पिछले दो महीने से भारत UPI लेनदेन की संख्या के मामले में नए रिकॉर्ड बना रहा है। भारत में UPI लेनदेन की संख्या ने 100 अरब रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है। कई लोग खुशियां मना रहे हैं, लेकिन यहां पर एक समस्या है। समस्या यह है कि UPI विदेशी प्रौद्योगिकी भुगतान ऐप द्वारा अधिक हो रहा है, Google Pay, PhonePe, Amazon Pay और Paytm इस क्षेत्र के कुछ प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं। हालांकि, इनमें से किसी को भी 100 प्रतिशत देसी नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में अब आवश्यकता है कि भारतीय बैंक अपने पेमेंट फ्रेमवर्क का निर्माण करें।
इसी मुद्दे पर, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते रविवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय बैंकों को तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने के क्षेत्र में अपने आप को आगे बढ़ाना चाहिए। उनके कहने का अर्थ स्पष्ट था कि बैंकों को भी अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को यूपीआई जैसा एडवांस बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “छोटे व्यापारियों को त्वरित लोन सुविधा प्लेटफार्म को बनाने हेतु आधार कार्ड, मोबाइल फोन, यूपीआइ और डिजिलॉकर जैसे इकोसिस्टम पहले से ही मौजूद हैं। क्या हम MSME, छोटे उद्योगों और छोटे व्यापारियों को तेजी से लोन उपलब्ध कराने के लिए यूपीआइ जैसा कोई दूसरा प्लेटफार्म बना सकते हैं। मैं बैंकिंग इंडस्ट्री से यह आग्रह करना चाहूंगा कि वह इसे स्वीकार करें और अगले तीन महीने में इसका फ्रेमवर्क तैयार करें। फ्रेमवर्क तैयार करने के बाद मैं बैंकिंग इंडस्ट्री के साथ इस प्लेटफॉर्म को बनाने पर दिन भर की चर्चा करूंगा।”
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कोटक का मिला समर्थन
अश्विनी वैष्णव की भावनाओं को कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक ने प्रतिध्वनित किया। ब्लूमबर्ग के साथ एक साक्षात्कार में कोटक ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “पिछले तीन वर्षों में बैंकर अदूरदर्शी थे। उन्हें लगता था कि पेमेंट के क्षेत्र में मुनाफा नहीं है।” कोटक ने आगे कहा, “मैं प्रतिस्पर्धा के खिलाफ नहीं हूं। मैं केवल इतना कह रहा हूं कि हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बेहतर प्रतिस्पर्धी सेवा के नाम पर, हमारे पास एक ही समय में एक प्रणालीगत और स्थिरता चुनौती नहीं है।”
दुनिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक, जिनकी अनुमानित कुल संपत्ति $16 बिलियन है, उन्होंने भी पारंपरिक बैंकिंग आउटलेट्स को याद दिलाया कि वो उन कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, जिनके पास पैसा कमाने के अन्य रास्ते भी थे। उन्होंने कहा, “हमें यह ध्यान रखना होगा कि उपभोक्ता टेक कंपनियों के पास वित्त के बाहर राजस्व मॉडल हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञापन मॉडल या ई-कॉमर्स मॉडल। कानून के अनुसार बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा-6 के तहत परिभाषित गैर-वित्तीय व्यवसाय में शामिल नहीं हो सकते हैं।” फिनटेक क्षेत्र की वृद्धि के पीछे के कारणों में से एक पारंपरिक तरीकों के माध्यम से भारत में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की सेवाओं की कम पहुंच है। शहरीकरण के निम्न स्तर और कम आय को देखते हुए, भारत की आधी से अधिक आबादी बैंकिंग सेवाओं से दूर थी।
UPI ने बनाया $100 बिलियन के लेनदेन का रिकार्ड
दूसरी ओर अगर हम नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की बात करें, तो यह एक सरकार समर्थित प्रयास था जिसने अप्रैल 2016 में पहली बार UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सिस्टम पेश किया था। जबकि PhonePe अगस्त 2016 में अपनी पेमेंट फ्रेमवर्क के साथ पहला ऐप बन गया, अन्य प्रतिद्वंद्वियों ने इसे आने वाले वर्ष में पेश किया। तब से UPI देश और उसकी सरकार द्वारा विकसित सबसे बेहतरीन उत्पादों में से एक बन गया है। यूपीआई की लोकप्रियता इतनी है कि सिंगापुर और भूटान जैसे विदेशी देशों ने भी अपनी ऑनलाइन भुगतान प्रणाली में इसे जगह दे दी है।
नवंबर 2021 में 7.68 लाख करोड़ रुपये (लगभग $102.4 बिलियन) के 418 करोड़ टांजेक्शन के साथ, UPI ने $100 बिलियन के लेनदेन का रिकॉर्ड बनाया। अक्टूबर 2021 में PhonePe ने 3.65 लाख करोड़ रुपये के 193 करोड़ लेनदेन के साथ UPI की संख्या में पहला स्थान हासिल किया था। 2.87 लाख करोड़ रुपये के 145 करोड़ लेनदेन के साथ Google pay दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद Paytm (80,508 करोड़ रुपये के 632 मिलियन लेनदेन), अमेजन पे (6,286 करोड़ रुपये के 68.82 मिलियन लेनदेन) और व्हाट्सएप पे (104 करोड़ रुपये के 2.6 मिलियन लेनदेन) आते हैं।
रिसर्च फर्म ट्रैक्सएन के अनुसार, भारतीय फिनटेक को इस साल नवंबर की शुरुआत में लगभग 7.6 बिलियन डॉलर की वेंचर कैपिटल फंडिंग मिली। हालांकि, यह संभव नहीं होता अगर UPI न होता, जिसने पूरे क्षेत्र का चेहरा ही बदल दिया है।
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विदेशी स्वामित्व वाले पेमेंट ऐप्स
यहां यह ध्यान देना अनिवार्य है कि PhonePe का स्वामित्व Flipkart के पास है, जो Walmart के स्वामित्व में है। अमेरिकी सुपरमार्ट की PhonePe में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लेकिन फ्लिपकार्ट में इसकी बहुमत हिस्सेदारी के कारण यह पता लगाया जा सकता है कि वॉलमार्ट भी चाले चल रहा और सबसे अधिक लाभ कमा रहा है।
जहां तक Google Pay का सवाल है, नाम स्वतः स्पष्ट है। Google विश्व की उन बड़ी कंपनियों की लिस्ट में है, जो सबसे अधिक कमाई करती हैं। यही नहीं, इसके लेनदेन RBI के दायरे में भी नहीं आते हैं। Paytm, जो हाल ही में शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुआ था, लिस्टिंग के पहले दिन ही धड़ाम से गिरा। इस कंपनी को चीनी निवेशकों द्वारा भारी वित्त पोषित और संचालित किया जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह कंपनी फेमस के स्थान पर Infamous है।
बताते चलें कि देश के बैंकों ने वर्षों से भारत की आम जनता की सेवा के माध्यम से एक अच्छी प्रतिष्ठा और सौहार्द बनाया है। हालांकि, प्रतिस्पर्धी भुगतान प्रणाली विकसित न कर, आज वे फिनटेक के क्षेत्र में पीछे रह गए हैं। अवसर अभी भी नहीं गया है। यह क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है और भारतीय नए तकनीक को अपना रहे हैं। आज भी भारत के लोगों को Google Pay या Amazon Pay की तुलना में SBI बैंक और उसके UPI भुगतान प्रणाली की सुरक्षा पर अधिक भरोसा है।
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