एक जमाने की टॉप ब्रांड Fab India इस समय घाटे में जा रही है। यह नुकसान सिर्फ एक दिन का नहीं है। यह नुकसान एक लंबे समय से चले आ रहे घाटे का लेखा-जोखा है। फ्रॉड कामों से लेकर चेंजिंग रूम के कैमरे तक, Fab India के कर्म ही उसको ये दिन दिखा रहे हैं। वित्त वर्ष 2011 के दौरान बिक्री में एक तिहाई की गिरावट के बाद Fab India घाटे में चली गई है। वहीं, मार्च 2021 में Fabindia का राजस्व 30% गिरकर 1,059 करोड़ हो गया, जिसमें शुद्ध घाटा 116 करोड़ था। यह पहली बार है जब 60 वर्षीय फर्म, जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से जातीय उत्पादों को बेचने के लिए लोकप्रिय है, पिछले दो दशकों में नुकसान के साथ बिक्री में भी गिरावट दर्ज की है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? आपको बता दें कि इसके पीछे दो बड़े कारण है, पहला-गुणवत्ता और दूसरा-सुरक्षा।
Fab India घाटे में क्यों है?
Fab India एक लंबे समय तक अपने डुप्लीकेट कपड़े को खादी बोलकर बेचता आया है। बाद में जब यह भ्रष्टाचार सामने आया, तो लोगों ने बॉयकॉट करना शुरू कर दिया था। टेक्सटाइल लेबोरेटरी एंड रिसर्च सेंटर मुंबई ने बताया था कि “Fab India कपास के साथ सन के मिश्रण का उपयोग कर रहा है, जो खादी के योग्य नहीं है।”
वहीं, इस महीने की शुरुआत में अहमदाबाद स्थित खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि,“चूंकि नमूने के बाने में राइट ट्विस्ट का इस्तेमाल किया गया था, इसलिए यह खादी का कपड़ा नहीं है।” इसके अलावा कपड़ा मंत्रालय के तहत आने वाली प्रयोगशाला ने भी पुष्टि की थी कि ‘S’ जैसा दिखने वाले के बजाय एक ‘Z’ ट्विस्ट का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा बिना अनुमति के शब्द का उपयोग करने के लिए कंपनी को कानूनी नोटिस दिया गया था।
अन्य ब्रांड्स के दस्तक देने से भी Fab India को लगा है झटका
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) के सहायक प्रोफेसर सुमंत्र बख्शी का कहना है कि, “खादी की पहचान धागे में मोड़ की दिशा से होती है। आमतौर पर, इसे लेफ्ट ट्विस्ट कहा जाता है और यह खादी और मिल-स्पून यार्न के बीच अंतर करता है। खादी के रूप में किसी अन्य मोड़ को पारित नहीं किया जा सकता है। यानी लोगों के विश्वास को ताख पर रखकर लाभ कमाने के लिए Fab India ने झूठ बोला है।”
बताते चलें कि भारत के गारमेंट उद्योग में मान्यवर जैसे अन्य ब्रांड्स के दस्तक देने के बाद Fab India को झटका लगा है। इन कंपनियों के प्रोडक्ट्स ने उपभोगताओं को आकर्षित किया है, जिससे Fab India के बिक्री पर बुरा प्रभाव पड़ा है। वहीं, घाटे में चल रही Fabindia अब अपना IPO लाने की तैयारी में है।
Fab India पर है निजता के उल्लंघन का आरोप
Fab India पर निजता के उल्लंघन का आरोप भी लगा है। Fabindia पर यह आरोप साल 2015 में लगा था, जहां गोवा के कैंडोलिम में Fab India स्टोर के ट्रायल रूम में ग्राहकों की जासूसी करने के लिए एक खुफिया कैमरा लगाया गया था। हालाकिं, मामले के संज्ञान में आने के बाद परेश भगत, प्रशांत नाइक, करीम लखानी और राजू पयांचा नामक Fabindia के कर्मचारियों को गोवा पुलिस अपराध शाखा द्वारा धारा 354 (एक महिला की शील भंग करने के इरादे से आपराधिक बल), 354C (दृश्यरतिकता), 509 (घुसपैठ) के तहत दायर आरोपपत्र के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
पुलिस अधीक्षक कार्तिक कश्यप ने उस समय मीडिया को बताया था कि “यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 66-E (निजता का उल्लंघन) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की गोपनीयता का उल्लंघन है।” ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि Fab India ने गलत कर्मों की जो खेती थी, घाटे में जाना उसी का प्रमाण है।