भारत में ‘लिथियम-आयन बैटरी’ के क्षेत्र में क्रांति लाने की तैयारी में है Exide Industries

जल्द ही लिथियम-आयन बैटरी के निर्यात में होगा भारत का बोलबाला!

लिथियम-आयन बैटरी

Source- TFIPOST

लुकाज़ बेडनार्स्की की पुस्तक “लिथियम: बैटरी प्रभुत्व और नई ऊर्जा क्रांति के लिए वैश्विक दौड़” के अनुसार लिथियम 21 वीं सदी में ऊर्जा के बारे में हमारे सोचने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रही है। लिथियम और इसकी प्रचुरता या फिर इसकी कमी दुनिया और स्वच्छ ऊर्जा के बीच एक पुल के समान है। जैसे-जैसे पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों से दुनिया इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही है, लिथियम-आयन बैटरी की वैश्विक मांग भी बढ़ते जा रही है। बैटरी निर्माण में धातु एक प्रमुख घटक है।

वास्तव में लिथियम आज कई चीजों के निर्माण में प्रयोग होता है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर हमारे फोन तक सब कुछ लिथियम-आयन बैटरी पर निर्भर है। बढ़ती मांग के साथ, धातु की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और आने वाले वर्षों में इसकी आपूर्ति में कमी की आशंका है। भारत में भी लिथियम एक चर्चा का विषय रहा है। इस साल की शुरुआत में सरकार ने लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन पैकेज की शुरुआत की थी। रिलायंस जैसे दिग्गज पहले ही विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा कर चुके हैं, जबकि छोटे नाम भी उत्पादनकर्ता में शामिल हो रहे हैं।

भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। भारत में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मई 2021 में सरकार ने लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण, निर्यात और भंडारण को बढ़ावा देने हेतु 18,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को भी मंजूरी दी। टाटा केमिकल्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अमारा राजा बैटरीज जैसी घरेलू फर्मों ने पहले ही विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा कर दी है।

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लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन में एक्साइड की एंट्री

भारतीय बहुराष्ट्रीय बैटरी निर्माता एक्साइड इंडस्ट्रीज ने भी लिथियम उत्पादन में अपने कदम बढ़ा दिए है और एक बहु-गीगावाट लिथियम-आयन सेल निर्माण संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। बीते दिन मंगलवार (21 दिसंबर) को बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। कंपनी ने कहा, “कंपनी के निदेशक मंडल ने अपनी बैठक में एक ग्रीन फील्ड मल्टी-गीगावाट ली-आयन सेल निर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।”

एक्साइड ने देश में बैटरी के बदलते परिदृश्य को भांप लिया है। मौजूदा समय में यह कंपनी लीड-एसिड बैटरी बाजारों में सबसे बड़ी बैटरी निर्माता है, जिसकी संगठित बाजार में करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी है। अभी तक, कंपनी लिथियम बैटरी बाजार में उतरने से हिचकिचा रही थी। हालांकि, ऑटोमोबाइल निर्माताओं और भारत सरकार द्वारा ईवी (इलेक्ट्रॉनिक वाहन) पर बढ़ते जोर के साथ यह बाजार बहुत आकर्षक हो गया है।

एक्साइड के एमडी और सीईओ सुबीर चक्रवर्ती ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनी लिफ्टऑफ के लिए सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना का उपयोग करना चाह रही है। उन्होंने कहा, “हमने अब एक बहु-गीगावाट लिथियम-आयन सेल निर्माण संयंत्र स्थापित करने और भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित उन्नत रसायन सेल निर्माण के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI) में भाग लेने की योजना बनाई है। सेल निर्माण लिथियम-आयन बैटरी निर्माण श्रृंखला का एक अभिन्न अंग है और हमें विश्वास है कि इस संयंत्र की स्थापना हमें अपने सम्मानित ग्राहकों की बेहतर सेवा करने में सक्षम बनाएगी।”

जैसा कि TFI द्वारा पहले ही बताया जा चुका है कि मोदी सरकार ने बैटरी के मैन्युफैक्चरिंग के लिए PLI योजना के तहत 18,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। सरकार के मुताबिक PLI योजना से करीब 42,500 करोड़ रुपये का निवेश आएगा।

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भारत में लिथियम बैटरी की बढ़ती जरूरत

जैसे-जैसे दुनिया जीवाश्म ईंधन से दूर होती जा रही है, यह बेहद स्पष्ट होता जा रहा है कि ऑटोमोबाइल का भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में है। EV बाजार पूरी तरह से लिथियम-आयन बैटरी (LiBs) द्वारा संचालित है। वर्तमान में, चीन दुनिया की दो-तिहाई लिथियम-आयन बैटरी का निर्माण करता है और यह देश ग्रेफाइट का भी सबसे बड़ा उत्पादक है। ग्रेफाइट LiB एनोड के निर्माण के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है। चीन में भी लिथियम की उच्च सांद्रता है, फिर भी वह 80 फीसदी सफेद धातु का आयात करना पसंद करता है, ताकि वह भविष्य की अपनी जरूरतों के लिए भंडारण कर सके।

भारत के भीतर लिथियम-आयन बैटरी की बात करें, तो सरकार ने चीन से निर्भरता कम करने का दृढ़ प्रयास किया गया है। वर्ष 2018 की शुरुआत में तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री अनंत गीते ने घोषणा की थी कि भारत जल्द ही लिथियम-आयन बैटरी का निर्माता बन जाएगा। गौरतलब है कि लिथियम-आयन बैटरी निर्माण के लिए भारी पूंजी निवेश और औद्योगिक स्तर पर इसे बढ़ाने की क्षमता की आवश्यकता होती है। एक्साइड के पास पूर्व ज्ञान है, लेकिन ‘भविष्य की जरूरतों’ के लिए अभ्यस्त होने में कुछ समय लगेगा।

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