कैसे बन सकता है भारत शस्त्र निर्माण में एक अग्रणी राष्ट्र

सुनो भारत शस्त्र संभालो, जग में नाम बढ़ाना है!

भारत हथियार

Source- TFIPOST

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ विश्व के सबसे ताकतवर देशों की सूची में शामिल है। हर तरह के अत्याधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना दुनिया के किसी भी देश को मात देने की ताकत रखती है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत हथियार आयात करने के मामले में सऊदी अरब के बाद पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यानी भारत काफी बड़ी मात्रा में अन्य देशों से हथियार खरीदता है। हालांकि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिला है। देश ने हथियारों की आयात को लेकर अन्य देशों से अपनी निर्भरता को कम किया है और भारत में निर्मित हथियारों के निर्यात की ओर कदम बढ़ा चुका है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत जल्द ही कैसे हथियार निर्माण के क्षेत्र में महाशक्ति बन सकता है।

तेजस, स्वाथी वेपन लोकेटिंग सिस्टम, आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका रॉकेट सिस्टम, भीष्म टैंक जैसे कई स्वदेशी हथियारों का नाम आपने सुना होगा। चीन द्वारा कब्जा किए गए तिब्बत क्षेत्र की सीमा से लेकर पाकिस्तान की सीमा तक यह हथियार भारतीय सेनाओं की शक्ति को कई गुना बढ़ा रहे हैं। हथियारों के प्रदर्शन के कारण ही भारत सरकार ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए स्वदेशी तकनीक व कंपनियों पर विश्वास किया है। यही कारण है कि अब विदेशों में भी भारतीय हथियारों की चर्चा शुरू हो गई है।

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दुनिया के 100 बड़े हथियार विक्रेता कंपनियों में भारत की 3 कंपनियां शामिल

स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम पीस इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें विश्व की 100 सबसे बड़ी हथियार निर्माता और विक्रेता कंपनियों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें भारत की तीन कंपनियों को शामिल किया गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड विश्व के 100 सबसे बड़े हथियार विक्रेता कंपनियों में शामिल हैं। हालांकि, अब भी वैश्विक हथियार बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 1.2 फीसदी है, लेकिन हमारी हिस्सेदारी लगभग जर्मनी के बराबर हो गई है जो भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 42वीं और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को 66वीं रैंक मिली है एवं दोनों का शेयर क्रमशः 1.5% और 4% बढ़ा है। वहीं, OFB 0.2% की वृद्धि के साथ 60वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार “2019 की तुलना में 2020 में 6.5 बिलियन डॉलर (लगभग 48,750 करोड़ रुपये) की उनकी ( भारतीय कंपनियों की) कुल हथियारों की बिक्री, पहले की अपेक्षा 1.7 प्रतिशत अधिक थी।” रिपोर्ट बताती है कि भारतीय कंपनियों के प्रदर्शन के पीछे भारत सरकार द्वारा उनसे की गई खरीद सबसे बड़ा कारण है।

पूरी संभावना है कि अगले वर्ष की रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों की स्थिति और सुधरेगी, क्योंकि इस वर्ष फरवरी में मोदी सरकार ने 48000 करोड़ रुपए की कीमत पर 83 तेजस विमान खरीदने का निर्णय लिया था। इसी वर्ष सितंबर माह में करीब 7500 करोड़ रुपए के समझौते पर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड से अर्जुन बैटल टैंक खरीदने का समझौता हुआ है। इसके अतिरिक्त OFB और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ भी कई डील हुई है।

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भारत सरकार को इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को देना चाहिए बढ़ावा

हालांकि, अब भी भारत हथियारों के विक्रय के मामले में बहुत पीछे है। भारत का मुख्य प्रतिद्वंदी चीन वैश्विक हथियार बाजार में 13% का हिस्सेदार है। अर्थात् चीन भारत से 10 गुना अधिक हथियार विक्रय कर रहा है। ऐसे में भारत को केवल सरकारी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उदाहरण के लिए तेजस विमान के निर्माण के लिए HAL को राजीव गांधी सरकार में टेंडर मिला था। साल 1993 में तेजस प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू हुआ, लेकिन 37 वर्षों बाद फरवरी 2020 तक, HAL मात्र 16 एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना को सौंप सका। अगले 83 फाइटर जेट भी धीमी गति से दिए जाएंगे। केवल धीमी गति ही नहीं, अधिकांश मौकों पर सरकारी कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले प्रोडक्ट अच्छी गुणवत्ता के नहीं होते है। उदाहरण के लिए हाल ही में नेवी ने HAL के हेलीकॉप्टर को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि वह नेवी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे थे।

इसी प्रकार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा बनाई गई इंसास राइफल भी बहुत गुणवत्तायुक्त नहीं होती। OFB द्वारा बनाए गए आर्टिलरी शेल के आर्टिलरी में ही फटने का हादसा भी हुआ है। ऐसे में भारत सरकार को इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण के लिए ड्रोन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अभी तक भारत ने बहुत विकास नहीं किया है। सरकार इसके लिए इंसेंटिव दे रही है। सरकारी स्तर पर प्रयास करके निजी कंपनियों को ड्रोन निर्माण में शामिल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त सरकार को निजी कंपनियों और विदेशी कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर को बढ़ावा देना चाहिए। जब तक भारत महिंद्रा, टाटा, रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों को हथियार निर्माण में खुलकर भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगा, हमारे लिए वैश्विक हथियार निर्माता बनने का सपना बहुत दूर ही रहेगा।

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