हाल ही में संसद से एक महत्वपूर्ण विधेयक कानून बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। आधार को चुनाव पहचान पत्र से जोड़ने वाले विधेयक को लोकसभा से पारित कराया गया था, अब यह विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो चुका है और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही यह कानून के रूप में लागू होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लेकिन देशहित में कोई कार्य हो और हमारा विपक्ष उसमें सहयोग करे, ऐसा हो सकता है क्या? विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने इस बिल को रोकने के लिए कई तरह के हास्यास्पद तर्क दिए, जिसे लेकर तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने कहा कि “मतदाता पहचान पत्र और आधार को जोड़ने से निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है, जैसा कि फैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परिभाषित किया गया है।” तो वहीं, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यदि “ये विधेयक अधिनियम बन गया, तो सरकार कई लोगों (अल्पसंख्यकों) को मताधिकार से वंचित करेगी।”
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टीएमसी नेता ने किया हंगामा
लेकिन यह तो कुछ भी नहीं है, क्योंकि टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस मामले पर निर्लज्जता की सीमाओं को लांघते हुए राज्यसभा में खूब हंगामा मचाया। यहां तक कि उन्होंने सभापति के आसन के समक्ष रुलबुक को भी अपमानजनक तरीके से फेंक दिया। जिसके बाद उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी डेरेक ओ ब्रायन के कृत्य पर मौन न साधते हुए, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया यह टीएमसी नेता शेष शीतकालीन सत्र से निलंबित रहेंगे।
परंतु आपको क्या लगता है, ऐसा पहली बार हुआ है? क्या डेरेक ओ ब्रायन इससे पूर्व विवादों के घेरे में नहीं आए हैं? गौरतलब है कि कभी भारत के सबसे चर्चित क्विज़ मास्टर के रूप में प्रसिद्ध डेरेक ओ ब्रायन ने वर्ष 2010 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन की। उन्हें वर्ष 2012 में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया और तब से वो लगातार राज्यसभा सांसद के रुप में चुनकर आते रहे हैं। लेकिन मौजूदा समय में मोदी विरोध के नाम पर उन्होंने अज्ञानता का जो बेजोड़ प्रदर्शन किया है, उसका कोई तोड़ नहीं है। एक तरह से कहा जाए तो टीएमसी नेताओं की विकृत मानसिकता और गुंडागर्दी को लेकर जिस तरह की खबरें सामने आती रहती है, डेरेक ओ ब्रायन ने अपने इस कृत्य से उसी पर मुहर लगाया है!
इससे पहले भी रुलबुक फाड़ने पर निलंबित हुए थे ब्रायन
आपको बता दें कि टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने वर्ष 2017 में भाजपा द्वारा रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में नामांकित करने को लेकर भी सवाल उठाया था। ब्रायन ने उन्हें अपमानित करने के लिए कहा था कि इन्हें कौन जानता है। ध्यान देने वाली बात है कि उस समय रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। तब टीएमसी नेता के इस बयान को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थी। इसके अलावा डेरेक ओ ब्रायन को रुलबुक से कुछ विशेष चिढ़ मचती है। सितंबर 2020 में सात अन्य राज्यसभा सांसदों के साथ हो हल्ला मचाने और रूलबुक की प्रतियां फाड़ने के आरोप में इस नेता को लगभग एक हफ्ते के लिए निलंबित किया गया था।
सच कहें तो अकड़ दिखाने वाले रावण का साम्राज्य भी न टिक पाया, तो फिर डेरेक ओ ब्रायन किस खेत की मूली हैं? बंगाल में भले ही उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस चाहे जितनी शेर बनती हो, परंतु बंगाल के बाहर उनकी हैसियत शायद कुछ भी नहीं है। डेरेक ओ ब्रायन को सोशल मीडिया पर अनेक यूजर ‘Derek No Brain’ कहते हैं! मौजूदा समय में उनकी स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यदि वो नहीं सुधरे, तो वास्तव में इस नाम के योग्य बन जाएंगे!
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