पेन में सिविल वॉर हुआ था, 1938 में जर्मनी ने चेकोसलावाकिया पर अधिकार कर लिया था.
लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बीज वर्साय की संधि मे ही बो दिए गए थे. जिस प्रकार का अपमान जनक व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन जन मानस कभी भी भूल नहीं सका. जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया.
द्वितीय विश्व युद्ध कब और क्यों हुआ?
प्रथम विश्व युद्ध के बाद यूरोप में जो अस्थिरता बनी वहीं से दुसरे अंतरराष्ट्रीय संघर्ष यानि द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो गयी थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कुछ देशों को मिली हार के बाद उनके बीच हुई संधि ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई. जिसका पूर्व से भी विनाशकारी परिणाम हुए.
आर्थिक और राजनीतिक रूप से अस्थिर जर्मनी में सत्ता बढ़ाने के लिए एडॉल्फ हिटलर और उनके राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी ने देश को फिर से स्थायी किया और विश्व में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए इटली और जापान के साथ रणनीतिक संधि पर हस्ताक्षर किए. ग्रेट ब्रिटेन को जर्मनी पर आक्रमण करने की तब प्रेरणा मिली.
जब हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया. और इस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध की औपचारिक शुरुआत हो गई. ये युद्ध पिछले युद्धों से कई ज्यादा विनाशकारी था. जिसमें दुनिया की बड़ी भूमि और संपत्ति को नष्ट कर दिया.
कारण
यूरोपीय गुट बंदी
जर्मनी की बढती शक्ति से आशंकित होकर यूरोपीय राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए गुटों का निर्माण करने लगे. इसकी पहल सबसे पहले फ्रांस ने की. उसने जर्मनी के इर्द-गिर्द के राष्ट्रों का एक जर्मन विरोधी गुट बनाया. जर्मनी और इटली ने एक अलग गुट बनाया. जापान भी इस में सम्मिलित हो गया. इस प्रकार जर्मनी इटली और जापान का त्रिगुट बना. यह राष्ट्र धुरी राष्ट्र के नाम से विख्यात हुए. फ्रांस इंग्लैंड अमेरिका और सोवियत संघ का अलग ग्रुप बना यूरोपीय राष्ट्रों की गुट बंदी ने एक दूसरे के विरुद्ध आशंका घृणा और विद्वेष की भावना जगा दी.
साम्राज्यवादी प्रवृत्ति
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रमुख कारण साम्राज्यवाद बना. प्रत्येक साम्राज्यवादी शक्ति अपने साम्राज्य का विस्तार कर अपनी शक्ति और धन में वृद्धि करना चाहता था. इससे साम्राज्यवादी राष्ट्र में प्रतिस्पर्धा आरंभ हुई.
आर्थिक मुद्दे –
प्रथम विश्व युद्ध ने कई देशों की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डाला था, हालांकि यूरोपियन आर्थिक अवस्था 1920 तक बहुत ही अच्छी स्थिति में थी, लेकिन यूनाइटेड स्टेट में आये परिवर्तन ने यूरोप में भी मंदी का दौर ला दिया था. और ऐसी खराब आर्थिक स्थिति में कम्युनिज्म और फासिज्म में अपनी शक्तियाँ बढा ली थी
पेरिस की शांति वार्ता –
प्रथम विश्व युद्ध के अंत में हुई समस्त संधियों में कुछ सन्धियाँ ही ऐसी थी, जो सभी देशों को संतुष्ट करती. जर्मनी ऑस्ट्रिया और कई अन्य देश भी पेरिस की संधि से खुश नहीं थे, क्योंकि इसके अनुसार उन्हें हथियारों का उपयोग बंद करना था. जर्मनी ने आक्रमण के डर से वर्सेली की संधि पर हस्ताक्षर कर दिए.
हथियार बंदी की होड़
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात साम्राज्यवादी प्रतिद्वंदिता और राष्ट्र ग्रुप के निर्माण ने पुनः हथियार बंदी की होड़ आरंभ कर दी. फ्रांस ने अपनी सीमा पर मैगिनो लाइन का निर्माण किया और ज़मीन के भीतर मजबूत किला बंदी कि जिससे कि जर्मन आक्रमण को फ्रांस की सीमा पर ही रोका जा सके. जवाब में जर्मनी ने अपनी पश्चिमी सीमा को सुदृढ़ करने के लिए सीजफ्रेड लाइन बनाई. इन सैनिक गतिविधियों ने युद्ध को अवश्य भावी बना दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कब हुआ?
द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कब हुआ? तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 1944 में पराजित होकर इटली ने आत्मसमर्पण कर दिया. इससे जर्मन शक्ति को आघात लगा. स्तालिनग्राद के युद्ध में जर्मनी को परास्त कर सोवियत सेना आगे बढ़ते हुए बर्लिन जर्मनी तक पहुंच गई. 7 मई 1945 को हिटलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा. 6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर परमाणु बम गिरा कर उन्हें पूर्णता नष्ट कर दिया.
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परिणाम
धन-जन का भीषण संहार
द्वितीय विश्व युद्ध में धन-जन की अधिक हानि हुई. इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक लोग मारे गए.जिसमें सबसे ज्यादा सोवियत के थे.वहीं लाखों लोग बेघर हो गए. लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई. इंग्लैंड में लगभग 2000 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति नष्ट हुई. सोवियत संघ की संपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति का चौथा भाग युद्ध की भेंट चढ़ गया.
औपनिवेशिक युग का अंत
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सभी साम्राज्यवादी राज्यों को एक-एक कर अपनी उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ा. स्वतंत्रता आंदोलन तेज़ हो गए. एशिया के अनेक देश यूरोपीय दासता से मुक्त हो गए. भारत भी अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया.
साम्यवाद का तेजी से प्रसार
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पूर्वी यूरोप के अनेक देशों एशियाई देशों चीन, उत्तर कोरिया इत्यादि देशों में साम्यवाद का प्रसार हुआ.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता पुनः प्रतीत हुई, जिससे कि विश्व शांति बनाए रखी जा सके एवं विश्व युद्ध की पुनरावृति को रोका जा सके. अमेरिका के पहल पर 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र नामक संस्था की स्थापना की गई.
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