जॉर्डन ने ऑस्कर में अपनी एंट्री फिल्म “अमीरा” को वापस ले लिया है। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि आतंकी संगठन हमास है, जिसकी लॉबी ने जॉर्डन के अमीरा फिल्म को यह कहते हुए वापस करने का दबाव बनाया कि यह फिल्म फ़िलिस्तीनी कैदियों और उनके परिवारों के प्रति अपमानजनक है। दरअसल, जॉर्डन के रॉयल फिल्म आयोग ने फिल्म के खिलाफ प्रतिक्रिया आने के बाद 2022 की अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म की ऑस्कर दौड़ में अपना नामांकन वापस ले लिया है। विवादास्पद फिल्म “अमीरा” एक वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे कई फ़िलिस्तीनी बच्चों को इजरायल की जेलों में कैद पिता के तस्करी किए गए शुक्राणु (Sperm) का उपयोग करके गर्भधान (Conceived) किया गया था।
क्या रहा है जॉर्डन, इजरायल और फ़िलिस्तीन साम्राज्य का इतिहास?
कहा जाता है कि दर्जनों बच्चे इजरायल की जेलों से तस्करी कर लाए गए शुक्राणुओं से पैदा हुए हैं, जो रिहा किए गए कैदियों द्वारा सेना की चौकियों की जांच से बच कर बाहर निकल जाते हैं। ‘अमीरा’ भी एक किशोर लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मानती है कि वह एक प्रसिद्ध फ़िलिस्तीनी कार्यकर्ता के शुक्राणु से हुई थी, जो इजरायल की जेलों आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। हालांकि, सच कुछ और होता है।
बता दें कि जॉर्डन साम्राज्य का इज़राइल और फ़िलिस्तीन के साथ एक बहुत ही अराजक इतिहास है। ब्रिटिश कब्जे के दौरान इस क्षेत्र को ट्रांसजॉर्डन के रूप में जाना जाता था, जिसने 1946 में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त की थी। जॉर्डन वास्तव में वेस्ट बैंक के रूप में फ़िलिस्तीनी क्षेत्र के साथ-साथ इजरायल के प्रिय पूर्वी यरुशलम के कब्जे में था। 3 अप्रैल, 1949 को जब जॉर्डन-इज़राइल युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए गए, तब तक वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम सीधे जॉर्डन के शासन में आ गए थे। हालांकि, युद्ध का मतलब यह भी था कि आधे मिलियन फ़िलिस्तीनी अरब अब जॉर्डन साम्राज्य का हिस्सा बन गए थे।
जॉर्डन का फ़िलिस्तीन के साथ संबंध
1967 में, जॉर्डन इज़राइल के खिलाफ छह दिवसीय युद्ध में शामिल हो गया, लेकिन वेस्ट बैंक और यरुशलम सहित महत्वपूर्ण स्थान को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके बाद, जॉर्डन कुछ हद तक व्यावहारिक रूप से इजरायल के प्रति सहिष्णु हो चुका है। वहीं, जॉर्डन के फ़िलिस्तीन के साथ संबंध दो कारकों से अब भी मजबूत हैं: पहला यह कि यरुशलम में इस्लामी और ईसाई पवित्र स्थलों के संरक्षक के रूप में Hashemite Kingdom की स्थिति; और दूसरा जॉर्डन में एक बड़ी फ़िलिस्तीनी शरणार्थी आबादी।
अनिवार्य रूप से, जॉर्डन स्वयं को फ़िलिस्तीनी के प्रस्तावक के रूप में दिखाना पसंद करता है और हर समय उनके समर्थन में किसी न किसी गतिविधि में संलग्न होता है। इसी कारण इस देश में हमास जैसे संगठन की लॉबी भी मजबूत है। इसी का एक नमूना हमें देखने को मिला जब जॉर्डन के रॉयल फिल्म आयोग को फ़िलिस्तीनी कैदियों की एक कहानी पर बनी फिल्म को ऑस्कर की दौड़ से वापस खींचने पर मजबूर होना पड़ा।
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फ़िलिस्तीनियों के विरोध से ‘अमीरा‘ फिल्म हुई ऑस्कर से बाहर
फिल्म का कथानक इस प्रकार है- अमीरा एक 17 वर्षीय फ़िलिस्तीनी है, जिसकी कल्पना उसके पिता के तस्करी के शुक्राणु के साथ की गई थी, जो एक इजरायली जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसके पिता द्वारा दूसरे बच्चे को गर्भ धारण करने में विफल रहने के बाद, यह पता चलता है कि वह Impotent है। उसका जीवन तब बिखर जाता है जब एक DNA परीक्षण से पता चलता है कि वह उसका जैविक पिता नहीं है। जांच में यह खुलासा होता है कि शुक्राणु को जेल से उसकी माँ तक पहुंचने तक में अदला-बदली की गई थी और उसका जैविक पिता एक इजरायली ऑफिसर है।
बता दें कि इससे पहले गुरुवार को, फ़िलिस्तीनी कार्यकर्ताओं ने इस फिल्म का के बहिष्कार का आह्वान करते हुए एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया। फिल्म के विरोधियों का तर्क है कि ‘अमीरा’ ने ‘इजरायल के अपराधों’ का सफाया कर दिया है। यही कारण है कि फ़िलिस्तीन समर्थक इसे साजिश और फ़िलिस्तीनियों के अपमान के रूप में देख रहे हैं। हैशटैग #Pull_Out_Amira के तहत सोशल मीडिया पर फिल्म और इसके निर्देशक की खूब आलोचना हो रही है।
Jordanian actress Juliet Awwad has strongly criticized the Jordanian feature-film, Amira, which is nominated for the Oscars, for insulting Palestinian prisoners held in Israeli jails.#Pull_Out_Amira pic.twitter.com/sdN7wBdSv9
— Palestine Electronic Forces (@PEFMISSIONS) December 8, 2021
रेड-सी फिल्म फेस्टिवल से फिल्म ‘अमीरा’ को हटाया गया
AFP के अनुसार, रिहा किए गए कैदियों द्वारा इजरायली जेलों से तस्करी कर लाए गए शुक्राणु की शीशियों से दर्जनों बच्चे पैदा हुए हैं, जो सेना की चौकियों की जांच से बच निकलते थे। 2012 से अब तक क़ैद किए गए फ़िलिस्तीनी लोगों के तस्करी के शुक्राणु का उपयोग करके 100 से अधिक बच्चों की आशंका जताई गई है। बता दें कि अमीरा को मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब द्वारा वित्तपोषित किया गया था। अरब इज़राइलियों द्वारा निभाई गई अन्य भूमिकाओं के साथ मुख्य अभिनेता जॉर्डनियन हैं। फिर भी, इन सभी देशों ने फिल्म से समर्थन वापस ले लिया है। हंगामे के बीच सऊदी अरब ने तो बीते सोमवार को शुरू हुए अपने पहले रेड-सी फिल्म फेस्टिवल से फिल्म को हटा दिया है।
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हमास लॉबी का जॉर्डन पर है दबदबा
हमास वही आतंकवादी समूह है, जो गाजा को नियंत्रित करता है तथा जिसके सैकड़ों सदस्य इजरायल के जेलों में बंद हैं, उनका कहना है कि यह फिल्म उनके दुश्मन “Zionist की सेवा” से ज्यादा कुछ नहीं है। हमास की लॉबी इतनी मजबूत थी कि जॉर्डन को ऑस्कर में अपनी आधिकारिक प्रविष्टि वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। अमीरा नामांकन की हकदार थी, सिर्फ इसलिए कि यह इतने संवेदनशील विषय से निपटती है और कोई भी फिल्म निर्माता इस मुद्दे पर फिल्म नहीं बनाना चाहेगा। इस फिल्म के विरोध का एक और कारण है कि इस फिल्म के लोकप्रिय होने से फिलीस्तीनियों के भीतर एक वास्तविक Identity Crisis पैदा हो सकती है।
फिल्म के वितरण को रोकने के लिए हमास लॉबी, जॉर्डन को उस प्रयास का नेतृत्व करने के लिए मजबूर करने की दिशा में भी काम कर रही है। फ़िलिस्तीन में कलात्मक अभिव्यक्ति के खिलाफ लड़ाई कितनी दूर तक जाती है, यह आने वाले दिनों में और अधिक स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन तस्वीर पहले से ही बहुत गंभीर है।