हींग की खेती कैसे होती है?
कुछ लोगों का कहना है कि हींग मुग़ल काल के दौरान भारत आया था क्योंकि ये ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में होती है. लेकिन दस्तावेजों से यह पता चलता है कि हींग मुग़लों के आने से पहले से ही भारत में इस्तेमाल होती आ रही है. संस्कृत में इसे हींगू के नाम से जाना जाता है. हींग की खेती को भारत में दुर्लभ मानते थे क्योंकि इसकी पैदावार के लिए भारत की जलवायु भूमि मिट्टी उपयुक्त नहीं मानी जाती है.
वहीं आपकों बता दें कि हींग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अन्य देशों के तुलना में भारत में सबसे अधिक होता है. हाल ही मे CSIR और इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ने 2016 से की जा रही रिसर्च ने भारत में हींग की खेती करने को सफल बनाया है. वर्तमान मे कश्मीर, हिमालय के क्षेत्र और हिमाचल,लद्दाख, उत्तराखंड, पंजाब के किसान इसकी खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे हैं . वहीं पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती करके देश में महंगी हींग के आयात की समस्या को कम कर सकेंगे.
हींग की खेती कब की जाती है और कैसे
हींग सोफ की प्रजाति का एक ईरानी मूल का पौधा है. जो पहाड़ी क्षेत्रों मे फलत-फूलता है. हींग का ठंडे और शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में इसका उत्पादन सबसे अच्छा होता है. हींग की खेती के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. पूरी दुनिया में हींग की क़रीब 130 किस्में हैं. भारत में हिंग की 3-4 प्रजातीया की खेती की जाती है.
हींग फेरुला एसाफोइटीडा के जड़ से निकाले गए रस से तैयार किया जाता है लेकिन यह इतना आसान नहीं हैं. एक बार जब जड़ों से रस निकाल लिया जाता है तब हींग बनने की प्रक्रिया शुरू होती है.
स्पाइसेस बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक दो तरह के हींग होती हैं- काबुली सफ़ेद और हींग लाल. सफ़ेद हींग पानी में घुल जाता है जबकि लाल या काला हींग तेल में घुलता है.
कच्चे हींग की बहुत तीखी गंध होती है इसलिए उसे खाने लायक नहीं माना जाता. खाने लायक गोंद और स्टार्च को मिलाकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तैयार किया जाता है. व्यापारियों का कहना है कि हींग की क़ीमत इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें क्या मिलाया गया है. हींग पाउडर भी मिलता है. दक्षिण भारत में हींग को पकाया जाता है और इन पके हुए हींग के पाउडर का इस्तेमाल मसालों में किया जाता है.
और पढ़े: धनिया की खेती के लिए आवश्यक जलवायु, भूमि, किस्मे और लागत
खेती के लिए विशेष ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि इसे रेतीली मिट्टी यानि इसकी खेती रेत, मिठ्ठी के ठेले व अधिक चिकनी जमीन में उगाया जाए . पहाड़ी क्षेत्र जहां पानी किसी भी तरह से रुक ना सके तो मिट्टी में आप अलग से 40% तक रेत को मिला सकते हैं . इसके पौधों के अच्छे विकास के लिए जैविक खाद ज्यादा उत्तम माना जाता है .
हिंग की खेती के लिए आज्ञा?
हींग के बीज लेने के लिए नए किसानों को मेहनत करनी पड़ेगी. इसके बीज आपको सरकार की सहायता से ही मिलने की संभावना होगी . क्योंकि हिंग बीज पर अभी भी शोध चल रहा है आप इस पर सरकार से विचार विमर्श करके उनकी आज्ञा से बीज ले सकते हैं जिसके पश्चात आप अपनी खेती शुरू कर सकते हैं. इसके बीज के लिए आप नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
और पढ़े: Hindi mein Phalon ke Naam List – Hindi to English
कमाई
हींग की खेती से आप अच्छी खासी कमाई आप कर सकते हैं. हींगल का बाजार का भाव 35000 रुपए किलो से शुरुवात होती है जो इसकी गुणवत्ता के अनुसार और भी बढ़ जाता है . देश मे हिंग का व्यापार काफी फेला हुआ है क्योंकि इसका उत्पादन भारत मे नहीं होता है हर वर्ष करोड़ों का व्यापार सम्पन्न होता है .
माल कहा बेचे
आप चाहे तो हींग को सीधा अपने बाजार में लोकल कस्टमर के बीच उतार सकते हैं. या आप इसे रिटेल भी कर सकते हैं एवं बेहतर डिल मिलने पर व्होलसेल की दर पे भी बेच सकते हैं I इसके कई व्यापारी आपको एडवांस तक देते हैं.
और पढ़े: Silao Khaja- जानिए बिहार की प्रसिद्ध मिठाई सिलाव खाजा के बारे में